बातचीत आत्ममोह और आत्मप्रचार में डूबे लेखक आलोचना को निंदा समझते हैं! गांव के लोग Jul 9, 2021 बंगला साहित्य जिस तरह से नक्सल चेतना से भरा पूरा था वैसा हिंदी साहित्य में नहीं हुआ (बातचीत का तीसरा हिस्सा) आलोचना का काम होता है-… Read More...