केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों से युवाओं में न सिर्फ निराशा और हताशा है बल्कि आक्रोश का एक गुबार भी उनके अन्दर है । बेरोजगार युवाओं के अन्दर का यह गुबार वोट की चोट के रूप में देखने को मिलेगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
सलेमपुर लोकसभा के किसानों से बात करते हुये यह बात स्पष्ट है कि किसानों के मुद्दे बहुत दिनों से उपेक्षित किए जा रहे हैं। साथ ही बेरोजगारी का असर भी उनके ऊपर स्पष्ट दिखने लगा है क्योंकि उनके घरों के युवा न केवल निराशा और हताशा के दौर में हैं बल्कि परिवार पर बोझ भी बनते जा रहे हैं।
वर्ष 2023 में संसद में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू हुआ, जिसमें उन्हें 33 प्रतिशत आरक्षण देने का नियम बना। महिलाओं ने जश्न मनाया और सभी दलों ने इसका स्वागत किया लेकिन जमीनी हकीकत देखें तो किसी भी राष्ट्रीय या बड़े क्षेत्रीय दलों ने इस अधिनियम के आधार पर टिकट का बंटवारा नहीं किया। देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में इसका आकलन कर इस बात की वास्तविकता देख आने वाले दिनों में राजनैतिक दलों की भूमिका पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है
पहले चरण के चुनाव के बाद से बीजेपी को हार का डर सताने लगा है। इसीलिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुलकर हिन्दू -मुस्लिम की बातें कर रहे हैं। हद तो तब हो गयी जब राजस्थान के बांसवाड़ा के चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस का घोषणापत्र माओवादी सोच को धरती पर उतारने की है।
देश के कई हिस्सों में राजपूतों की BJP से नाराज़गी की बातें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र जहां से महेश शर्मा प्रत्याशी हैं वहाँ ठाकुरों ने उनके बहिष्कार की बात की।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर चुनावी तैयारी की बात भले ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कर रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में I.N.D.I.A. गठबंधन की कमान अखिलेश यादव के हाथ में ही रहेगी।