Saturday, July 27, 2024
होमराजनीतिहर क्षेत्र में कश्मीर फाइल्स जैसे झूठ का पुलिंदा फैलाया जा रहा...

ताज़ा ख़बरें

संबंधित खबरें

हर क्षेत्र में कश्मीर फाइल्स जैसे झूठ का पुलिंदा फैलाया जा रहा है

भारतीय राजनीति में समाजवादी पार्टी की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुख्यतः उत्तर प्रदेश की यह पार्टी स्थानीय राजनीति के साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी ताकतवर हस्तक्षेप करती रही है। कभी कांग्रेस के खिलाफ शुरू हुए लोहिया और जेपी आंदोलन ने कांग्रेस के खिलाफ मुखर अभियान चलाया और उस आंदोलन ने देश को समाजवादी विचारधारा […]

भारतीय राजनीति में समाजवादी पार्टी की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुख्यतः उत्तर प्रदेश की यह पार्टी स्थानीय राजनीति के साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी ताकतवर हस्तक्षेप करती रही है। कभी कांग्रेस के खिलाफ शुरू हुए लोहिया और जेपी आंदोलन ने कांग्रेस के खिलाफ मुखर अभियान चलाया और उस आंदोलन ने देश को समाजवादी विचारधारा के तमाम नेता दिए। कुछ मौकों पर इस अभियान ने कांग्रेस को सत्ता से खारिज भी किया पर समाजवादी परचम के तहत उभरे नेता लंबे समय तक एक साथ नहीं चल सके और उनके बिखराव ने अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पार्टियों को जन्म दिया, जिनमें से कुछ पार्टियां ही राज्य स्तर पर अपने होने को अर्थ दे पाईं। समाजवादी पार्टी इस बिखराव में उभरी हुई सबसे मजबूत पार्टी के रूप के सामने आई जो समय के साथ उत्तर प्रदेश से निकल कर देश के अन्य प्रदेशों में भी अपना राजनैतिक हस्तक्षेप बढ़ा रही है। समाजवादियों के सरोकार, हस्तक्षेप और राजनीति के समकालीन परिदृश्य में उनकी भूमिका और चुनौतियों पर समाजवादी पार्टी, महाराष्ट्र के अध्यक्ष और मुंबई की मानखुर्द-शिवाजी नगर विधानसभा से विधायक अबू आसिम आज़मी से विस्तृत बात-चीत हुई। यह बातचीत समाजवादी पार्टी के कार्यालय में हुई। इस मौके पर शूद्र आंदोलन के नेता शूद्र शिवशंकर सिंह यादव भी मौजूद थे।

2024 में लोक सभा का चुनाव होने जा रहा, आप लोक सभा में अपनी पार्टी की भूमिका कैसे देखते हैं ?

भूमिका तो जनता तय करेगी, बस मैं जनता से यह कहना चाहूँगा कि समाजवादी पार्टी को चुनिये, समाजवादी पार्टी को इसलिए चुनिये कि यह पार्टी भारतीय संविधान में भरोसा करती है। समाजवादी पार्टी धर्म, मंदिर-मस्जिद और जाति के नाम पर बंटवारा नहीं करती है और भाजपा की सरकार देश को बर्बाद के कगार पर खड़ा कर चुकी है। देश की आर्थिक स्थिति बर्बाद हो चुकी है। भाई-चारा तोड़ा जा रहा है। देश की गंगा-जमुनी तहजीब बरबाद की जा रही है। गरीबी दूर करना इनका मुद्दा नहीं है बल्कि नाम बदलना इनका मुख्य एजेंडा है, इससे देश को कोई लाभ नहीं होता बल्कि देश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ता है।

