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सौ साल की यात्रा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टियां बिखर क्यों गईं
एक समय था जब कम्युनिस्ट पार्टियों का राजनीति में इतना बोलबाला था कि सत्ता में बैठी सरकार को निर्णय लेने से पहले सोचना होता था क्योंकि इनका उन दबाव होता था। इनका एक सुनहरा काल था, जब मजदूरों, किसानों के लिए आवाज़ उठाते थे। लाल झंडा देखकर बड़े-बड़े पूँजीपतियों के पसीने छूट जाते थे। पश्चिम बंगाल में 35 वर्ष शासन किये।अब केवल केरल में इनकी सत्ता बची हुई है। पार्टी के अंदर भी खालीपन आ चुका है, इनकी अनेक गलतियों के कारण भी अगली लाइन अच्छी तरह से तैयार नहीं हो पाई। स्थिति सुधरने में बरसों लगेंगे, वह तब जब इसके लिए ज़मीनी स्तर पर लगातार ठोस काम करें।
गाजा में शांति के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में ब्रिक्स की भूमिका महत्वपूर्ण : राष्ट्रपति रामफोसा
जोहानिसबर्ग (भाषा)। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने ब्रिक्स समूह के देशों से इजराइल एवं हमास के बीच न्यायसंगत और स्थायी शांति लाने...
युद्ध के कारण जान-माल को ही नहीं पर्यावरण को भी होता है भारी नुकसान
भाषा। जब सशस्त्र संघर्ष शुरू होता है, तो सबसे पहले हमारा ध्यान प्रभावित लोगों पर जाता है, लेकिन जब युद्ध रुक जाता है तब...
पंजाब, तेलंगाना और महाराष्ट्र के छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा लेने में सबसे आगे
नई दिल्ली (भाषा)। पंजाब, तेलंगाना और महाराष्ट्र देश के उन शीर्ष राज्यों में शुमार हैं, जहां से सबसे अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए...
विश्व शांति के लिए साम्राज्यवाद का अंत आवश्यक
अंतरराष्ट्रीय युद्ध विरोधी दिवस पर परिचर्चा
युद्ध मानवजाति के लिए केवल विनाश लेकर आता है, यह किसी के लिए भी हितकारी नहीं। संसाधनों पर वर्चस्व...
युद्धवीर की अगली यात्रा किधर
केन्द्र की मोदी सरकार ने अपने इस दूसरे कार्यकाल में कुछ ऐसे चौंकाने वाले फैसले लिए, जो सर्वत्र आश्चर्य तथा जनाक्रोश के कारण बने।...
यूक्रेन-रूस युद्ध का आज अंतिम दिन, लेकिन चर्चा पश्चिम बंगाल में चल रहे अजीबाेगरीब जंग की (डायरी 26 फरवरी, 2022)
पश्चिम बंगाल विधानसभा का बजट सत्र आगामी सात मार्च को शुरू होगा। जाहिर तौर पर यह एक बेहद सामान्य खबर है। लेकिन इस खबर...

