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आखिर क्यों नहीं रुक रही है महिलाओं के प्रति हिंसा?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल दर साल महिलाओं पर होनेवाली घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोत्तरी नजर आती है ,महिलाओं के साथ भेदभाव और हिंसा समाज के लिए एक अभिशाप है। इस हिंसा को रोकने के महिलाओं को जागरूक एवं शिक्षित करना होगा ताकि वे अपने खिलाफ होनेवाली हिंसा का प्रतिकार कर सकें। इसमें सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आकर महिलाओं की मदद करनी होगी। लेकिन केवल जागरूकता की बात करके समाज अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकता ।

मौसम और सरकार की दोहरी मार झेल रहा किसान, आत्महत्या को मज़बूर

किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश पांचवें नंबर पर है वहीं एक बार फिर बेमौसम बारिश मध्य प्रदेश के किसानों पर कहर बनकर गिरी है। सवाल है कि निजी बीमा कम्पनियाँ और सरकार किसानों को कितनी राहत पहुंचा पाती हैं?

दहेज प्रेमी समाज औरतों की बराबरी का शत्रु है

पिछले वर्ष के आखिरी महीने में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2022 का आपराधिक आंकड़ा जारी किया। जिसमें बताया गया है कि...

महिला अपराध वार्षिकी : 2023 में भी अपराध और इंसाफ के बीच जारी रही जंग

एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार, उत्तर प्रदेश ब्लातकार की घटनाओं के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। पहले स्थान पर राजस्थान का नाम आता है। लेकिन हत्या और गैंगरेप के मामले में यूपी एक नंबर पर है। 

राजस्थान: अलवर में तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज

जयपुर (भाषा)। राजस्थान के अलवर जिले में एक युवती के साथ एक साल से अधिक समय तक बलात्कार करने के आरोप में तीन पुलिस...

कर्नाटक में 2020-22 में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध में 86 प्रतिशत की वृद्धि : एनसीआरबी

बेंगलुरु (भाषा)। कर्नाटक में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध में 2020 से 2022 तक 86 फीसदी की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो...

चित्रकूट में नाबालिग लड़की की हत्या, परिजनों ने की कार्रवाई की मांग

चित्रकूट (भाषा)। प्रदेश में योगी सरकार के तमाम नियमों के बावजूद महिला अपराध नहीं रुक रहे हैं। महिला अपराध के रोकथाम को लेकर बनाए...

सख्त क़ानून भी नहीं रोक सके रेप, राजनीतिक संरक्षण में ताकतवर हुए रेपिस्ट

साल 2012 में दिल्ली में एक रेप हुआ था। इस रेप की भयावहता ने पूरे देश में एक आन्दोलन खड़ा कर दिया। उस समय...

कंस मामा के मध्यप्रदेश की हॉरर स्टोरी

आमतौर से किसी देश की जनता में फूट, वैमनस्य और बिखराव पैदा करने के लिए उसके दुश्मन देश सैकड़ों, हजारों करोड़ रुपये खर्च करते...

चांद और मंगल पर जाने के दौर में धरती पर फ़ैल रहा अंधविश्वास का अंधेरा

जागरुकता के अभाव में गांव में निरक्षर लोग चिकित्सकीय उपचार से ज्यादा जादू-टोना, झांड़-फूंक, ताबीज और टोटकों में विश्वास करते हैं। इसकी दूसरी वजह गांव के चंद शिक्षित लोगों का भी जादू-टोना, झांड़-फूंक आदि में विश्वास करना है। हालांकि यह जरूर है कि शिक्षा और जागरुकता की वजह से नई पीढ़ियों की मानसिकता बदली है। वे अंधविश्वास व रूढ़ियों में तर्क खोजते हैं। यह इस बात को भी साबित करता है कि जब तक समाज के प्रबुद्धजनों व शिक्षित लोगों की मनःस्थिति नहीं बदलेगी, तब तक समाज से रूढ़ियां और अंधविश्वास जैसी चीजे़ं अपनी जड़े जमाई रहेगी।

किसान आत्महत्या के सरकारी रिपोर्ट्स के दावे झूठे

कृषि क्षेत्र में रोजगार लगातार घट रहा है। भारत में 1972-73 में कृषि क्षेत्र में 74 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता था, वहीं 1993-94 में 64 प्रतिशत और अब केवल 54 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है। इसी तरह, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 1972-73 में 41 प्रतिशत, 1993-94 में 30 प्रतिशत और अब घटकर मात्र 14 प्रतिशत रह गया है।

हादसा और सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता डायरी (16 सितंबर, 2021)

देश में लोकतंत्र है और अब यह देश वह देश नहीं है जो अंग्रेजों के समय था। देश में एक संविधान है और यह...

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