Friday, November 22, 2024
Friday, November 22, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमTagsPalestine

TAG

Palestine

इजरायल की क्रूरता के आगे फिलीस्तीनी बहादुरी से संघर्ष कर रहे हैं

युद्ध किसी समस्या का हल नहीं होता लेकिन दूसरे देश पर कब्जा करने की हवस युद्ध को बढ़ावा देती है। इसका खामियाजा आम नागरिकों को सहना पड़ता है। पिछले एक वर्ष से इजरायल व फिलीस्तीन के बीच चल रहे युद्द में तबाही के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ है।

मानवाधिकार की दुहाई देने वाले अमेरिका और इंग्लैंड, युद्ध में इजरायल की क्रूरता को लेकर मौन क्यों हैं?

दो देशों के बीच होने वाले युद्ध से युद्ध ग्रसित क्षेत्र में जो तबाही होती है, उससे मानव पूंजी पर तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इससे कौशल की हानि होती है, विस्थापन होता है और मानसिक आघात होता है, जिससे उबरने में वर्षों लग सकते हैं, यदि कभी उबर भी पाएं तब।

छत्तीसगढ़ में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा : खतरनाक रूप ले रहे हैं संघ-भाजपा के कारनामे

भाजपा की नीतियों को ही सरकार की नीतियों के रूप में दिमाग में बैठाने की कोशिशों का नतीजा यह है कि पुलिस और प्रशासन के विभिन्न हलकों में भाजपा की नीतियों का अंधानुकरण करने और पार्टी नेताओं तथा हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की इच्छानुसार काम करने की प्रवृत्ति पैदा हुई है। बिलासपुर की घटना में पुलिस और सरकार का रूख यही बताता है कि संविधान के मूल्यों और उसकी भावना को खत्म करने और अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए कानून को तोड़ने-मरोड़ने का काम ऊंचे स्तर से ही जोर-शोर से जारी है।

क्या आज़ाद फिलिस्तीन के संघर्ष को और मज़बूत करेगी इस्माइल हानिया की शहादत?

पूरी दुनिया में कोई देश गृह युद्ध की चपेट में है तो कहीं दो देशों के बीच सत्ता हथियाने के लिए युद्ध छिड़ा हुआ है। दुनिया में युद्ध की राजनीति इतनी विकट है कि हर कोई सुपर पावर बनना चाह रहा है। इन युद्धों से उन देशों की आर्थिक स्थिति चौपट होने के साथ, सामाजिक व राजनैतिक, सांस्कृतिक अस्थिरता पैदा हो चुकी है, युद्ध को रोकने के लिए दबाव बनाने वाला कोई संगठन नहीं है। आम नागरिक, बच्चे, स्त्रियाँ और बुजुर्ग बेवजह मारे जा रहे हैं। कल फिलिस्तीन के नेता इस्माइल हानिया की ईरान में हत्या कर दी गई। इजराइल हमास और हिजबुल्लाह के अहम् नेताओं की हत्या के ज़रिये फलिस्तीन के लिए जारी जद्दोजहद को कमज़ोर करना चाह रहा है लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा, यह तो आने वाले समय ही बताएगा

फ़िलिस्तीन की मुक्ति का स्वप्न और स्वप्न को पूरा करने की ताक़त हैं ग़सान कनाफ़ानी का लेखन

ग़सान कनाफ़ानी को याद करने की वजह सिर्फ़ यह नहीं है कि उनके साहित्य की बारीकियों को समझा जाए और उसके कलात्मक अवदान को समझा जाए बल्कि आज के दौर में कनाफ़ानी को याद करने का अर्थ है फ़िलिस्तीनी मुक्ति संघर्ष के साथ एकजुटता ज़ाहिर करना और उस फ़िलिस्तीन को बेहतर तरह से समझना जो आज लगभग आठ दशकों से इस तथाकथित आधुनिक दुनिया में इज़राएल के ज़ुल्मों को सहते हुए अपनी ही जमीन पर ग़ुलामों की तरह रहने पर मजबूर है।

केरल में कांग्रेस ने फलस्तीन के समर्थन में निकाली रैली, इजराइली आक्रामकता की निंदा की

कोझिकोड (भाषा)।  केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने फलस्तीन के समर्थन में बृहस्पतिवार को कोझिकोड जिले में एक रैली निकाली। फलस्तीनी लोगों के साथ...

ताज़ा ख़बरें