दिल्ली के ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में भले ही मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून वापस ले लिए हों लेकिन देश में किसान आंदोलन थमे नहीं हैं क्योंकि कॉर्पोरेट लूट का सिलसिला और उसको केंद्र और राज्य सरकारों का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है।
विकास और निवेश के सारे दावे खोखले साबित होते जा रहे हैं और ज़मीनों की लूट की नई साज़िशों का पर्दाफाश होने लगा है। कहीं फोरलेन और सिक्स लेन के नाम पर तो कहीं औद्योगिक क्षेत्र बनाने के नाम पर किसानों को उनकी ज़मीन से बेदखल करने की हज़ारों कहानियाँ देश में फैली हैं लेकिन गोदी मीडिया इनपर पर्दा डालने के लिए दिन रात विकास की झूठी और मनगढ़ंत कहानियाँ सुना रहा है।
कॉर्पोरेटपरस्त सरकार ने किसानों की हर समस्या को डायल्यूट कर दिया है और उसका पूरा ध्यान अपने अमीर आकाओं के हितों की रक्षा करना है। ऐसे में प्रतिदिन देश के किसी न किसी हिस्से में आत्महत्या कर रहे किसानों, बर्बाद होते जा रहे छोटे कारोबारियों और बेरोजगारी, अभाव और गरीबी के दलदल में फँसते जा रहे मजदूरों से उसे कोई लेना-देना नहीं रह गया है।
इन सबके खिलाफ उड़ीसा बरगढ़ में संबद्ध किसान संगठनों द्वारा आयोजित ऐतिहासिक राज्य स्तरीय किसान महापंचायत का आयोजन हुआ जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव बीजू कृष्ण ने किसानों से अपने अधिकारों और आत्मरक्षा के लिए बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है।
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शहर के बाहरी इलाके में स्थित सायण खेल मैदान में पहली बार आयोजित इस महापंचायत में पंद्रह हजार से अधिक किसानों की भारी भीड़ उमड़ी। प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य स्तर के किसान नेताओं ने इसमें भाग लिया और भाषण दिए।
मुख्य आकर्षण राकेश टिकैत थे, जिनका सोहेला में स्वागत किया गया और एक भव्य जुलूस के साथ उन्हें सतटेल ले जाया गया। उन्होंने देथमलयालम में वीर सुरेन्द्र साईं की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसी तरह अताबीरा किसान संगठन ने अताबीरा से बीजू कृष्णा और सुरेश पानीग्रही का स्वागत किया और उन्हें जुलूस के रूप में सभा स्थल तक लाया। बरगढ़ शहर पहुंचे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने पार्वती गिरि, महात्मा गांधी और वीर सुरेंद्र साईं की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया और भव्य जुलूस के रूप में मंच तक पहुंचे।
महापंचायत को संबोधित करते हुये भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि ‘सत्ता पर काबिज मौजूदा मोदी सरकार पूरे कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट्स के हाथों में सौंपने की लगातार साजिश कर रही है।’
उन्होंने किसानों से बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘सरकार न केवल कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने को तैयार नहीं है, बल्कि किसानों की जमीन को बड़ी कंपनियों को हस्तांतरित करने के लिए कानून में प्रावधान भी कर रही है।’
आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ उन्होंने किसान संगठनों से शराबखोरी, विवाह और अंत्येष्टि पर अत्यधिक खर्च तथा दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक आंदोलन शुरू करने का भी आह्वान किया।
समावेश का एक आकर्षण अखिल भारत किसान सभा के महासचिव बीजू कृष्णन का दिया गया भाषण था। उन्होंने पिछले महीने केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ‘कृषि बाजारों के लिए राष्ट्रीय चार्टर’ के प्रस्ताव को ऐतिहासिक किसान आंदोलन द्वारा निरस्त किए गए तीन काले कृषि कानूनों को लाने की साजिश करार दिया। उन्होंने देश भर के किसानों से एक साझा मुद्दे की लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया।
संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेताओं आशीष मित्तल, सत्यवानजी, अफ़लातून, चौधरी राजेंद्र, जयतु देशमुख, सुरेश पानीग्रही, कृष्णा मोहंती, रघुनाथ दास, अशोक प्रधान ने मुख्य भाषण देते हुए दोषपूर्ण कृषि नीतियों और कॉर्पोरेटीकरण का मुद्दा जोरदार तरीके से रखा, जिससे किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है और प्रभावित किसान अपने खेत छोड़कर अन्य राज्यों में काम करने जा रहे हैं।
वक्ताओं ने किसान आत्महत्या के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि समस्त भारत वर्ष में सभी किसानों की समस्याएं एक जैसी हैं। इस महासम्मेलन में पारित प्रस्तावों में किसानों के सभी बकाया बिजली बिल माफ करना, कृषि में उपयोग होने वाले बिजली बिल को सिंचाई के आधार पर वसूलना तथा जिला कलेक्टर के माध्यम से लाखों किसानों को तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना शामिल है।
इस किसान महापंचायत महासभा की अध्यक्षता कृष्ण मोहंती ने की, जबकि संगठन सलाहकार उत्पन्न भोई ने स्वागत भाषण दिया, लिंगराज प्रधान ने मंच का संचालन किया तथा अजीत सतपति ने उद्देश्य प्रस्तुत किए। सभी ब्लॉक संगठनों के अध्यक्ष भी उपस्थित थे।
बाद में, बार एसोसिएशन, निष्ठा परिवार एवं संकल्प परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले मित्रों की स्मृति में एवं पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से दस पौधे रोपे गए। अंत में रमेश महापात्रा ने सभी का धन्यवाद किया।