[bs-quote quote=”राजनीति में सिर गिने जाते हैं और सिर हमारे पास कम हैं।  इसके साथ कुछ बिकाऊ लोग भी हमारे बीच हैं जो अपने लाभ के लिए समाज को दांव पर लगा रहे हैं। अब ओवैसी जैसे लोगों को देखिए कि अपने आप को मुस्लिम नेता बताते घूम रहें हैं, पर धीरे-धीरे लोग जान चुके हैं कि यह सिर्फ नफरत फैलाकर हिन्दू-मुस्लिम की साझी विरासत को कमजोर करना चाहते हैं। फिर भी मैं यह पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि आज जो घृणा फैलाई जा रही है उसकी उम्र लंबी नहीं है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

देश के प्रधानमंत्री आज एक ऐसी फिल्म को प्रमोट कर रहे हैं जो पूरी तरह से झूठ का पुलिंदा है। कश्मीर में जो 728 लोग शहीद हुए हैं उनमें से सिर्फ 70-75 पंडित हैं बाकी सब मुसलमान मारे गए हैं लेकिन फिल्म कश्मीर फ़ाइल्स में दिखाया जा रहा है कि उसमें सब के सब कश्मीरी पंडित हैं। फिल्म में इस तरह से प्रचारित किया गया है कि जैसे मुसलमान हिन्दू को मार रहा है जिसकी वजह हमारे हिन्दू भाई जब फिल्म देखते हैं तो उनका मन करता है कि मुसलमानों के खिलाफ तलवार लेकर खड़े हो जाएं और कहें कि मारो इनको। ये जालिम हैं। जबकी सच्चाई यह नहीं है। यह सब सिर्फ नफरत को बढ़ावा देने की कोशिश है। आज सभी पड़ोसी मुल्कों से हमारे ताल्लुकात खराब हो चुके हैं और मीडिया के माध्यम से ऐसा दिखाया जा रहा है कि इससे अच्छी कोई सरकार ही नहीं है। ऐसी स्थिति में मेरा यह समझना है कि जिस तरह से हमारे नेता अखिलेश यादव जी ने पाँच साल उत्तर प्रदेश में सरकार चलाई थी उस हिसाब से उन्हें अब दिल्ली जाना चाहिए। आज जरूरत है कि सभी विपक्षी पार्टियों को मिलकर खड़ा होना चाहिए। पार्टी बड़ी हो या ना हो पर देश बड़ा है। इसके लिए लोगों को अपने अहं की कुर्बानी देना चाहिए। सबको मिलकर लड़ना चाहिए ताकि जो लोग देश में नफरत फैला रहे हैं उनकी सरकार जाए।

आप अपनी पार्टी की इतनी तारीफ कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में जब आपकी सरकार थी उसके बाद से आपकी पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है? उत्तर प्रदेश में भाजपा 80-20 की बात कर रही है और असदुद्दीन ओवैसी हिन्दुत्व के खिलाफ मुस्लिम ध्रुवीकरण का प्रयास कर रहे हैं।  ऐसे में आपकी पार्टी का क्या स्टैंड होगा?

मेरी पार्टी घट नहीं रही है, बढ़ रही है। पिछली बार मेरी पार्टी की 45 सीट थी अब 110 सीट है। ओवैसी को हम लीडर नहीं मानते। वह मुसलमानों के नेता नहीं हैं। ओवैसी जो कर रहे हैं हम उसके खिलाफ हैं। हम कभी मुसलमानों को इकट्ठा नहीं करना चाहते, हम हिन्दू-मुस्लिम की एकता चाहते हैं। हम चाहते हैं कि दोनों मिलकर रहें। इस देश के तमाम हिन्दू भाई बहुत अच्छे हैं। वह नफरत के खिलाफ लड़ रहे हैं। अगर सभी हिन्दू भाजपा के साथ होते तो इनकी सीटें 500 से ज्यादा होतीं। उनके झूठ को मीडिया सच बनाने में लगी हुई है। मीडिया सरकार की दलाल हो गई है। वह गलत को सही साबित करने में लगी हुई है। दूसरी ओर पाँच-पाँच किलो राशन देकर गरीबों को बहकाया जा रहा है। उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा है।

कोरोना काल में भाजपा ने तो लोगों को राशन देकर लोगों की सबसे जरूरी आवश्यकता की पूर्ति की ?

