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ग्राउंड रिपोर्ट

वाराणसी : बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापकों ने डिजिटल उपस्थिति के साथ अन्य मांगों के लिए किया विरोध प्रदर्शन

अध्यापकों की नियुक्ति पढ़ाने के लिए की जाती है लेकिन सरकार द्वारा सौंपे गए अनेक कामों के बाद बच्चों पर पर्याप्त ध्यान ही नहीं दे पाते। यह बात शिक्षक ने बताई। इधर सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक पर डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने का नियम लागू किया गया है। लेकिन अध्यापक लगातार विरोध कर रहे हैं। अध्यापक इसके अलावा भी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंप चुके हैं। उनका कहना है जब तक सरकार हमसे बात नहीं करती यह विरोध-प्रदर्शन बंद नहीं होगा.

आज दिनांक 15 जुलाई को प्रदेश भर में भारी संख्या में शिक्षकों ने डिजिटल उपस्थिति के विरुद्ध बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं जिला अधिकारी कार्यालय में धरना प्रदर्शन करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से शिक्षकों ने अधिकारियों के समक्ष अपनी तेरह सूत्रीय मांगे रखी और स्पष्ट संदेश दिया कि जब तक हमारी यह मांग पूरी नहीं की जाती, हम डिजिटल उपस्थिति का बहिष्कार करेंगे।

एक जुलाई को स्कूल खुलने के बाद शासन ने उपस्थिति के लिए आदेश निकाल कर 8 जुलाई से डिजिटल उपस्थिति अनिवार्य कर दी। जो सुबह 8.30 बजे तक लगा देना जरूरी था। लेकिन अनेक व्यवाहारिक परेशानियों के चलते यह संभव नहीं था। 8 जुलाई से लगातार शासन के इस निर्णय का सख्त विरोध पूरे प्रदेश में किया जा रहा है।

आज प्रदेश के अलग-अलग जिलों में धरना-प्रदर्शन किया गया। जिसमें उन्होंने अपनी  मांग पूरी करने की बात कही-

  1. बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की मांग है कि अन्य विभागों की भांति बेसिक शिक्षा के शिक्षकों को भी आकस्मिक अवकाश की श्रेणी में न्यूनतम 15  ‘हाफ डे लीव अवकाश’ का विकल्प प्रदान किया जाये। आकस्मिकता की स्थिति में शिक्षक हाफ डे लीव अवकाश का उपभोग कर सकें। बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की मांग है कि राज्य कर्मचारियों की भांति 30 अर्जित अवकाश(earned  leave)  प्रदान किया जाये यदि el  प्रदान करने में कोई विशेष विधिक समस्या है तो महाविद्यालयों के शिक्षकों की भांति बेसिक शिक्षा विभाग में भी प्रिविलेज अवकाश (PL) प्रदान किया जाये। 3. अन्य विभागों की भांति बेसिक शिक्षा विभाग में भी अवकाश के दिनों में कार्य करने पर देय ‘प्रतिकर अवकाश’ का विकल्प मानव सम्पदा पोर्टल पर प्रदान किया जाये। 4. किसी आकस्मिक घटना अथवा आपदा की स्थिति में यदि शिक्षक/शिक्षामित्र/अनुदेशक/शिक्षणेत्तर कर्मचारी आगमन हेतु निर्धारित समय के पश्चात 01 घण्टे की अवधि तक माह में पाँच कार्य दिवस विलम्ब से पहुंचने पर अर्थात माह में अधिकतम 05 घन्टे तक विलम्ब से उपस्थित होने पर सम्बन्धित को अनुपस्थित न माना जाए। 5. बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के शिक्षक/शिक्षामित्र/अनुदेशक/शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को भी राज्य कर्मचारियों की भांति निःशुल्क कैशलेश चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाये। 6. प्राकृतिक आपदा/स्थानीय स्तर पर मौसम की प्रतिकूलता तथा जनपद स्तरीय विभागीय कार्यक्रमों में प्रतिभागिता की स्थिति में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ऑनलाइन उपस्थिति से शिथिलता प्रदान करने का अधिकार प्रदान किया जाये। 7. ऑनलाइन उपस्थिति सहित पंजिकाओ का डिजिटाइजेशन सर्वर की उपलब्धता व टैबलेट के सुचारू संचालन के अधीन है। इसलिए एक समय मे अधिक लोड से सर्वर क्रैश होने अथवा टैबलेट के खराब होने पर वैकल्पिक व्यवस्था का स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाए। 9. शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो से मुक्त किया जाए तथा शिक्षकों/शिक्षिकाओं से लिए जाने वाले कार्यों की सूची जारी की जाए।

