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सोनभद्र : तीस वर्ष से सड़ते हुए पानी बदबू झेलने को मजबूर नई बस्ती के निवासी
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सोनभद्र में सूख गये हैं नाले, बढ़ती जा रही है पानी की किल्लत
हर घर नल और नल में जल का दावा करने वाली डबल इंजन की सरकार की वास्तविकता सोनभद्र जिले के सुकृत और उसके आसपास के गांवों में पहुँचने पर मालूम हुई।
सोनभद्र : सिंचाई परियोजना के लिए गांव छोड़ देनेवालों के लिए पीने का पानी हुआ मुहाल
कनहर सिचाई परियोजना के विस्थापितों को आज पीने का पानी भी ठीक से मयस्सर नहीं है। विद्यालय परिसर में खराब हैंडपंप को बनवाने में विभाग कर रहा आनाकानी।
सोनभद्र : कनहर बाँध में डूबती हुई उम्मीदों का आख्यान – एक
कनहर सिंचाई परियोजना के विस्थापितों की हृदय विदारक सचाइयों को देखकर लगता है जैसे ये लोग पचास साल लंबे किसी ऑपेरा के पात्र हैं जो करुणा, विषाद, हास्य, उम्मीद और हताशा के बीच जीने के अभिशाप को चित्रित कर रहे हैं और अभी आगे यह कितना लंबा खिंचेगा इसका कोई संकेत नहीं है।
सोनभद्र के शिवेंद्र और शिवेंद्र का सोनभद्र : सोनभद्र यात्रा – 4
राही मासूम रज़ा के गाजीपुर और रुद्र काशिकेय से लेकर शिवप्रसाद सिंह, काशीनाथ सिंह और अब्दुल बिस्मिल्लाह के 'बनारसों' की तरह शिवेंद्र का अपना सोनभद्र है जिसका धूसर हरियाला सौन्दर्य और अपनी ही आबादी को न समेट पाने और बहुस्तरीय विस्थापन के शिकार होते लोगों की वंचना, उत्पीड़न और प्रतिरोध की लोमहर्षक कथाओं और उपकथाओं का अपरिमित आगार भी है। इनमें से बहुत सी चीजों को शिवेंद्र ने पकड़ा है और मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि वे सफल हुये हों या न हुये हों, यह एक साहित्यिक सवाल है, लेकिन उनकी जो कथात्मक रेंज है वह आश्चर्यचकित करती है।
देश के नागरिकों को मौलिकता का अधिकार देता है संविधान
राबर्ट्सगंज। नगर स्थित कुशवाहा भवन में मौर्य बंधुत्व क्लब द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सपा के पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा व...
खौलते दूध से नहाने के बीच सवाल कि पुष्पक विमान बना लिए तो शौचालय क्यों नहीं बना सके
अपर्णा -
क्या ये लोग सिर्फ खीर पीने और मनोरंजन करने आए हैं? खासतौर से इन दिनों जब लोगों को बदलती आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों के कारण एक अंधेरा भविष्य दिख रहा है। जब संविधान खतरे में है। युवाओं की नौकरियाँ ही नहीं सामान्य आदमी का रोजगार भी खत्म किया जा रहा है।