जिसकी सरकार थी वही न राशन देगा, लेकिन जब लोग महानगरों से घर जा रहे थे तब भाजपा ने किसी की मदद नहीं की बल्कि लोगों पर पुलिस की लाठियाँ चलवाई। वहीं अखिलेश यादव जी ने लोगों को एक-एक लाख रूपये की मदद करने का काम किया।

अगर सभी हिन्दू भाजपा के साथ होते तो इनकी सीटें 500 से ज्यादा होतीं।

 

जब लोग जा रहे थे तब कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी ने लोगों को घर तक पँहुचाने के लिए बसों का इंतजाम किया। यह अलग बात है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने उन बसों को चलने नहीं दिया पर सपा की तरफ से कुछ केले-बिस्किट जरूर बांटे गए पर मदद का कोई बड़ा प्रयास देखने को नहीं मिला?

आप लोग वही देखते हैं जो मीडिया दिखाती है, जब मीडिया दिखाएगी ही नहीं तो आप लोग कैसे देखेंगे? अखिलेश जी ने बहुत काम किया पर मीडिया ने दिखाया ही नहीं।

 

 

आज समाजवादी पार्टी के जितने प्रदेश अध्यक्ष हैं उनमे आप सबसे ज्यादा ताकतवर प्रत्याशी के रूप में आप देखे जाते हैं तो हम चाहेंगे कि आप ही हमारे माध्यम से अखिलेश यादव द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताइए?

अखिलेश जी ने उस समय बहुत काम किया। हर तरह से लोगों को मदद पहुंचाई। यहाँ तक मुंबई के लोगों तक राशन पँहुचाने के लिए मुझे भी बार-बार फोन करते रहे। यहाँ पर हम लोगों ने भी हर संभव तरीके से लोगों की मदद की। चूँकि हम सरकार में नहीं हैं इसलिए सरकारी मशीनरी हमारे पास नहीं थी कि हम बहुत सुनियोजित तरीके से मदद करते। और दूसरी बात, समाजवादी पार्टी मदद करते समय कैमरे का इंतजार नहीं करती, इसलिए लोगों को हमारा प्रयास उतना नहीं दिखा, जबकि जमीनी तौर पर हमारा हर कार्यकर्ता लोगों की मदद में लगा था।

भाजपा को लेकर आपका कहना है कि वह धार्मिक नफरत फैलाने का काम करते हैं और हम भाईचारा बढ़ाने का तो क्या उत्तर प्रदेश और यहाँ महाराष्ट्र में आप अपना पैगाम लोगों तक पहुँचा पायेगे और उस पैगाम को वोट में बदल पाएंगे?

जहां तक महाराष्ट्र की बात है तो लगभग हर बड़ी पार्टी की शाखाएं मुंबई में हैं। पर, एक मात्र समाजवादी पार्टी है जो मजबूती के साथ खड़ी है। यहाँ राजद, बसपा, तृण मूल कांग्रेस, जद यू और दक्षिण की भी कई पार्टियां यहाँ पर  हैं पर सिर्फ समाजवादी  पार्टी मजबूती से लड़ रही है और चुनाव जीत रही है।

महाराष्ट्र की राजनीति में भी आपका ग्राफ कम हुआ है, क्या उसे वापस मजबूत कर पाएंगे?

बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है, बड़ा पैसा कमजोर के अस्तित्व को निगल जाता है। माफी मांगते हुए मैं कहना चाहूँगा कि आज ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जिनको हम टिकट देकर जनता के बीच में उतारते हैं और जीतने के बाद वह सत्ता की लालच में बिक जाते हैं। इस वजह से पार्टी का ग्राफ गिर जाता है।

यह भी पढ़ें….

सांप्रदायिकता और तानाशाही का जहरीला कॉकटेल है भागवत का साक्षात्कार

कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में सपा के पक्ष में  एम वाई (मुस्लिम और यादव) समीकरण चलता है पर महाराष्ट्र में सिर्फ एम (मुस्लिम) रह जाता है। यहाँ यादव का भी वोट आपको नहीं मिल पा रहा है,  इसके पीछे क्या फैक्टर है?