इसके अलावा आज ऑनलाइन उपस्थिति के सम्बंध में महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक महानिदेशक कार्यालय में सम्पन्न हुई।

बैठक में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में लखनऊ मंडल अध्यक्ष महेश मिश्र उपस्थित रहे। महेश मिश्र ने बैठक में  कहा कि संगठन द्वारा दिए गए मांगपत्र में उल्लिखित समस्याओं का निस्तारण होने के बाद ही ऑनलाइन उपस्थिति देने पर संगठन  विचार करेगा।

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डिजिटल उपस्थिति के विरोध में आराजीलाइन्स ब्लॉक के सभी शिक्षण संकुल का सामूहिक इस्तीफा

यह सच है कि शिक्षक से शैक्षणिक कार्य के अलावा तमाम गैर शैक्षणिक कार्य लिया जाता है किंतु उसका कोई अतिरिक्त मानदेय नहीं मिलता है और बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति देने के लिए भी तैयार है किंतु उसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं दी गई है। हां शिक्षकों के विरोध को देखते हुए सरकार ने तत्काल एक निर्णय लिया है कि शिक्षक दिन में किसी भी समय अपनी डिजिटल उपस्थिति को दर्ज कर सकता है। किंतु शिक्षकों का मानना है कि यह एक छलावा है और डिजिटल कार्यक्रम शुरू करने का एक तरीका है बाद में ससमय उपस्थित मांगी जाने लगेगी इसलिए पहले से सतर्क रहना आवश्यक है।  यदि शिक्षकों के लिए हाफ सीएल उपलब्ध नहीं है तो अचानक उसे कोई आवश्यक कार्य आ जाने या तबीयत खराब हो जाने पर वह विद्यालय कैसे छोड़ सकता है? दूसरी बात यह है कि सुबह विद्यालय आते हुए रास्ते में सड़क जाम हो जाए या रेलवे फाटक लंबे समय तक बंद हो जाए या गाड़ी खराब हो जाए तो शिक्षक निर्धारित समय से कुछ देर भी हो सकता है जिसके कारण बिना गलती वी कार्रवाई का शिकार हो जाएगा।

आज प्रदेश भर में डिजिटल उपस्थित का विरोध हुआ जिसकी चर्चा अब मीडिया से होते हुए राजनीतिक गलियारों तक भी पहुंच चुकी है। जिसमें विपक्षी दल के नेता भी अपनी राय रखने लगे हैं। किंतु सरकार की इस पर असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है।

इस डिजिटल उपस्थित के विरोध में प्रदेश भर से कई ब्लॉक के शिक्षण संकुल ऑन ने सामूहिक इस्तीफा भी दे दिया है उनका मानना है कि हमें विभिन्न विद्यालय पर जाकर अपने महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करना पड़ता है और अपने मूल विद्यालय में पहुंचने में देर भी हो सकता है, इसके साथ शिक्षक का कार्य में भी अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है अतः वे ऑनलाइन उपस्थिति में शिक्षण संकुल का कार्य नहीं कर पाएंगे।

विरोध प्रदर्शन के कारण वाराणसी में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जिला अधिकारी कार्यालय तक की सड़क करीब एक घंटे तक जाम रही और आम जनमानस को जाम से निकलने के लिए काफी समय तक इंतजार करना पड़ा।

बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों का मानना है कि हम अपनी कर्मठता के साथ शिक्षण कार्य में भाग लेते हैं और और हमारी कोशिश रहती है कि समय से 15 मिनट पहले ही उपस्थित होकर विद्यालय से सुचारू रूप से चलाया जाए लेकिन वर्तमान सरकार ने हम पर अब अविश्वास प्रकट किया है तो हम अपने स्वाभिमान की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे। जब तक हमारी मांगे सरकार पूरी नहीं करेगी हमारा धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।

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