Sunday, October 13, 2024
Sunday, October 13, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविचारधन-दौलत के पुनर्वितरण की घोषणा और मोदी की तिलमिलाहट का राज

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

धन-दौलत के पुनर्वितरण की घोषणा और मोदी की तिलमिलाहट का राज

पहले चरण के चुनाव के बाद से बीजेपी को हार का डर सताने लगा है। इसीलिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुलकर हिन्दू -मुस्लिम की बातें कर रहे हैं। हद तो तब हो गयी जब राजस्थान के बांसवाड़ा के चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस का घोषणापत्र माओवादी सोच को धरती पर उतारने की है।

19 अप्रैल को सम्पन्न हुए पहले चरण के चुनाव के बाद, जिस तरह ‘मोदी तो गयों’ का हैश टैग ट्रेंड हुआ, उससे प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के जाने का संदेश पूरे देश में फैल गया। उसके बाद अधिकांश राजनीतिक विश्लेषकों ने घोषणा कर दिया कि पहले से ही मटन– मछली– मुगल के जरिए चुनाव को धर्म की राजनीति पर केंद्रित करने में जुटे मोदी अब और शिद्दत से धर्म और विभाजन की अपनी चिरपरिचित राजनीति की ओर लौटेंगे। कुछ ने तो यहाँ तक कह दिया था कि पहले चरण का रुझान देखने के बाद मोदी पुलवामा जैसा कुछ बड़ा करने में जुट सकते हैं। लोगों की आशंका सही निकली और पहले चरण के चुनाव के एक दिन बाद उन्होंने विभाजकरी राजनीति का ऐसा अभूतपूर्व दृष्टांत स्थापित किया कि देश स्तब्ध रह गया।

कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप बता चुके मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा के चुनावी सभा में  कहा, ‘कांग्रेस का घोषणापत्र माओवादी सोच को धरती पर उतारने की है। अगर सरकार बनेगी तो हरेक की संपत्ति का सर्वे किया जाएगा। हमारी बहनों के पास सोना कितना है, इसकी जांच की जाएगी। हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है उसका हिसाब लगाया जाएगा, जो बहनों का सोना है, और जो संपत्तियां हैं, ये सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएंगी, क्या ये आपको मंज़ूर है? आपकी संपत्ति सरकार को लेने का अधिकार है क्या? क्या आपकी मेहनत करके कमाई गई संपत्ति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या?’ अपने भाषण में मोदी ने कहा, ‘पहले जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करके किसको बांटेंगे- जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे। क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंज़ूर है ये?’

मोदी ने कहा, ‘ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। भाइयों बहनों ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी मां-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे, ये यहां तक जाएंगे।’

अपने मेनिफेस्टो को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को दी चुनौती

विपक्षी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस भाषण की कड़ी आलोचना की और कहा है कि प्रधानमंत्री नफ़रत के बीज बो रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘पहले चरण के मतदान में निराशा हाथ लगने के बाद नरेंद्र मोदी के झूठ का स्तर इतना गिर गया है कि घबरा कर वह अब जनता को मुद्दों से भटकाना चाहते हैं। कांग्रेस के ‘क्रांतिकारी मेनिफेस्टो’ को मिल रहे अपार समर्थन के रुझान आने शुरू हो गए हैं। देश अब अपने मुद्दों पर वोट करेगा,  अपने रोज़गार, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए वोट करेगा। भारत भटकेगा नहीं।’

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा, ‘देश के प्रधानमंत्री ने आज फिर झूठ बोला। एक चुनाव जीतने के लिए आप झूठ पर झूठ परोसते चले जाओगे जनता को। चलिए आपकी गारंटियां झूठी, आपके जुमले झूठे, आपके वादे झूठे।’ उन्होंने कहा, ‘आप देश को हिंदू-मुसलमान के नाम पर झूठ परोसकर बांट रहे हैं। मैं चुनौती देता हूं प्रधानमंत्री को कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में कहीं भी मुसलमान और हिंदू शब्द हो तो हमें बताएं और ये चुनौती स्वीकार करें या नहीं तो झूठ बोलना बंद करें। कांग्रेस के मेनिफेस्टो में न्याय की बात है, न्याय नौजवानों के साथ, न्याय महिलाओं के साथ, न्याय आदिवासियों के साथ, न्याय श्रमिकों के साथ। उस पर प्रधानमंत्री को आपत्ति है। आपत्ति हो भी क्यों ना? हमारा न्यायपत्र प्रधानमंत्री को न्याय दिखाता है और उनके दस साल के कृत्य दिखाता है। ये पूरे दस साल इन्होंने हिंदू-मुसलमान करके खत्म कर दिए और फिर से चुनाव में हिंदू-मुसलमान लेकर आए हैं। प्रधानमंत्री को शर्म आनी चाहिए।’

