राकेश टिकैत ने कहा, ‘अगर वे दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं तो चुनाव में हम भी उनको गांव नहीं आने देंगे। आंदोलन को कुचलने का काम करेंगे तो उन्हें गांव में कौन आने देगा? कील तो गांव में भी है।’
किसान आंदोलन ने मोदी-शाह की जोड़ी को झुका कर यह उम्मीद फिर जिंदा कर दी हैं कि जनता लड़ेगी, जनता जीतेगी। किसानों के आंदोलन वैश्विक वित्तीय पूंजी और कारपोरेट घरानों के पुरजोर समर्थन के साथ लाए गए कृषि काले कानूनों को रद्द कराने सहित कई किसानों के मांगे पर सरकार को झुकने पर मोदी-शाह की जोड़ी को विवश किया।