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नागपुर में पिता द्वारा मोबाइल चलाने से रोकने पर किशोरी ने की आत्महत्या

नागपुर (भाषा)।महाराष्ट्र के नागपुर में कथित तौर पर मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल करने से रोके जाने पर एक किशोरी ने रविवार को आत्महत्या कर ली। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 16 वर्षीय लड़की के पिता ने उसे मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल नहीं करने को कहा था। उन्होंने कहा […]

नागपुर (भाषा)।महाराष्ट्र के नागपुर में कथित तौर पर मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल करने से रोके जाने पर एक किशोरी ने रविवार को आत्महत्या कर ली। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 16 वर्षीय लड़की के पिता ने उसे मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल नहीं करने को कहा था। उन्होंने कहा कि घटना शहर के हिंगना थाना क्षेत्र के मांगली गांव की है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि किशोरी लंबे समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती थी। उन्होंने बताया कि अपनी बेटी की मोबाइल फोन पर अत्यधिक निर्भरता से चिंतित पिता ने उसे इसका कम इस्तेमाल करने को कहा। उन्होंने बताया कि इस बात से नाराज लड़की ने अपने घर में आत्महत्या कर ली।

इस तरह की खबरें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। मोबाइल फोन आज की जरूरत हैं, लेकिन मोबाइल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल लोगों को बीमार बना रहा है। मोबाइल की लत एक ऐसी बीमारी है जो दिखती नहीं है लेकिन उसका प्रभाव शारीरिक और मानसिक रूप से प्रत्यक्ष रूप से होता है।

अक्तूबर 15-16 को भिलाई के सुपेला में कांट्रेक्टर कालोनी निवासी 16 वर्षीय किशोरी ने रात में अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किशोरी 11वीं की छात्रा थी। शनिवार को उसकी मां ने उसे हर समय  मोबाइल चलाने की बात को लेकर डांटा था। इसी बात से नाराज होकर उसने फांसी लगा ली। उसने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें उसने लिखा है कि मम्मी, पापा मैं आपकी अच्छी बेटी नहीं बन पाई… इसलिए मैं इस दुनिया से जा रही हूं, मुझे माफ कर देना। सुपेला पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है।

इसमें उसने अपनी मर्जी से आत्महत्या करने की बात लिखी थी। परिवार वालों से पूछताछ में पता चला कि किशोरी हमेशा मोबाइल चलाती रहती थी। इसी बात को लेकर शनिवार को उसकी मां ने उसे डांटा था, जिससे वह नाराज हो गई थी। आशंका जताई जा रही है कि उसने डांटे जाने से क्षुब्ध होकर ही फांसी लगाई होगी। पुलिस ने रविवार को शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिवार वालों को सौंप दिया है।

ऐसी ही एक घटना मुंबई में बीते नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह में देखने सुनने में  आई थी जहां एक 16 साल के बच्चे ने मोबाइल फोन न मिलने की वजह से आत्महत्या कर ली। दरअसल पिता बच्चे के ऑनलाइन गेमिंग की लत की वजह से परेशान थे। ऐसे में पिता अपने बच्चे से फोन छीन लेत है, जिससे गुस्सा होकर बच्चा आत्महत्या कर लेता है। रिपोर्ट की मानें, तो बच्चे की एक मेडिकल हिस्ट्री रही है, जहां वो फोन से दूर होने पर परेशान हो जाता था, लेकिन पिता ने बच्चे के गेम खेलने से परेशान होकर उससे फोन छीन लिया और सोने जाने को कहा, लेकिन बच्चे ने रसोई में दुपट्टे से फांसी लगा ली।

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आत्महत्या का संकट तेज गति से बढ़ रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण अवसाद भले ही हो पर इससे इतर भी अनेक कारण सामने आते रहते हैं। मोबाइल का आकर्षण अलग-अलग वजहों से बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग सबको न सिर्फ प्रभावित कर रहा है बल्कि कई बार उन्हें अपने जाल में इस तरह से  गिरफ्तार कर रहा है कि मोबाइल के सहारे वह अपनी एक आभासी  दुनिया विकसित कर लेते हैं और उससे बाहर निकलने के सारे रास्ते खुद ही बंद करने लगते हैं।

मनोविज्ञान की शोध छात्रा रश्मि  गुप्ता बताती हैं कि, ‘मोबाइल ने बच्चे से लेकर बड़े तक के हाथ में एक ऐसा संसार थमा दिया है जो उनके अनुभूत किए हुये संसार से अलग है। वह संसार पहले जिज्ञासा बस उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करता है और बाद में उस तक न पहुँच पाने की बेचैनी उन्हें कुंठित करने लगती है। इस कुंठा को दूर करने के उपाय में वह उस आभासी जादुई दुनिया के साथ भावनात्मक रूप से इतना ज्यादा जुड़ जाते हैं कि जब उन्हें बल पूर्वक उससे अलग किया जाता है तो वह भयानक अवसाद का शिकार हो जाते हैं और अपना विरोध प्रकट करने का आसान रास्ता अत्महत्या को मान लेते हैं। वह बताती हैं कि किशोरों में  अवसाद स्वयं को ऐसे तरीकों से प्रकट कर सकता है जो वयस्कों में इसकी अभिव्यक्ति से भिन्न होता है। आत्म-विनाशकारी व्यवहार की सबसे अधिक संभावना किशोरावस्था में पहली बार दिखाई देती है और इसकी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

देश में प्रतिवर्ष आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अगर हम एनसीआरबी के हवाले से  देखें तो देश में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 2022 की रिपोर्ट से देखें तो देश में  प्रतिदिन 468 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। यह आंकड़ा सामान्य नहीं है बल्कि यह डराने वाला आंकड़ा है। इसके हिसाब से 365 दिन यानि एक वर्ष में देश में 170,820  लोग आत्महत्या से मर रहे हैं। आत्म्हत्या के मामले में राज्य के तौर पर महाराष्ट्र जहां सबसे आगे है वही शहर के रूप में दिल्ली नंबर वन पर है।

पिछले तीन वर्षों में प्रकाशित कई अध्ययनों पर आधारित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर COVID-19 महामारी के गंभीर प्रभाव के बाद दुनिया भर में आत्महत्या की घटना काफी बढ़ गई है। आमने-सामने के रिश्तों में अचानक व्यवधान, आभासी बातचीत और इलेक्ट्रानिक गैजेट खासतौर पर मोबाइल का  गहरा प्रभाव पड़ा है। जिसकी वजह से चिंता, अवसाद और अन्य प्राथमिक नकारात्मक भावनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि सामाजिक अलगाव और अकेलेपन के कारण COVID-19 महामारी के दौरान आत्महत्या की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है, उनके परिणाम स्वास्थ्य देखभाल संगठनों द्वारा दर्ज किए गए परिणामों के अनुरूप हैं। 2020 में, अमेरिका में 12-17 आयु वर्ग के युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन विभाग (ईडी) का दौरा 2019 की तुलना में 31% बढ़ गया। इसके अलावा, 21 फरवरी और 20 मार्च 2021 के बीच, संदिग्ध आत्महत्या के प्रयासों के लिए ईडी का दौरा 50.6% अधिक था। 12-17 वर्ष की आयु की लड़कियों में और 2019 14 की इसी अवधि की तुलना में उनके पुरुष साथियों में 3.7% अधिक है।

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