उन्होंने आगे कहा, ‘झूठ बोलने और इस तरह से देश को बांटने में भी शर्म आनी चाहिए… प्रधानमंत्री जी आपके झूठ के कारण लोग हमारा मेनिफेस्टो पढ़ रहे हैं और आपके झूठ को भी उसी में ढूंढ रहे हैं कि कहां लिखा हुआ है हिंदू और कहां लिखा हुआ मुसलमान। इस तरह के शब्द हमारे मेनिफेस्टो में नहीं है। आपकी इस हल्की मानसिकता में इस तरह के बंटवारे की बात होती है। आपके दिमाग में होती है। आपके जहन में होती है। न तो हमारे मेनिफेस्टो में है, न ही हमारे संविधान में है और न ही हमारे दिमाग में है और न ही इस समाज में है। सिर्फ और सिर्फ आपकी हल्की मानसिकता में है और कहीं नहीं है।

झूठ बोलना बंद करिए प्रधानमंत्री जी। अब डेढ़ महीना बचा है। कम से कम झूठ आपको शोभा नहीं देता इस कुर्सी पर। आपसे पहले बहुत ही पढ़े लिखे महानुभाव बैठे हैं और किसी ने इस तरह का झूठ नहीं बोला है, जिस तरह से आप बोलते हैं। आपके बाद भी बहुत अच्छे लोग आएंगे। प्रधानमंत्री बनेंगे, लेकिन कोई भी इस तरह से झूठ नहीं बोलेगा। आपका नाम इतिहास के डस्टबिन में जाएगा, जिस तरह का आप झूठ बोले हैं। माफ कीजिएगा ये भाषा हम आपसे ही सीखे हैं।’ यूथ कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बीवी ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के अंश को साझा करते हुए लिखा है, ‘ये देश का दुर्भाग्य है कि ये व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री है, और उससे भी बड़ी त्रासदी है कि भारत का चुनाव आयोग अब जिंदा नही रहा।’ उन्होंने लिखा, ‘हार की बौखलाहट के चलते खुलेआम भारत के प्रधानमंत्री नफरत का बीज बो रहे है, मनमोहन सिंह जी के 18 साल पुराने अधूरे बयान को मिसकोट कर (गलत संदर्भ में इस्तेमाल करके) कर रहे है, लेकिन चुनाव आयोग (मोदी का परिवार) नतमस्तक है।’

यह भी पढ़ें…

भाजपा की नफरती राजनीति का विपक्ष को ढूँढना होगा ठोस जवाब

जिस तरह कांग्रेस ने मोदी के बांसवाड़ा वाले बयान के झूठ की धज्जियां बिखेरा और जिस तरह देश के जाने-माने बुद्धिजीवियों ने अभूतपूर्व रूप से मोदी के बयान पर थू-थू किया, उससे लगा मोदी अब उसको नहीं दोहराएंगे। किन्तु, मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने की उम्मीद में मुद्दाविहीन हो चुके मोदी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की चाह में अगले दिन अलीगढ़ की चुनावी सभा में जो कुछ कहा, उससे तय सा दिख रहा है कि वह इसे बड़ा मुद्दा बनाएंगे। अलीगढ़ में उन्होनें फिर कह दिया कि कौन कितना कयामत है, किसके पास कितनी प्रॉपर्टी,धन, मकान है, कांग्रेस इसकी जांच कराएगी। साथ में इंडिया गठबंधन को लपेटते हुए जोड़ दिया कि ‘इंडिया’ की नजर माताओं के मंगलसूत्र पर है।’

भाजपा कांग्रेस के धन–दौलत के पुनर्वितरण को मुद्दा बनाने जा रही है, इसका अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि  छतीसगढ़ के कांकर में अमित शाह ने भी मोदी की बात को आगे बढ़ाते हुए कह दिया कि, ‘कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में सबकी संपत्ति का सर्वे कराने को कहा है। देश भर मे मठ-मंदिर और सबकी संपत्ति पर कांग्रेस की नजर है। ये पैसा कहां जाने वाला है। इसके लिए मनमोहन सिंह का वो बयान याद करो, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों  पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। आदिवासी, दलित का नहीं।’ अमित शाह ने मठ- मंदिर की संपत्ति पर कांग्रेस की नजर बता कर देश के उन करोड़ों साधु-संतों को पुनः सक्रिय करने का प्रयास किया है जो मंदिर आंदोलन के जरिए मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने में बेहद अहम रोल अदा करते रहे हैं।

