बनारस के कुछ गाँवों के 60 कुम्हारों को प्रशिक्षित करके प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गई 'कुम्हार सशक्तिकरण योजना' के तहत इलेक्ट्रिक चाक दिये गए ताकि मिट्टी के बर्तन बनाने में आसानी हो लेकिन बिजली का ज्यादा दाम उनके लिए भारी पड़ रहा है। इसके साथ ही कई कुम्हार परिवारों ने इलेक्ट्रिक चाक के लिए आवेदन किया लेकिन उन्हें नहीं मिला। इलेक्ट्रिक चाक पानेवाले कुम्हार चाहते हैं कि उन्हें फिक्स रेट पर बिजली मिले या सोलर से चलने वाले चाक दिये जाएँ। पूरी योजना ही किस तरह कुम्हारों के लिए भारी पड़ रही है इसकी पड़ताल करती हुई रिपोर्ट।
वाशिंगटन (भाषा)। बिजली और इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री पर अपने काम के लिए विख्यात फैराडे ने इलेक्ट्रोलिसिस के नियम प्रस्तावित किए। उन्होंने बेंजीन और अन्य हाइड्रोकार्बन की...