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निर्देशक प्रसन्ना की तीन-दिवसीय नाट्य कार्यशाला : श्रम के साथ अभिनय सीखा प्रतिभागियों ने

नाटककार प्रसन्ना एक सहज निर्देशक हैं। उन्होंने नाटक के कथ्यों की जटिलता को बहुत ही आसानी से प्रस्तुत करने के गुर कार्यशाला में उपस्थित अभिनेताओं को बताये। कोई भी व्यक्ति एक्शन-रिएक्शन कर लेने या संवाद बोल लेने से अभिनेता नहीं बन जाता बल्कि को चरित्र को जीते हुए उसमें घुसना जरूरी होता है इसका कोई फार्मूला नहीं होता बल्कि उस तक पहुँचने के लिए अभिनय के साथ मंच पर प्रस्तुति के दौरान ध्यान रखी जानी वाली बारीक बातों को प्रसन्ना ने साझा किया।

इंदौर में याद-ए-हबीब : ‘जिन लाहौर नईं वेख्या’ ने मनुष्यता की ऊँचाई दिखायी

हबीब तनवीर को उनके ही द्वारा मंचित और निर्देशित नाटक के अंश और नाटकों में गाये गीतों के माध्यम से 10 जून 2024 को इंदौर के अभिनव कला समाज सभागृह में "याद-ए-हबीब" कार्यक्रम में याद किया। श्रोताओं और दर्शकों की संख्या सभागार की क्षमता पार कर गई थी और नीचे बैठे और खड़े हुए लोगों ने भी अपनी जगह छोड़ना गवारा नहीं किया जब तक कार्यक्रम चलता रहा।

कबीर और गांधी की विरासत को गाँव-गाँव पहुँचाती ढाई आखर प्रेम पदयात्रा

पटना। ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था के बिहार पड़ाव बापू के पदचिह्न का समापन 14 अक्टूबर को हो गया। प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय...

राजस्थान के अलवर से 28 सितंबर को निकाली जाएगी ‘ढाई आखर प्रेम’ पैदल यात्रा

नई दिल्ली। ढाई आखर प्रेम, पैदल यात्रा के संदर्भ में आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इसे प्रसन्ना (थिएटर निर्देशक, राष्ट्रीय अध्यक्ष,...

सामूहिकता से ही संभव है खेती के संकट का समाधान : विनीत तिवारी

अशोकनगर। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) एवं प्रगतिशील लेखक संघ की अशोकनगर इकाई द्वारा 2 नवंबर, 2022 को एक महत्त्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन किया...

ज़रूरत के बंधन से मुक्ति के आकाश तक 

(केरल की महिला किसानों द्वारा की जा रही साझा खेती का अध्ययन) पिछले दिनों एक पुस्तक का विमोचन दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब में हुआ जिसका...

इस अँधेरे के दौर में प्रेम की शमा को संजोना मुमकिन है

मेरे लिए ये फ़क्र की बात है कि आज यहाँ इंदौर में IPTA के ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा के समापन समारोह में...

प्रेम, दया, करुणा, बंधुत्व और समता की झलक दिखा रही ‘ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा’

2022 के आरम्भिक महीनों में पाँच राज्यों के चुनाव के बाद समूचे देश में मूल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण...

ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा : आज़ादी की लड़ाई के योद्धाओं, लेखकों और कलाकारों को करेंगे याद

छत्तीसगढ़। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) आज़ादी के 75 साल के मौके पर ‘ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा’ निकालने जा रहा है। यह...

इप्टा की ऐतिहासिक यात्रा और वर्तमान चुनौतियाँ

उषा वैरागकर आठले रायगढ़ इप्टा की प्रमुख कर्ता-धर्ताओं में से हैं । उन्होंने अनेक नाटकों में अभिनय किया और अनेकों में ऑफस्टेज काम किया।...

आज़ादी और शहीद-ए-आजम भगत सिंह

इप्टा जमशेदपुर और अन्य जन संगठन के साथियों द्वारा बीते मंगलवार की शाम को भगत सिंह को उनकी जयंती के मौके पर  शिद्दत से...

दिग्गजों की पहली फ़िल्म “धरती के लाल” पर हुई परिचर्चा का प्रीमियर 10 अगस्त को

यह फ़िल्म भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) द्वारा बनाई गई पहली फ़िल्म भी थी और 1943 के बंगाल के भीषण अकाल पर बनी पहली फ़िल्म भी थी। फ़िल्म में संगीत विश्व प्रसिद्ध संगीतकार पंडित रविशंकर ने और नृत्य निर्देशन शांतिबर्धन ने दिया था और इसकी कहानी बिजन भट्टाचार्य और कृष्ण चन्दर की लिखी थी।

इंटरनेट के ज़माने में बटनिया साहित्य और प्रेमचंद

 प्रेमचंद की कविताएं-कल एक अगस्त को मुंबई से उषा आठले ने ज़ूम मीटिंग के माध्यम से देश के अलग-अलग भागों में बैठे इप्टा और...

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