Sunday, July 7, 2024
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चंदौली : नौगढ़ के किसानों की फसलों और मेहनत को रौंद रहे नीलगाय, प्रशासन बेसुध

जब जंगल काटे जाएंगे तो वहां रहने वाले पशु अपना ठिकाना बदलेंगे ही। वे गांवों की तरफ भी आएंगे। जब गांव में आएंगे तो इसी तरह से हमारी फसलों को खाएंगे और बर्बाद भी करेंगे।

गाजीपुर : लाखों खर्च के बावजूद आवारा पशुओं से किसान परेशान, कैटल कैचर वाहन भी खराब

गाजीपुर। जिले के किसानों ने प्रशासन से 'कैटल कैचर' वाहन से जल्द से जल्द आवारा पशुओं को पकड़वाने की माँग की है। सैकड़ों किसानों...

यूपी : आवारा पशुओं के आतंक से ‘दोगुनी’ आय छोड़िए लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान

उत्तर प्रदेश सरकार एक तरफ दलहन, तिलहन व मल्टीग्रेन के उत्पादन पर जोर दे रही है और किसानों की आय दोगुनी करने की बात...

नोएडा : NTPC के खिलाफ 105 गाँवों के किसानों का धरना जारी, बोले- हमें हमारा हक़ चाहिए

नोएडा। एनटीपीसी के खिलाफ यूपी के हजारों किसान शनिवार को भी नोएडा सेक्टर-24 स्थित नेशनल कैपिटल पावर स्टेशन (एनटीपीसी) कार्यालय के सामने धरने पर...

चंडीगढ़: ऊँट के मुँह में जीरे की तरह बढ़ी गन्ने की कीमत, किसानों ने कहा, हमारे साथ विश्वासघात हुआ

चंडीगढ़ (भाषा)। राज्य के किसानों को सीएम भगवंत मान ने ग्यारह रुपये का ‘शगुन’ दिया है। उन्होंने गन्ने की कीमत में 11 रुपये प्रति...

पंजाब के फगवाड़ा में ‘बकाया’ को लेकर किसानों का धरना, कृषि मंत्री ने दिया आश्वासन

फगवाड़ा, चंडीगढ़ (भाषा)। पंजाब के फगवाड़ा में एक चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों का लगभग 42 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने के विरोध...

छत्तीसगढ़ में दो अक्टूबर को बोनस सत्याग्रह और तीन को काला दिवस मनाएंगे किसान संगठन

संयुक्त किसान मोर्चा का छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन संपन्न रायपुर। किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ सवा साल तक किसानों द्वारा दिल्ली का घेराव दुनिया के संसदीय...

सैदपुर में 15 से 18 लाख रुपये प्रति बिस्वा की ज़मीन को मात्र 2 लाख में लेना चाहती है सरकार, किसान आक्रोशित

राजमार्ग के अगल-बगल की जमीनों का भाव 15 से 18 लाख रुपये बिस्वा चल रहा है। इसी भाव पर आजकल निजी तौर से जमीनों की खरीद-फरोख्त की जा रही है। सरकार हमें 50 हजार प्रति बिस्वा के सर्किल रेट से 4 गुणा बढ़ाकर यानी मात्र 2 लाख प्रति बिस्वा की दर से मुआवजा दे रही है। जो राष्ट्रीय राजमार्ग के लिंक मार्गों पर जमीनों के बाजार भाव से भी काफी कम है।

खेती में भारी नुकसान के बावजूद नहीं मानी हार, अब गाँव की महिलाओं को दे रहे रोजगार

अचानक कैंसरग्रस्त माँ के समुचित इलाज के लिए उन्हें दुबई छोड़कर अपने गांव में ही रहने को मजबूर होना पड़ा। नौकरी छोड़ कर गांव में रहने के फैसले के बाद वीरेन्द्र ने खेती करने का फैसला किया। उन्होंने दस एकड़ जमीन 600 सौ रुपये सालाना के हिसाब से लेकर खेती की शुरुआत की। पहले पहल केला, कद्दू (लौकी) और सेम की खेती शुरू की, जिसमें उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन वीरेंद्र ने हिम्मत नहीं हारी और एकबार फिर से दुगुना साहस और हौसले से 26 एकड़ जमीन लीज पर लेकर कम संसाधन में ही खेती शुरू की।

छतीसगढ़ में भूविस्थापितों की महापंचायत में 54 गांव और सात संगठन लामबंद होंगे

किसान सभा की अगुआई में अधिग्रहित जमीन की वापसी, रोजगार व पुनर्वास की मांग कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में भूविस्थापितों के लंबित रोजगार प्रकरणों,...

आजमगढ़ किसान आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए होगा क्रमवार सत्याग्रह

फूलपुर (आजमगढ़)। जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसान आन्दोलन को व्यापक बनाने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के अगल-बगल के गावों में क्रमवार सत्याग्रह किया...

आजमगढ़ एसपी से मुलाकात करना गुनाह हो गया

बोले किसान नेता- अपहरणकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं, आंदोलनकारियों पर दर्ज हो गया मुकदमा खिरिया बाग आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले सरकार खिरिया...

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