हाँ, यह बात सही है कि हमें जितना वोट मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है। उसकी वजह सत्ता का दबाव है। वह लोग यहाँ उतने स्टैबलिश नहीं हैं। ऐसे में भयवश वह सत्ता के साथ चले जाते हैं। कुछ इलाकों में तो भाजपा और शिवसेना के लोग इतनी गुंडई करते हैं कि हमारे उत्तर भारतीय लोगों को वोट ही नहीं देने देते।

उत्तर प्रदेश से एक बड़ी आबादी मुंबई में आती है, उनकी सुरक्षा को लेकर लगातार एक प्रश्न रहा है। पहले शिव सेना के लोगों ने उन्हें पीटा पर जब देखा कि उनका वोट काफी प्रभावी है तब उन्हें अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया, उन लोगों के बीच क्या आपकी कोई पैठ बन पा रही है ?

जब भी उत्तर भारतीय लोगों के साथ कुछ हुआ है तब समाजवादी पार्टी ने उनकी लड़ाई लड़ी है। सड़क से संसद तक हमने उनकी आवाज उठाई है जिसकी वजह से अब स्थिति में काफी अंतर आया है। यहाँ जितनी भी पार्टियां हैं, चाहे वह कांग्रेस हो, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी हो भाजपा हो या शिव सेना हो या मनसे हो, सब उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमले के खिलाफ इसलिए चुप रह जाते हैं कि उनका महाराष्ट्रियन वोट उनसे दूर न हो। इसके बावजूद हमारी पार्टी उत्तर भारतीयों के सम्मान की लड़ाई लड़ रही है। अभी मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र दिया कि यहाँ भी और और उत्तर प्रदेश में भी आपकी सरकार है। ऐसे में इनकी सुरक्षा के लिए आपको प्रयास करना चाहिए, यहाँ उत्तर भारतीय समाज की मदद के लिए उत्तर प्रदेश हाउस बनाया जाना चाहिए। कोरोना लाकडाउन के दौरान जो भयावह स्थिति पैदा की गई उससे डर कर उत्तर भारतीय समाज ने सोचा की यहाँ भूखों मरने से अच्छा है कि अपने गाँव, अपने लोगों के पास जाया जाए। उस समय यहाँ उनका हाल पूछने वाला कोई नहीं था, और जब लॉकडाउन खत्म हुआ तब सब बस भेजकर, टिकट भेज कर लोगों को बुला रहे थे। उस समय मैंने अपने मजदूर भाइयों से कहा कि तब तक कोई मत आओ जब तक कि सरकार संकट के समय का कोई समाधान नहीं निकालती। यहाँ सरकार उत्तर भारतीय लोगों के लिए हाउसिंग निर्माण की बात नहीं करती तब तक मत आओ। पर, वहाँ काम नहीं है और लॉकडाउन में उनकी जमा पूंजी भी खत्म हो गई थी जिसकी वजह से लोग आ जाते हैं। अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री यहाँ आये थे। तब उन्हें बात करना चाहिए थी लेकिन उन्होंने नहीं किया। आज देश का हर पाँचवाँ आदमी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और उसी की वजह से मुंबई और गुजरात के शहरों का डेवलपमेन्ट हो रहा है। इनका वोट सब लेना चाहते हैं पर इनकी मदद कोई नहीं करना चाहता।

यह भी पढ़ें…

रामचरितमानस आलोचना से परे नहीं है और बहुजनों को उस पर सवाल उठाना चाहिए

एक प्रश्न आपके गृह जनपद आजमगढ़ से है। आजमगढ़ में एक मंदुरी हवाई पट्टी है, जिसे अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जा रहा है जिसके लिए लगभग आठ गांवों की 670 एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने की कोशिश हो रही है और 2014 का जो भू-अधिग्रहण अधिनियम है उसको पूरी तरह से ताक पर रखकर रात में जमीन की पैमाइश हुई, जिसमें महिलाओं को भी मारा-पीटा गया। इस मामले को लेकर लगभग 100 दिन से वहाँ आंदोलन चल रहा है, वहाँ के लोग आपसे समर्थन चाहते हैं। इस अधिग्रहण के माध्यम से लगभग चार हजार घर उजाड़े जा रहे हैं जिससे तकरीबन 40,000  लोगों के जीवन पर विस्थापन का संकट आ खड़ा हुआ है। एक राजनैतिक व्यक्ति के रूप में आप उस आंदोलन को किस रूप में समर्थन देना चाहेंगे?

