डॉ गुलाबचन्द यादव अपने यात्रा-वृत्तान्तों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनकी हर यात्रा में आने वाले छोटे से छोटे पड़ाव , लोग और घटनाएँ सूक्ष्म ब्योरों के साथ दर्ज होती हैं। उनकी अब तक छपी दो पुस्तकों को इन्हीं यात्रा-वृत्तान्तों की वजह खासतौर से जाना जाता है। अपर्णा के साथ इस बातचीत में गुलाब जी ने अपने बचपन के गाँव और मुंबई में अपनी शिक्षा, साहित्य की ओर पनपी रुझान, सरोकारों और आजीविका को लेकर किए जाने वाले संघर्ष पर विस्तृत संवाद किया है। गुलाब जी आईडीबीआई बैंक में उपमहाप्रबंधक राजभाषा के पद पर मुंबई में कार्यरत हैं। हिन्दी भाषा के वर्तमान हालात को जानने के लिहाज से उनकी इस बातचीत का विशेष महत्व है।
हिंदी की हालत लगातार कमज़ोर होती जा रही है
डॉ गुलाबचन्द यादव अपने यात्रा-वृत्तान्तों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनकी हर यात्रा में आने वाले छोटे से छोटे पड़ाव , लोग और घटनाएँ सूक्ष्म ब्योरों के साथ दर्ज होती हैं। उनकी अब तक छपी दो पुस्तकों को इन्हीं यात्रा-वृत्तान्तों की वजह खासतौर से जाना जाता है। अपर्णा के साथ इस बातचीत […]