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कोटा में नीट अभ्यर्थी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, 11 महीने में सामने आया 25वां मामला
कोटा (भाषा)। राजस्थान के कोटा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के अभ्यर्थी का शव उसके किराए के आवास में फंदे से लटका...
राजस्थान में अपराह्न तीन बजे तक 55.63 फीसदी मतदान,भाजपा-कांग्रेस ने अपनी-अपनी जीत के किए दावे
जयपुर (भाषा)। राजस्थान में 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा की 199 सीट पर चुनाव के लिए शनिवार को जारी मतदान के बीच अपराह्न तीन बजे...
राजस्थान में सुबह नौ बजे तक 9.77 प्रतिशत मतदान
जयपुर (भाषा)। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को पहले दो घंटे में सुबह नौ बजे तक 9.77 प्रतिशत मतदान हुआ। निर्वाचन विभाग...
अब भाजपा में सिद्धांत नहीं, सिर्फ जीत का फार्मूला चलता है: यूनुस खान
डीडवाना,राजस्थान(भाषा)। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी लोगों में शुमार रहे पूर्व मंत्री यूनुस खान ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी...
भाजपा की सरकार आई तो कांग्रेस की सारी योजनाएं बंद कर देगी : राहुल गांधी
जयपुर (भाषा)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनी तो वह मौजूदा...
राजस्थान के गांवों में जलापूर्ति की बाधक है जाति व्यवस्था भी
भारत जैसे विशाल भूभाग पर भिन्न-भिन्न जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां देखने को मिलती है। मेघालय स्थित मासिनराम और चेरापूंजी जहां सबसे अधिक वर्षा वाले...
नफरत की फितरत है सब कुछ निगलना, वह धर्म और मजहब नहीं देखती
अमरीका के केनेडी सेंटर में 24 जून को बोलते हुए जब नरेन्द्र मोदी भारत में हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी, हर दो दिन में...
बुनियादी ढांचे की पहचान होने के बाद भी बदहाल हैं पीएचसी
भारत की एक बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को मज़बूत बनाने के लिए समय-समय पर कई...
किशोरियों के भविष्य का केंद्र बनी लाइब्रेरी
डिजिटल टेक्नोलॉजी की धमक के बावजूद कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका महत्व कभी ख़त्म नहीं होगा। इन्हीं में एक लाइब्रेरी यानि पुस्तकालय भी हैं।...
पानी की कमी से जूझते रेगिस्तान के गांव
उदयपुर, राजस्थान। गांव-गांव में नल के माध्यम से जल पहुंचाने की योजना लगातार परवान चढ़ रही है। देश के कई ऐसे राज्य हैं जहां...
बहुरूपिया कला जवानी में तो ज़िंदा है लेकिन बुढ़ापे में मर जाती है
अपर्णा -
उन्होंने बताया कि दस वर्ष की उम्र में चेहरा कच्चा था। इस वजह से वे पिता के साथ लुहारिन, सब्जी वाली और अन्य स्त्री पात्र के लिए तैयार होते थे। वह कहते हैं - ‘आज चालीस वर्ष का हो चुका हूँ। तब से लेकर आज तक सैकड़ों किरदार के लिए बहुरूपिया बन चुका है। वह समय दूसरा था और आज का समय एकदम बदल चुका है। पहले धार्मिक किरदार में शिव, हनुमान, राम जैसे पात्र बनता था, लोग खुश होते थे और सम्मान देते थे लेकिन इधर 8-9 वर्षों से हम धार्मिक किरदारों से बचते हैं।
‘स्वर्णिम युग’ और ‘महानायक’ तलाशती जातियां
बचपन में कहानियों में पढ़ा था कि कबीर के मरने पर हिन्दू और मुसलमानों के बीच उनके धर्म को लेकर झगड़ा हो गया और...