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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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क्या भारतीय राजनीति अब भगवानों को भी जमीन पर उतार लाने में सक्षम?

यह बड़े ही दुख की बात है कि राजनीति का मूल काम लोकतंत्र  की रक्षा व जनता की समस्याओं को  मज़बूतो के साथ हल करना है किंतु हो इसका उलट रहा है। राजनीति को न लोकतंत्र की चिंता है और न जनता की चिंता, अगर कुछ चिंता  है तो वह बस सत्ता पर बने रहने की है।

छत्तीसगढ़ : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जल्द करेंगे मंत्रिमंडल का विस्तार

रायपुर (भाषा)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोमवार को कहा कि उनके मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार होगा और इसमें पुराने तथा...

राजस्थान में हफ्ते भर से ज्यादा लंबा असमंजस, नहीं तय हो रहा मुख्यमंत्री का नाम

कांग्रेस विधायक रामकेश मीणा ने भाजपा से किरोड़ी मीणा को मुख्यमंत्री बनाने का किया आग्रह  जयपुर(भाषा)। राजस्थान में मुख्यमंत्री के चयन पर संशय बने रहने...

तेलंगाना में बीआरएस के विधायक राठौड़ बापू और कांग्रेस नेता सी. कृष्ण भाजपा में शामिल

हैदराबाद (भाषा)। तेलंगाना विधानसभा चुनाव के तरीखों की घोषणाा के बाद राज्‍य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सत्‍तारुढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और...

ड्रामा बनाकर रख दिया गया महिला आरक्षण बिल क्या मोदी सरकार के लिए खतरनाक होगा

पिछले कई वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक बदले नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक के साथ संसद के नए भवन के दोनों सदनों में...

संविधान से सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म को हटाने का मतलब भारत पर हिन्दुत्व और कॉर्पोरेट का अनियंत्रित कब्जा है

वर्तमान सरकार ने संविधान के नए संस्करण में से समाजवाद और सेक्युलरिज्म शब्दों को  हटाकर नई संसद में पहले ही दिन और पहले ही अधिवेशन में अपने इरादे को स्पष्ट कर दिया है। वैसे भी इस दल की स्थापना के मूल में सवर्णों का हित सर्वोपरि है, लेकिन धीरे-धीरे संसदीय राजनीति के तकाजे को देखते हुए सतही तौर पर ही सही महिलाओं से लेकर पिछड़ी जातियों के लोगों को भी शामिल किया गया।

ख़बरदार! किसी ने इसे मोदीजी की ‘हार’ कहा तो…!

माना कि कर्नाटक में पब्लिक ने मोदी की मन की बात नहीं सुनी है। मोदीजी ने पूरे राज्य में घूम-घूमकर सुनाई, पर पब्लिक ने...

आएगा तो मोदी ही!

ये एक्जिट पोल वाले एकदम्मे पगला ही गए हैं क्या जी? बताइए, जान-बूझकर पब्लिक को झूठे सब्जबाग दिखा रहे हैं। मोदीजी के दुश्मनों के...

इस देश के ओबीसी रोते क्यों हैं, चिल्लाते क्यों नहीं? डायरी (27 सितंबर 2021)

आज पहले कुछ आखन-देखी। सुबह के करीब साढ़े आठ बजे हैं। जगह है दिल्ली का लक्ष्मीनगर मुहल्ला। बीते सवा चार वर्षों से इसी इलाके...

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