देखिए अभी तक मेरे पास इसके बारे में किसी तरह की न्यूज नहीं है लेकिन अब जब ज्ञात हुआ है तब आजमगढ़ में जो हमारे पूरे 10 विधायक हैं उन्हें और अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जी को पत्र जरूर लिखूँगा।

अधिग्रहण का जो कानून है उससे हटकर जमीनें नहीं अधिग्रहीत की जानी चाहिए और जिनकी जमीने हैं उनकी मर्जी के खिलाफ उनकी जमीनें लेकर एयरपोर्ट बनाना ठीक नहीं है। मैं अपनी पार्टी के जिला अध्यक्ष से बात करूंगा और इस मामले में मैं उनसे कहूँगा कि पार्टी के माध्यम से वह इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठायें।

अभी आपकी पार्टी में प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी अपनी पार्टी के साथ शामिल हुए हैं।  क्या उनके आने से राष्ट्रीय राजनीति में आपकी पार्टी को कोई फायदा होगा?

शिवपाल जी एक तजुर्बेकार नेता हैं। उन्होंने शुरू से नेता जी के साथ काम किया है। उन्हें संगठन और राजनीति दोनों का अनुभव है। उनके आने से पार्टी को हर मोर्चे पर मजबूती मिलेगी।

यह जानते हुए भी आपकी पार्टी अब तक उन्हें खारिज क्यों करती रही है?

इसका सही उत्तर तो अखिलेश जी ही दे सकते हैं।

क्या आपको नहीं लगता कि आपकी पार्टी की पूरी कार्य संस्कृति अखिलेश-केंद्रित हो गई है और अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव की तरह जनता से कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं?

मैं यहाँ बैठकर अपने राष्ट्रीय नेता पर कोई टिप्पणी करूं यह मेरे लिए जायज नहीं होगा। मैं यह जरूर कहूँगा कि नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के संघर्ष को भूलना नहीं चाहिए। नेता जी ने जिस तरह से लोगों से जुड़कर और लोगों को जोड़कर पार्टी को आगे बढ़ाया उसी तरह से आज भी जुड़ना होगा। नेता जी का परिवार भारतवर्ष का सबसे बड़ा राजनैतिक परिवार था। उसे कम नहीं होना चाहिए बल्कि बढ़ना चाहिए।

अधिग्रहण का जो कानून है उससे हटकर जमीनें नहीं अधिग्रहीत की जानी चाहिए और जिनकी जमीने हैं उनकी मर्जी के खिलाफ उनकी जमीनें लेकर एयरपोर्ट बनाना ठीक नहीं है।

 

कुछ दिन पूर्व आपके गृह जनपद आजमगढ़, जहां से अखिलेश यादव सांसद भी थे, में लोक सभा का उपचुनाव हुआ लेकिन उसमें अखिलेश यादव एक बार भी नहीं गए, जबकि मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई अपने गृह जनपद की  सीट के उपचुनाव में वह नुक्कड़ मीटिंग तक करने के लिए पँहुचते रहे जिसकी वजह से उनकी राजनीति में एक बड़ा अंतर्विरोध देखने को मिला। विधान सभा चुनाव में सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव के इस एप्रोच पर हमला करते हुए कहा भी कि अखिलेश यादव एसी में बैठकर सत्ता हासिल करने का सपना देख रहे हैं, जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी ने ओम प्रकाश राजभर से गठबंधन तोड़ लिया। अब तक के परिदृश्य में यह भी बार-बार देखा जाता रहा है कि अखिलेश यादव बड़े दिल के साथ गठबंधन करते हैं पर गठबंधन के साथ लंबी दूरी कभी भी तय नहीं कर पाते, इस तरह के अंतर्विरोध कि क्या वजह है?

