Saturday, July 27, 2024
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इंटरनेट के ज़माने में बटनिया साहित्य और प्रेमचंद

 प्रेमचंद की कविताएं-कल एक अगस्त को मुंबई से उषा आठले ने ज़ूम मीटिंग के माध्यम से देश के अलग-अलग भागों में बैठे इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्यों को जोड़ा और इसमें प्रेमचंद को एक बदले हुए समय में याद किया।।यह सच है कि बीते लंबे वक्त में प्रेमचंद पर बहुत बातें लिखी और […]

 प्रेमचंद की कविताएं-कल एक अगस्त को मुंबई से उषा आठले ने ज़ूम मीटिंग के माध्यम से देश के अलग-अलग भागों में बैठे इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्यों को जोड़ा और इसमें प्रेमचंद को एक बदले हुए समय में याद किया।।यह सच है कि बीते लंबे वक्त में प्रेमचंद पर बहुत बातें लिखी और कहीं जा चुकी है।ज़ूम मीटिंग के केन्द्रीय वक्ता प्रसिद्ध कवि, कहानीकार और नाट्य विधा से जुड़े वरिष्ठ चिंतक शरद कोकास थे।शरद जी ने प्रेमचंद की कविता के नाम से सबसे पहले चौंकाया कि प्रेमचंद ने कोई कविता लिखी ही नहीं, वो कहानी उपन्यास आलोचना निबंध लिखते रहे फिर कौन प्रेमचंद की कविता सोशल  मीडिया में संप्रेषित कर रहा है और यही से बातचीत का विषय बनता है प्रेमचंद और इंटरनेट या सोशल  मीडिया में वरिष्ठ साहित्यकारों की सही ग़लत रचनाएं, दोस्तों इंटरनेट ने जानकारी को बहुत सुलभ बना दिया है, हम सब उससे लाभान्वित होते हैं लेकिन इसने कुछ झूठे और गैरजिम्मेदार लोगों को किसी बड़े साहित्यकार का नाम अपनी रचनाओं में चस्पां कर देने का मौका उपलब्ध करवा दिया है।  दुनिया में झूठ बहुत पहले से बोला जाता रहा है लेकिन इंटरनेट ने आज की दुनिया को पोस्ट ट्रुथ अर्थात सत्य से परे कर दिया है, जिसे प्रचण्ड असत्य का युग कहा जाता है | शरद कोकास ने बताया कि आज यूट्यूब पर प्रेमचंद, हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रानंदन पंत के नाम पर किसी और की रचनाएं प्रकाशित होती है। इसी बातचीत में शरद बताते हैं कि उनकी भी एक कविता राज्यसभा में किसी नेता द्वारा दुसरे कवि के नाम से उपयोग हुई।। संज्ञान लेने पर राज्यसभा ने दुरूस्त किया, फिर सवाल उठता है कि आज सूचनाओं के महासागर में जो महाजाल डला है उसमें सत्य और असत्य की पहचान कैसे की जाये. आज की तेजी से बदलती दुनिया में उस तरह से किताबें पढ़ना संभव नहीं जैसे हमारी पूरानी पीढ़ी पढ़ती थी, बहरहाल प्रेमचंद को समझना है तो उनकी कहानियां  मानसरोवर के कई खंडों में प्रकाशित है।गोदान और रंगभूमि जैसे उपन्यास है प्रेमचंद को इस तरह से याद करना बहुत सार्थक लगा |
 बातचीत में साथी राजीव कुमार शुक्ल और नथमल शर्मा ने भी बहुत-से मुद्दे जोड़े। हमें खुशी है कि इस बातचीत में रायपुर के साथी बलराज पाठक, बिलासपुर से हबीब खान, डॉ. अशोक शिरोडे, जबलपुर से गिरीश कुमार बिल्लौरे, जमशेदपुर से अर्पिता श्रीवास्तव, बाराबंकी से आकांक्षा शर्मा जुड़ी थीं।
रायगढ़ इप्टा के युवा साथियों में भरत निषाद, अभिषेक सोनी, अजय नामदेव ने भी चर्चा में भाग लिया। रायगढ़ प्रलेस और इप्टा के वरिष्ठ साथी हर्ष सिंह, विनोद बोहिदार, युवराज सिंह, रविप्रकाश मिश्रा, संदीप स्वर्णकार, श्याम देवकर, सुमित मित्तल के साथ लगभग तीस साथियों ने चर्चा में भाग लिया।
(इप्टा रायगढ़ और प्रगतिशील लेखक संघ रायगढ़ का संयुक्त आयोजन)

 

भरत निषाद रंगकर्मी हैं और  इप्टा रायगढ़ के सचिव हैं .

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