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कोटा में नीट अभ्यर्थी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, 11 महीने में सामने आया 25वां मामला

कोटा (भाषा)। राजस्थान के कोटा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के अभ्यर्थी का शव उसके किराए के आवास में फंदे से लटका मिला लेकिन कमरे से कोई ‘सुसाइड नोट’ बरामद नहीं हुआ है। यहां कोचिंग संस्थान के छात्र द्वारा की गई आत्महत्या का यह 25वां मामला है।पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का मूल […]

कोटा (भाषा)। राजस्थान के कोटा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के अभ्यर्थी का शव उसके किराए के आवास में फंदे से लटका मिला लेकिन कमरे से कोई ‘सुसाइड नोट’ बरामद नहीं हुआ है। यहां कोचिंग संस्थान के छात्र द्वारा की गई आत्महत्या का यह 25वां मामला है।पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का मूल निवासी फौरीद हुसैन (20) लगभग एक साल से यहां के एक कोचिंग संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ की तैयारी कर रहा था। वह इस वर्ष के जुलाई महीने से वाउफ नगर में किराए के मकान में रह रहा था। इस घर में कोचिंग संस्थानों के अन्य छात्र भी रहते हैं।

दादाबाड़ी पुलिस थाने के क्षेत्र निरीक्षक राजेश पाठक ने कहा कि हुसैन को आखिरी बार सोमवार को दोपहर में देखा गया था। जब वह रात आठ बजे तक अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो उसके दोस्तों ने उसे आवाज दी लेकिन उसने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद घर के मालिक को सूचना दी गई जिन्होंने पुलिस को बुलाया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ा और युवक को फंदे से लटका हुआ पाया। निरीक्षक ने कहा, ‘अभ्यर्थी के कमरे से ‘सुसाइड नोट’ बरामद नहीं हुआ और अभी तक उसके यह कदम उठाने का कारण नहीं पता चल सका है।’ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अभ्यर्थी के परिजनों के पहुंचने के बाद पोस्ट-मार्टम होगा।

कोटा में इस वर्ष किसी कोचिंग के छात्र द्वारा की गई आत्महत्या का यह 25वां मामला है। यहां 18 सितंबर को नीट की तैयारी कर रही उत्तर प्रदेश की 16 वर्ष की लड़की ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी थी। वहीं, अगस्त में छह कोचिंग छात्रों ने आत्महत्या की थी।

 देखा जाय तो पिछले कुछ वर्षों में कोटा के कोचिंग संस्थानों में नीट की तैयारी कर रहे छात्रों में अत्महत्या की प्रवृति बढ़ी हैं। इसके पीछे के कई कारण सामने नजर आते है। माँ-बाप का अपने बच्चों  से ज्यादा उम्मीद पालना । स्वतंत्र होकर पढ़ने या तैयारी करने देने के बजाय  बार-बार उन्हें (बच्चों) को टोकते  रहना कि अभी तक कुछ हुआ की नहीं ? कब तक पढ़ते रहोगे ?  कब तक हम तुम्हारी इतनी फीस भरते रहेंगे? इसके अलावा कोचिंग के शिक्षकों का दबाव अलग होता है।अपने आपको नंबर एक बनाने के चक्कर में इन संस्थानों में  छात्रों को क्लास में अपमानित भी किया जाता है। एक दो बार असफल होने की स्थिति में छात्रों के ऊपर दबाव चारों तरफ से और बढ़ने लगता है। जिसका परिणाम यह होता है कि छात्रों के सामने फांसी के फंदे के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं नजर आता और वे पढ़ाई के झंझावात से मुक्ति पाने में ही अपनी और परिवार की भलाई समझते हैं और अंत में फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।

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