आज़मगढ़ के मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तार से होनेवाले आठ गाँवों के विस्थापन के खिलाफ चले लम्बे आन्दोलन और कोशिशों से पता चला है कि भारत सरकार के नागर विनानन मंत्रालय के पास इसके विस्तार की कोई योजना ही नहीं है। लालगंज के सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के एक प्रश्न के जवाब में नागर विमानन राज्यमंत्री ने कहा है कि न तो ऐसा कोई प्रस्ताव मिला और न ही विस्तार की कोई योजना है। इससे आन्दोलनकारी किसानों को राहत मिली है लेकिन सवाल उठता है कि वे कौन लोग हैं जो दो साल से इसे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाना चाहते हैं और इसके लिए किसानों से सहमति ले रहे थे? इस विडंबनापूर्ण मामले ने कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
उत्तर प्रदेश का हाइपर विकास हो रहा है। इस विकास के लिए किसानों को उनकी ज़मीनों से विस्थापित किया जा रहा है। किसान जो देश की अर्थव्यस्ठा को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं को सड़क पर लाने का पूरा इंतजाम सरकार कर रही है। इस वजह से देश के अनेक हिस्सों में किसानों के छोटे-बड़े आंदोलन चल रहे हैं।
आजमगढ़ एयरपोर्ट का उद्घाटन करने के लिए 10 मार्च को आजमगढ़ के दौरे पर पहुंच रहे हैं। सभा के लिए मैदान तैयार करने के लिए किसानों की फसलों को मशीनों से रौंदवा दिया गया।
निरहुआ ने कहा था- एयर कंपनियों ने बताया है कि एयरपोर्ट बहुत छोटा है, उड़ान नहीं हो सकती। अब निरहुआ कैसे बयान दे रहे हैं कि मंदिर उद्घाटन से पहले मंदुरी से उड़ान शुरू होगी।
किसान मजदूर 8 महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। यह धरना तब शुरू हुआ जब 12-13 अक्टूबर को एसडीएम सगड़ी, कंधरापुर थानाध्यक्ष व अन्य राजस्वकर्मीयों द्वारा भारी पुलिस बल के साथ जबरन गांव में बिना किसी सूचना के सर्वे किया जाने लगा। गैरकानूनी कार्यवाई का ग्रामीणों ने विरोध किया तो महिलाओं, बुजुर्गों को बुरी तरह से मारा-पीटा गया और दलित महिलाओं को जाति सूचक गालियां दी गईं।