आज हमारे देश के मंदिरों में अकूत संपत्ति पड़ी हुई। इस संपत्ति का भोग एक खास वर्ग ब्राम्हण ही कर रहा है। यदि धार्मिक सेक्टर में जितनी आबादी-उतना हक का सिद्धांत लागू हो जाता है तो मंदिरों के ट्रस्टी बोर्ड से लेकर पुजारियों की नियुक्ति में अब्राह्मणों का वर्चस्व हो जाएगा और वे मठों–मंदिरों की बेहिसाब संपदा के भोग का अवसर भी पा जाएंगे और आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे।
वाराणसी (भाषा)। ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सौंपने के लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) ने अदालत से शुक्रवार को 15 दिन का...