जब जंगल काटे जाएंगे तो वहां रहने वाले पशु अपना ठिकाना बदलेंगे ही। वे गांवों की तरफ भी आएंगे। जब गांव में आएंगे तो इसी तरह से हमारी फसलों को खाएंगे और बर्बाद भी करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा का छत्तीसगढ़ राज्य सम्मेलन संपन्न
रायपुर। किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ सवा साल तक किसानों द्वारा दिल्ली का घेराव दुनिया के संसदीय...
राजमार्ग के अगल-बगल की जमीनों का भाव 15 से 18 लाख रुपये बिस्वा चल रहा है। इसी भाव पर आजकल निजी तौर से जमीनों की खरीद-फरोख्त की जा रही है। सरकार हमें 50 हजार प्रति बिस्वा के सर्किल रेट से 4 गुणा बढ़ाकर यानी मात्र 2 लाख प्रति बिस्वा की दर से मुआवजा दे रही है। जो राष्ट्रीय राजमार्ग के लिंक मार्गों पर जमीनों के बाजार भाव से भी काफी कम है।
अचानक कैंसरग्रस्त माँ के समुचित इलाज के लिए उन्हें दुबई छोड़कर अपने गांव में ही रहने को मजबूर होना पड़ा। नौकरी छोड़ कर गांव में रहने के फैसले के बाद वीरेन्द्र ने खेती करने का फैसला किया। उन्होंने दस एकड़ जमीन 600 सौ रुपये सालाना के हिसाब से लेकर खेती की शुरुआत की। पहले पहल केला, कद्दू (लौकी) और सेम की खेती शुरू की, जिसमें उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन वीरेंद्र ने हिम्मत नहीं हारी और एकबार फिर से दुगुना साहस और हौसले से 26 एकड़ जमीन लीज पर लेकर कम संसाधन में ही खेती शुरू की।
किसान सभा की अगुआई में अधिग्रहित जमीन की वापसी, रोजगार व पुनर्वास की मांग
कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में भूविस्थापितों के लंबित रोजगार प्रकरणों,...
बोले किसान नेता- अपहरणकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं, आंदोलनकारियों पर दर्ज हो गया मुकदमा
खिरिया बाग आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले सरकार
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