आप पार्टी से निकलवाएंगे क्या मुझको(हँसते हुए)। मुझे लगता है संघर्ष करना चाहिए। मैं भी चाहता था कि अखिलेश भाई आजमगढ़ के चुनाव में आयें, वह क्यों नहीं आये इसका सही जवाब तो वही दे सकते हैं। वह इन चीजों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं, मैं एक कार्यकर्त्ता हूँ। मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।

यही बात आपकी पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता कहते हैं, ऐसा दिखता है कि आप लोग अपने नेता को सही –गलत का कोई सुझाव ही नहीं देना चाहते बस सब के सब अपने नेता के डमरू की ताल पर नाचने को ही अपना कर्तव्य मान बैठे हैं।

मेरा मानना है कि हमें अपने अगल-बगल चापलूस नहीं रखना चाहिए। हमें अपने अगल-बगल ऐसे लोगों को रखना चाहिए जो हमारी तारीफ न करें बल्कि हमारे गलत कामों की निशानदेही करें। मैंने सौ काम अच्छा किया उसे कहने के बजाय उस एक काम की बात करें जो हमने गलत किया। राष्ट्रीय सम्मेलन में भी मैंने यही बात कही। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए चापलूस जमात से आगे निकलना होगा।

अभी कुछ दिन पहले एक बड़े नेता, जो तब सपा में नहीं थे पर अब सपा में हैं, ने (चूँकि यह बात ऑफ माइक कही थी इसलिए मैं उनका नाम नहीं लूँगा) भी कहा था कि ‘अखिलेश पूरी तरह से चापलूसों से घिर गए हैं जिसकी वजह से पार्टी डूबती जा रही है।’

देखिए, मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि अखिलेश यादव चापलूसों से घिरे हुए हैं।

ठीक है यह आपका स्टेटमेंट नहीं है, पर आप लोग जो लंबे समय से राजनीति में हैं और अखिलेश यादव से ज्यादा राजनीतिक अनुभव रखते हैं, क्या वह पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए सुझाव नहीं दे रहे हैं? या कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपकी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है?

देखिए राष्ट्रीय सम्मेलन में मैंने बहुत स्पष्ट तौर पर कहा था कि , यहाँ हर नेता अखिलेश जी का खूब गुणगान कर रहा है, पर टिकट नहीं मिलेगा तो यही कोसने लगेंगे। अभी जान देने की बात कर रहे हैं, टिकट ना मिलने पर मुर्दाबाद करते दिखेंगे। पार्टी के हर नेता और कार्यकर्त्ता  को पार्टी को उसके मूल्यों के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। चापलूसी से पार्टी नहीं बढ़ेगी बल्कि अपने धर्म निरपेक्ष और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के मिशन के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

कुछ दिनों पहले आपका एक पत्र देखने को मिला था जिसमें आपने कॉनकोर के परिप्रेक्ष्य में नवरत्न कंपनियों के निजीकरण के मामले को उठाया था, जिसमें आपने आम आदमी के हित को पूंजीपतियों के हाथों में दिए जाने का विरोध किया था, क्या इस तरह के प्रश्न आप महाराष्ट्र के अंदर भी उठा  रहे हैं?

हाँ, कई बार उठाया है मैंने। चाहिए तो मैं दिखा सकता हूँ। मैं हमेशा कहता रहा हूँ कि सरकारें बिजनेस करने  के लिए नहीं होती हैं। उन्हें आम आदमी के हित के बारे में सोचना चाहिए, अगर सरकारें सब बेंच देंगी तो नौकरियाँ और आम आदमी के जीवन का स्थायित्व दोनों खत्म हो जाएगा। निजी सेक्टर की नौकरी में स्थायित्व नहीं है। वहाँ कान्ट्रैक्ट लेबर के रूप में लिया जा रहा है और कभी भी बेदखल कर दिया जा रहा है। जिसका असर यह हो रहा है कि बैचलर और मास्टर डिग्री लिए हुए लड़के आठ-दस हजार के पारिश्रमिक पर काम कर रहे हैं। यह बहुत ही दुखद है। इस सरकार ने कुछ बनाया नहीं, बस बेचने का काम कर रही है। बस जुमला चल रहा है कि देश नहीं बिकने दूंगा पर सब कुछ बिकता जा रहा है। कहते हैं देश नहीं झुकने दूंगा पर चाइना के सामने देश झुक गया है। इसे रुकना चाहिए।

