किसानों ने की पंचायत, बोले- राजस्व कर्मियों द्वारा डराया भी जा रहा है कि सरकार जब चाहेगी तब जमीन ले लेगी और कोई कुछ नहीं कर पाएगा
गाजीपुर। आज़मगढ़ के बाद अब गाज़ीपुर के सैदपुर में किसानों की ज़मीन लेने का काम शुरू हो गया है। हालांकि, इस जिले में मामला एनएच 31 से जुड़ा हुआ है। सैदपुर से सादात होते हुए मऊ तक जाने वाले मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 31 घोषित करने के बाद अब राजस्व विभाग की टीमों ने मार्ग चौड़ीकरण के लिए अगल-बगल के किसानों की जमीन लेने का काम शुरू कर दिया है। वहीं, किसानों ने कम मुआवजे की बात कहते हुए क्षेत्र में जगह-जगह पंचायत आयोजित कर विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। किसानों की मांग है कि उन्हें वर्तमान बाजार भाव से जमीन का मुआवजा दिया जाए।
बतादें, सरकार द्वारा कम मुआवजा दिए जाने से नाराज किसानों ने सैदपुर क्षेत्र के ककराही गांव में ‘पंचायत’ का आयोजन किया। जहाँ किसानों ने राजमार्ग के लिए ली जा रही जमीन का मुआवजा वर्तमान बाजार भाव से देने को लेकर चर्चा की। साथ ही मुआवजा बढ़ाने के लिए आगे के संघर्ष की रणनीति भी बनाई। पंचायत में किसानों ने निर्णय लिया कि जब तक हमें जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक हम ना तो अपनी जमीन देंगे और ना ही मार्ग का निर्माण होने देंगे। इसके लिए हर स्तर पर संवैधानिक लड़ाई लड़ी जाएगी। किसान पंचायत में उपस्थित अनिल पांडेय, रामायण पांडेय, रामविलास यादव, कमलेश यादव, जगरोपण शर्मा, धर्मेंद्र कुमार, राजू यादव, अवधेश यादव, प्रद्युम्न कुमार, आशुतोष यादव आदि ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिंक मार्गों पर आज जमीन का भाव 6 से 8 लाख रुपये प्रति बिस्वा चल रहा है।
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जानकारी के अनुसार, राजमार्ग के अगल-बगल की जमीनों का भाव 15 से 18 लाख रुपये बिस्वा चल रहा है। इसी भाव पर आजकल निजी तौर से जमीनों की खरीद-फरोख्त की जा रही है। सरकार हमें 50 हजार प्रति बिस्वा के सर्किल रेट से 4 गुणा बढ़ाकर यानी मात्र 2 लाख प्रति बिस्वा की दर से मुआवजा दे रही है। जो राष्ट्रीय राजमार्ग के लिंक मार्गों पर जमीनों के बाजार भाव से भी काफी कम है। बिना किसी नोटिस के ही लेखपाल किसानों से जमीनों के अभिलेख मांग रहे हैं। इस दौरान विरोध करने वाले किसानों को राजस्व कर्मियों द्वारा डराया भी जा रहा है कि सरकार जब चाहेगी तब जमीन ले लेगी और कोई कुछ नहीं कर पाएगा। इन्हीं परिस्थितियों के कारण किसानों में आक्रोश है। किसानों की मांग है कि सरकार हमें वर्तमान बाजार भाव से जमीन का मुआवजा दे, तभी हम अपनी जमीनें देंगे।