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इंग्लैड कैसे इस्लामोफोबिया का मुकाबला कर रहा है

हाल में ‘गाय एक पवित्र पशु है और मुसलमान गायों की हत्या कर रहे हैं’ की गलत धारणा ने जोर पकड़ा है। इस धारणा को आधार बनाकर ही जहां एक ओर शाकाहार का प्रचार किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर लिंचिंग की जा रही है। नफरत भरे भाषण भी देश के लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं। नफरत भरे भाषण देने वालों पर काबू पाने और उन्हें सजा देने का तंत्र एवं प्रक्रिया मौजूद है, मगर जमीनी हकीकत यह है कि ऐसा करने वाले सामान्यतः न केवल दंड से बचे रहते हैं, वरन् उन्हें पदोन्नत कर पार्टी के बड़े पदों से नवाजा जा रहा है। इसी मुद्दे पर प्रस्तुत है राम पुनियानी का लेख।

भारत बंद से पुराने फॉर्म में लौटीं मायावती क्या अपनी बिखरी राजनीति को समेट पाएँगी                                              

भारत बंद की सफलता के बाद जहां अधिकांश राजनीतिक विश्लेषकों ने दलित आंदोलनकारियों के व्यवहार में आए बड़े बदलाव को देखते हुए भविष्य में धरना- प्रदर्शनों के सैलाब आने की संभावना जाहिर किया, वहीं दलित आंदोलनकारी अपनी बहन जी को पुराने रूप में लौटते देख खुशी से झूम उठे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस कांशीराम का नाम लेकर मायावती राजनीति करती रही हैं, लोग राहुल गांधी में अब कांशीराम की छवि देखने लगे हैं। यदि कांशीराम के रूप में राहुल गांधी की छवि स्थापित हो जाती  है, तब पहले से ही काफी हद तक अपना वोटबैंक गवां चुकी मायावती का राजनीतिक भविष्य का क्या होगा?

बाबरी मस्जिद के ध्वंस ने फिरकापरस्त ताकतों को सत्तासीन किया

स्वाधीन होने के बाद भारत ने जो दिशा और राह चुनी, उसकी रूपरेखा जवाहरलाल नेहरु के ‘ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी’ भाषण में थी। नेहरु ने...

नारा तब भी इंक़लाब था, नारा आज भी इंक़लाब है…

भगत सिंह की जयंती पर विशेष जो कोई भी कठिन श्रम से कोई चीज़ पैदा करता है, उसे यह बताने के लिए किसी खुदाई पैगाम...

आजम खान पर आईटी का छापा, अखिलेश ने कहा हम सब उनके साथ

समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व काबीना मंत्री आजम खान के कई ठिकानों पर बुधवार सुबह करीब 7 बजे ही आयकर विभाग ने छापा...

घोसी उपचुनाव में बिना चुनाव लड़े दांव पर लग गए हैं ‘पियरका चाचा’

मऊ। जिले की घोसी विधानसभा सीट के उपचुनाव ने उत्तर प्रदेश की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है। घोसी विधानसभा सीट पर समाजवादी के...

विपक्षी एकता के लिए खतरा ना बन जाए कर्नाटक जीत के जोश से आगे बढ़ती कांग्रेस

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद और दो राज्यों से विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आए सर्वे ने कांग्रेसी खेमे का जोश बढ़ा दिया...

भाजपा के चुनावी पैंतरे और सामाजिक न्याय से समर जीतने को तैयार समाजवाद

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियाँ अभी से अपनी सियासी जमीन तैयार करने में लग गई हैं।...

कुलपति नियुक्तियों को अयोग्य करार देने पर राजभवन और राज्य सरकार में बढ़ी तकरार

राज्यपाल और राज्य सरकार फिर एक बार आमने-सामने पश्चिम बंगाल। राज्य में पंचायत चुनाव से ठीक पहले राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने राज्यपाल...

विपक्षी एकता की बिछने लगी बिसात, क्या मिलकर मोदी को दे सकेंगे मात?

कर्नाटक की जीत से उत्साहित विपक्ष क्या भाजपा के खिलाफ एक हो सकेगा? यह बड़ा सवाल है और हर पार्टी इसका उत्तर खोजने में...

बुद्ध और अंबेडकर अवसरवादी राजनीति के लिए तोता-रटंत टूलकिट क्यों बन गए हैं?

दलित, आदिवासी या कोई भी अन्‍य किसी धर्म में धर्मांतरण करे या नास्तिक हो जाए, उसे हतोत्‍साहित करने का अधिकार राजनीति विशेष व पालतू छुटभैयों को कैसे मिल जाता है। क्‍या वे देश से अलग किसी और संविधान को मानते हैं? उन्‍हें यह अधिकार किसने दिया कि वे किसी का सिर काटने व पचास लाख का इनाम घोषित करें। 

हर क्षेत्र में कश्मीर फाइल्स जैसे झूठ का पुलिंदा फैलाया जा रहा है

भारतीय राजनीति में समाजवादी पार्टी की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुख्यतः उत्तर प्रदेश की यह पार्टी स्थानीय राजनीति के साथ राष्ट्रीय राजनीति में...

शरद यादव की महत्ता और प्रासंगिकता के कई आयाम हैं

समाजवादी आन्दोलन की उपज शरद यादव का व्यक्तित्व-कृतित्व बिल्कुल खुला था। उनकी कथनी-करनी में कोई अंतर नहीं दिखाई दिया।वे शुरू से ही चौका और...

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