धर्म के नाम पर लोगों को फँसाया जा रहा है। झूठी बातें कहकर लोगों के दिमाग में भरा जा रहा है कि हिंदुओं को मुसलमानों से खतरा है, अब बताइए कि 15% मुसलमानों से 85% हिंदुओं को भला क्या खतरा हो सकता है? कहेंगे कि औरंगजेब का नाम लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि वह हिन्दू विरोधी था।  यह नहीं बताएंगे कि औरंगजेब, जिन्हें मैं रहमत उल्ला कहूँगा, की सेना में 15% प्रतिशत से ज्यादा सिपहसालार हिन्दू थे। रहमत उल्ला, जो टोपी सिलकर पैसे कमाता था, जमीन पर सोता था उसकी शराफत के तमाम किस्से कहे जाते हैं, को हिंदुओं का दुश्मन बताते हैं। गलत हिस्ट्री बताकर लोगों के मन में नफरत भरने का काम कर रही है बीजेपी। इसी नफरत और घृणा के दम पर यह अपनी राजनीति चमका रहें है।

पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए चापलूस जमात से आगे निकलना होगा

 

इस स्थिति में भाजपा से लड़ने का क्या तरीका हो सकता है?

इससे लड़ने का तरीका यह हो सकता कि सभी सेक्युलर ताकतों को एक होना चाहिए। संविधान को मिलकर बचाया जाना चाहिए। इस देश में मुसलमान बाई चांस नहीं बल्कि बाई च्वाइस हैं। जब देश बना तब अगर यह कहा जाता कि यहाँ रहने वाले मुसलमान को अगर रहना है तो दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रहना होगा तो जिनका मन होगा रहेंगे जिनका मन नहीं होता वह चले जाते। लेकिन तब कहा गया कि सबको बराबर अधिकार मिलेगा।

क्या यह हास्यास्पद नहीं लगता कि जिसने कभी कहा कि हम मुसलमान औरतों को कब्रस्तान से निकालकर उनका रेप करेंगे वही मुख्यमंत्री बनकर तीन तलाक को खत्म कर मुसलिम महिलाओं की सुरक्षा का  तीमारदार बन रहा है? इसके बावजूद अस्मिता, सम्मान और बुनियादी अधिकार को लेकर मुसलमान इतना खामोश क्यों है?  क्या इसके पीछे कोई डर है?

खामोश नहीं है, पर आवाज में दम नहीं है। उसकी वजह है कि राजनीति में सिर गिने जाते हैं और सिर हमारे पास कम हैं।  इसके साथ कुछ बिकाऊ लोग भी हमारे बीच हैं जो अपने लाभ के लिए समाज को दांव पर लगा रहे हैं। अब ओवैसी जैसे लोगों को देखिए कि अपने आप को मुस्लिम नेता बताते घूम रहें हैं, पर धीरे-धीरे लोग जान चुके हैं कि यह सिर्फ नफरत फैलाकर हिन्दू-मुस्लिम की साझी विरासत को कमजोर करना चाहते हैं। फिर भी मैं यह पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि आज जो घृणा फैलाई जा रही है उसकी उम्र लंबी नहीं है। भारत के लोग इसका मुकाबला भी करेंगे और इसे खत्म भी करेंगे।

हमारे साथ लंबी बातचीत करने के लिए शुक्रिया।

आप आए। आपका भी शुक्रिया।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट की यथासंभव मदद करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

लोकप्रिय खबरें