अमरीकी ट्रम्प सरकार ने अनेक जन स्वास्थ्य संस्थाओं पर हमला बोल दिया है। संयुक्त राष्ट्र की विश्व स्वास्थ्य संगठन हो या अमरीकी सरकार की सीडीसी (रोग नियंत्रण संस्था), आयुर्विज्ञान अनुसंधान हो या विकासशील देशों में अमरीकी पैसे से पोषित स्वास्थ्य या विकास कार्यक्रम - सब खंडित हैं या उन पर खंडित होने का ख़तरा मंडरा रहा है। बीजिंग घोषणापत्र 1995 गर्भपात का अधिकार और कानूनी रूप से बाध्य ‘सीईडीएडबल्यू’ (कन्वेंशन ऑन द एलिमिनेशन ऑफ़ ऑल फ़ॉर्म्स ऑफ़ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वोमेन) तथा अन्य समझौतों और घोषणाओं में निहित वायदों का हिस्सा है तथा लैंगिक और यौनिक समानता और मानव अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-5 को प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, फिर भी इस पर वैश्विक प्रगति संतोषजनक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर शोभा शुक्ला का लेख।
वर्ष 2014 के बाद मानवाधिकार पर लगातार हमले हो रहे हैं। आरएसएस लगातार हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की कवायद में मुस्लिमों पर खुले आम हमला कर रहा है। बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद संघ ने अन्य मस्जिदों का सर्वे कर मंदिर होने का दावा कर रही है। मुद्दों पर विचार न कर धार्मिक हमलों में मुस्लिमों को आरोपी बनाकर जेल में डाला जा रहा है। ऐसी घटनाएं एक या दो नहीं बल्कि अनेक हैं। मानवाधिकार दिवस पर संघ की कारास्तानी की पोल खोलता डॉ सुरेश खैरनार का यह लेख
दो देशों के बीच होने वाले युद्ध से युद्ध ग्रसित क्षेत्र में जो तबाही होती है, उससे मानव पूंजी पर तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इससे कौशल की हानि होती है, विस्थापन होता है और मानसिक आघात होता है, जिससे उबरने में वर्षों लग सकते हैं, यदि कभी उबर भी पाएं तब।
मजदूरों को इज़राइल भेजने की तैयारी तेजी से हो रही है। इस बीच यह खबर भी सामने गई है कि, उत्तर प्रदेश के 10 हज़ार श्रमिकों की परीक्षा होगी। यह परीक्षा और कोई नहीं, बल्कि इज़राइल के परीक्षक ही लेगें। परीक्षा की तारीख 23 से 30 जनवरी तय की गयी है। परीक्षा का आयोजन लखनऊ के अलीगंज में किया जाना है।
दिल्ली। भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर ताजा आंकड़े आज जारी किए जा रहे हैं। ह्यूमन राइट्स मेजरमेंट इनीशिएटिव (एचआरएमआइ) आज अपनी वार्षिक मानवाधिकार...