खैर, नफरत की राजनीति के सिरमौर और झूठों के सरदार मोदी ने जिस तरह कांग्रेस के घोषणापत्र में आए धन-दौलत  के पुनर्वितरण पर अशोभनीय टिप्पणी की है, उससे तय है कि दुनिया की नजरों में वह और गिरेंगे। क्योंकि मानव सभ्यता के इतिहास में धन-दौलत का असमान वितरण ही मानव– जाति की सबसे बड़ी समस्या रही है। यही वह समस्या है जिससे पार पाने के लिए दुनिया में गौतम, मजदक, सेनेका, पीटर चैंबरलैंड, वोल्टेयर, टॉमस स्पेन्स, विलियम गॉडविन, चार्ल्स हॉल, प्रूधो, लिंकन, मार्क्स, माओ, लेनिन, आंबेडकर, लोहिया, कांशीराम इत्यादि जैसे असंख्य महामानवों का उदय, अच्छे साहित्य का सृजन हुआ एवं अनगिनत लोगों ने प्राण विसर्जित किया।

भारत में इसे ही सबसे बड़ी समस्या मानते हुए  संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. आंबेडकर ने राष्ट्र को संविधान सौंपने के एक दिन पूर्व चेतावनी देते हुए कहा था, ‘26 जनवरी , 1950 से हमलोग एक विपरीत जीवन में प्रवेश करने जा रहे  रहे हैं। राजनीति के क्षेत्र  में मिलेगी समानता, लेकिन आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में मिलेगी भीषण असमानता। हमें जल्द से जल्द इस समस्या का खात्मा कर लेना होगा, नहीं तो विषमता से पीड़ित जनता संविधान के उस ढांचे को विस्फोटित कर सकती है, जिसे संविधान निर्मात्री सभा ने इतनी मेहनत से बनाया है।’ बाबा साहब ने जो चेतावनी दिया उससे राष्ट्र तब पार पाता जब अर्थोपार्जन की समस्त गतिविधियों में अवसरों  का  बंटवारा भारत के विविध समुदायों– एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और ब्राह्मण-क्षत्रिय और वैश्यों से युक्त सवर्णों- के संख्यानुपात में होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। खास कर मोदी राज में  सरकार की अधिकतम गतिविधियां  देश का सारी धन-संपदा सवर्णों के हाथ में देने पर केंद्रित रहने के कारण आर्थिक असमानता सारी हदें पार कर गईं, इस विषय में आई रिपोर्टें देखकर किसी भी  व्यक्ति के पसीने छूट जाएंग।

भारत में आमदनी और संपदा में असमानता पर क्या कहते हैं शोध ?

24 मार्च, 2024 को ‘भारत में आमदनी और संपदा में असमानता 1922- 2023 : अरबपति राज का उदय’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है 2014-15 और 2022-23 के बीच शीर्ष स्तर की असमानता में वृद्धि विशेष रूप से धन केंद्रित होने से पता चलती है। चर्चित अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब), लुकास चांसल( हार्वर्ड केनेडी स्कूल एंड इनइक्वालिटी लैब) और नितिन कुमार (भारत न्यूयार्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब) द्वारा लिखित इस रिपोर्ट के अनुसार’ 2022-23 तक सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों का आय और संपदा में हिस्सा ऐतिहासिक उच्चतर स्तर क्रमशः  22.6 प्रतिशत और 40.1 प्रतिशत पर था। भारत की शीर्ष एक प्रतिशत आबादी की आमदनी दुनिया में सबसे अधिक है। यह दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी अधिक है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता काफी खराब है और हाल ही में इसमें काफी गिरावट देखि गई है। भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत आबादी का आमदनी में हिस्सा ऊंचे स्तर पर है। यह संभवतः पेरू,यमन, और कुछ अन्य देशों से ही कम है!’

