इस वर्ष देश में अप्रैल से जून के बीच में भीषण गर्मी पड़ने वाली है। बीते दिवस 1 अप्रैल को भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले महीनों का मौसम संबंधी पूर्वानुमान जारी किया है।
IMD के अनुसार मध्य और पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर बढ़ते तापमान का सबसे बुरा असर पड़ने वाला है। इस वर्ष अप्रैल-जून के बीच देश के अधिकांश मैदानी हिस्सों में हीटवेव (लू) के दिनों की संख्या सामान्य से अधिक होगी।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने पत्रकार सम्मेलन में जानकारी देते हुए बताया, ‘अप्रैल-जून के बीच अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा, इस कारण हीटवेव के दिनों की संख्या बढ़ने की संभावना है।’
IMD के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्यतः 4 से 8 दिन तक चलने वाली लू इस वर्ष 10 से 20 दिनों तक चल सकती हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरी कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तरी छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में पड़ेगा।
आपको बता दें कि बीते वर्ष जून माह में हीटवेव के कारण सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार में ही 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
आम चुनाव की सरगर्मियों के बीच मौसम की चुनौती
पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने मीडिया को संबोधित करते हुए जानकारी दी, ‘आम चुनावों के दौरान भारत में चरम मौसम की स्थिति रहने का अनुमान है। यह हम सभी के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाला है इसलिए भारत के लिए पहले से ही तैयारी करना नितांत आवश्यक है।’
भारत में आम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। राजनीतिक माहौल पहले से ही गरमाया हुआ है। देश में बढ़ते हुए राजनीतिक तापमान के समानांतर मौसम का तापमान भी बढ़ रहा है। ED और CBI की कार्रवाइयों के खिलाफ विपक्ष लामबंद हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी भी मेरठ से अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत कर चुके हैं। चुनाव प्रचार करने वाले नेताओं और वोट डालने वाले मतदाताओं दोनों को ही यह बढ़ती हुई गर्मी परेशान करेगी।
बढ़ता तापमान ग्रामीण जीवन पर डालता है बुरा असर
लगातार बढ़ रहा तापमान ग्रामीण जीवन पर बुरा असर डालता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। अधिक तापमान गेहूं और धान दोनों ही फसलों की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अधिक तापमान में फसलें झुलसने लगती हैं। वनाग्नि की घटनाएं तेजी से बढ़ती हैं।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की नई रिपोर्ट बताती है, ‘भीषण गर्मी के दिनों में गैर गरीब किसान के मुकाबले गरीब किसान परिवारों की आमदनी में 2.4 प्रतिशत का नुकसान होता है, जो उनकी फसलों से होने वाली आय का 1.1 प्रतिशत और गैर कृषि आय का 1.5 प्रतिशत होता है।’
अधिक तापमान और गर्मी में खेती करने के लिए पानी की माँग में वृद्धि होती है और जल संसाधन प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही अधिक तापमान और गर्मी उपलब्ध जल स्त्रोतों के सूखने का कारण बनते हैं।
स्टॉकहोम जल पुरस्कार विजेता 2015 एवं पानी के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले डॉ. राजेंद्र सिंह के अनुसार, ‘भारत के 30% गाँव (लगभग 87000 गाँव) जल संकट से जूझ रहे हैं’ ऐसे में बढ़ता तापमान इस समस्या को और विकराल बना सकता है।