Saturday, July 27, 2024
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चंदौली : नौगढ़ के किसानों की फसलों और मेहनत को रौंद रहे नीलगाय, प्रशासन बेसुध

जब जंगल काटे जाएंगे तो वहां रहने वाले पशु अपना ठिकाना बदलेंगे ही। वे गांवों की तरफ भी आएंगे। जब गांव में आएंगे तो इसी तरह से हमारी फसलों को खाएंगे और बर्बाद भी करेंगे।

किसान आए दिन अपनी फसलों को लेकर किसी न किसी समस्या से परेशान रहता है। कभी मौसम की मार तो कभी आवारा पशुओं के आतंक से। चंदौली जिले के नौगढ़ ब्लाॅक के किसान आजकल नीलगायों के आतंक से परेशान नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई समाधान नहीं नजर आ रहा है।

क्षेत्र में नीलगायों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि लहलहा रही रबी की फसलों की हरियाली ही गायब हो जा रही है। अपनी फसलों को नीलगायों से अपनी आंखों के सामने रौंदते हुए देखकर यहां के किसान कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। किसानों ने इस समय कड़ी मेहनत और लगन से चना, मसूर, जौ, गेहूं, अरहर, आलू और सब्जियां पैदा कर रखी हैं, जिन्हें नीलगाय कुछ ही मिनटों में तहस नहस कर दे रही हैं।

ठंड के इस मौसम में किसान कितनी मेहनत से फसलों को पैदा कर रहा है। खाद, पानी देकर उन्हें तैयार कर रहा है। रात-रात भर वह खेतों की निगरानी भी कर रहा है लेकिन नीलगायों का झुण्ड एक साथ जब आता है तो वह बेबस हो जाता है ।

बीते वर्ष पर्याप्त मात्रा में बारिश न होने से खरीफ और रबी की पैदावार कम हुई। इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस साल सब कुछ ठीक-ठाक रहा। मौसम भी अनुकूल रहा, जिससे धान की फसल के साथ ही गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसो अरहर आदि की अच्छी पैदावार से किसान खुश थे, लेकिन इन नीलगायों ने किसानों की खुशियों को कुछ ही दिनों में गायब कर दिया।

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नौगढ़ ब्लाॅक के किसान राकेश गुप्ता कहते हैं कि पहले नीलगाय गांव की तरफ कम आती थी। लेकिन जैसे-जैसे जंगलों की कटाई होती जा रही है ये नीलगाय अपने भोजन पानी के लिए गांवों का रूख कर रहे हैं। ये सब एक समूह में चलते हैं और जिस खेत में आधे घंटे के लिए रूक जाते हैं, फिर उस खेत में फसल नहीं दिखती। ये फसल को खाने के अलावा पैरों से नष्ट भी कर देते हैं। इसलिए उस खेत की जुताई करने में ही भलाई है।

चहनिया ब्लाॅक के टिकुरियां गांव निवासी किसान अनिल यादव कहते हैं, ‘जब जंगल काटे जाएंगे तो वहां रहने वाले पशु अपना ठिकाना बदलेंगे ही। वे गांवों की तरफ भी आएंगे। जब गांव में आएंगे तो इसी तरह से हमारी फसलों को खाएंगे और बर्बाद भी करेंगे। इसलिए हमें इस बात के लिए भी तैयार रहना चाहिए कि हम जैसा करेंगे वैसा भरेंगे भी।’

इसके साथ ही अनिल यादव बताते हैं कि नीलगाय हों या गाय, इनसे हमारी फसलों का जो नुकसान होता है, उसका हमें कोइ मुआवजा नहीं मिलता। कोई दूसरी सरकार होती तो हम मुआवजे के बारे में सोच भी सकते थे, लेकिन इस सरकार से तो इसकी उम्मीद करना ही बेमानी होगी। वह बताते हैं कि मेरी पांच बिस्वा धान की फसल को नीलगाय ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया। उनकी संख्या कम थी और दिन की बात थी तो मैंने साहस करके किसी तरह इन्हें भगाया नहीं तो मेरा नुकसान बहुत ही ज्यादा हो गया होता।

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नौगढ़ ब्लाॅक के सुभाष खरवार कहते हैं कि हमारी फसलें कब तक यूं ही बर्बाद होती रहेंगी। इतना पैसा और मेहनत लगाकर हम फसलें पैदा करते है, इन नीलगायों के लिए। इन नीलगायों के मारने पर सरकार ने रोक भी लगा रखी है। इसलिए हम अपनी आंखों के सामने अपनी फसलों को नष्ट होते देखने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते। सरकार से हमारी मांग है कि हमारी जितनी भी फसलें बर्बाद हो रही हैं उसका हमें हर्जाना दिया।

बहरहाल, जो भी हो एक बात तो तय है कि किसान हर तरह से मारा जाता है। जब अपनी फसलों को किसी तरह से खाद, पानी देकर तैयार होने की कगार पर होती है, उसी नीलगाय के झुंड उसके अरमानों पर पानी फेर देते है। इससे उसकी कमर टूट जाती है।

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