इसी तरह थॉमस पिकेटी, इमैनुएल सेज और गैबब्रियल जुकमैन द्वारा समन्वित जो विश्व असमानता रिपोर्ट- 2022 प्रकाशित हुई थी, उसमें बताया गया था कि 10 प्रतिशत अमीर लोगों की आय 57 प्रतिशत, जबकि शीर्ष एक प्रतिशत की 22 प्रतिशत। इसके विपरीत नीचे के 50 प्रतिशत की कुल आय का योगदान घटकर महज 13 प्रतिशत रह गया है। रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष 10 प्रतिशत वयस्क औसतन 11,66, 520 रुपये कमाते हैं जो नीचे की 50 प्रतिशत आबादी वालों से 20 गुना अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के एक परिवार के पास औसतन 9, 83, 010 रुपये की संपत्ति है, जबकि नीचे के 50 प्रतिशत वालों के पास औसतन नगण्य या 66, 280 रुपये की सम्पति है।’ वहीं ऑक्सफाम इंडिया के 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक टॉप की 10 प्रतिशत आबादी के पास 77.4 प्रतिशत, जबकि नीचे की 60 प्रतिशत आबादी के पास नेशनल वेल्थ  महज 4.8 प्रतिशत हिस्सा था।

ये आंकड़े बताते है कि मोदी राज में आर्थिक असमानता में भारी वृद्धि हुई है, जिससे भारत में मानव जाति की समस्या सबसे विकराल रूप में  कायम है। इस स्थिति से पार पाने के लिए विश्व असमानता रिपोर्ट में धन के वर्तमान पुनर्वितरण और आर्थिक असमानता से पार पाने के लिए धन के वितरण को न्याय संगत बनाने के लिए नव उदारवादी मॉडेल, नॉर्डिक इकॉनामिक मॉडेल अपनाने का सुझाव दिया गया था। लेकिन डेनमार्क, फ़िनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडेन, ग्रीनलैंड में प्रचलित ‘नॉर्डिक इकॉनामिक मॉडेल’ इतना कठिन मॉडेल है,जिसे अपनाने का साहस अमेरिका जैसा समृद्ध राष्ट्र में भी नहीं। भारत में मोदी-राज में खड़ी हुई आर्थिक असमानता से पार पाने में जो उपाय सबसे कारगर हो सकता है, उसी की घोषणा कांग्रेस ने अपने न्याय-पत्र में की है।

यह भी पढ़ें…

नस्लीय आरक्षण पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सामाजिक न्याय की मुहिम पर क्या असर पड़ेगा

भीषणतंम आर्थिक असमानता से पार पाने के लिए धन के पुनर्वितरण का नक्शा कांग्रेस के घोषणापत्र में आया है। धन के पुनर्वितरण के विषय में राहुल गांधी ने कहा है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो जाति जनगणना के अलावा देश में लोगों की संपत्ति वितरण को निर्धारित करने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी। उन्होंने इसका खुलासा करते हुए कहा है, ‘हम पहले यह जानने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराएंगे कि कितने लोग ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों से संबंधित हैं। उसके बाद हम एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएंगे। धन के वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक  ऐतिहासिक कदम है। ऐसा करके पार्टी सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी कि वह लोगों को उनका उचित हिस्सा देगी।’ उन्होंने जोर देकर कहा है कि एससी,एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की कुल आबादी 90 प्रतिशत है, लेकिन आप उन्हें नौकरियों में नहीं देखेंगे।

सच्चाई यह है कि इस 90 प्रतिशत आबादी के पास कोई हिस्सेदारी नहीं है। राहुल गांधी इसी 90 प्रतिशत आबादी का धन–दौलत और अवसरों में संख्यानुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए धन के पुनर्वितरण की योजना अपने घोषणापत्र में पेश किए है। इस पुनर्वितरण से सिर्फ मुसलमान ही नहीं दलित, आदिवासी और ओबीसी के लिए भी हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी। इस प्लान से जो घाटे में रहेंगे वे टॉप की दस प्रतिशत आबादी वाले लोग होंगे, जिनका उनकी संख्यानुपात से कई गुना धन-दौलत पर कब्जा है। यह दस प्रतिशत वाला अमीर और सक्षम तबका जब अपने संख्यानुपात पर सिमटेगा, तभी 90 प्रतिशत वंचितों को उनकी वाजिब हिस्सेदारी मिलेगी। 10 प्रतिशत वालों के उनके संख्यानुपात पर सिमटने की आशंका से ही मोदी उद्भ्रांत हो गए हैं और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ सा गया है। क्योंकि यही वह आबादी है, जिसके हित पोषण के लिए संघ ने भाजपा नामक अपना राजनीतिक संगठन खड़ा किया है। इसी के लिए वह हिन्दू राष्ट्र का सपना देखता रहा है। इसी का वर्चस्व टूटने के डर से मोदी शर्मनाक हद तक झूठ और भ्रम फैलाने के लिए अभिशप्त हुए हैं।

एच एल दुसाध
एच एल दुसाध
लेखक बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here