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धारावी परियोजना : अडाणी समूह के खिलाफ मार्च का नेतृत्व करेंगे उद्धव ठाकरे

मुंबई (भाषा)। ‘धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए अडाणी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए कई संदिग्ध निर्णय लिए गए हैं। इसमें टीडीआर (हस्तांतरणीय विकास अधिकार) बिक्री प्रावधान भी शामिल है, जिससे अडाणी समूह को काफी फायदा होगा।’ उक्त बातें मंगलवार को एक संवाददाता सम्मलेन में शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने व्यक्त किए। वह 16 […]

मुंबई (भाषा)। ‘धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए अडाणी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए कई संदिग्ध निर्णय लिए गए हैं। इसमें टीडीआर (हस्तांतरणीय विकास अधिकार) बिक्री प्रावधान भी शामिल है, जिससे अडाणी समूह को काफी फायदा होगा।’

उक्त बातें मंगलवार को एक संवाददाता सम्मलेन में शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने व्यक्त किए। वह 16 दिसंबर को अडाणी समूह के मुंबई कार्यालय तक एक मार्च का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने दावा किया कि सरकार धारावी पुनर्विकास परियोजना के मामले में स्पष्ट रूप से व्यापारिक समूह का पक्ष ले रही है।लगभग 300 हेक्टेयर जमीन पर फैले इस बस्ती पर महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई में औपचारिक रूप से 259 हेक्टेयर की धारावी पुनर्विकास परियोजना को अडाणी समूह की कंपनी को सौंपा था। ठाकरे ने सवाल किया कि क्या राज्य सरकार एशिया के इस विशाल झुग्गी बस्ती धारावी के निवासियों की कीमत पर अडाणी समूह को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा कि धारावी पुनर्विकास परियोजना के बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध है, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि क्या सरकार धारावी निवासियों की कीमत पर अडाणी को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

शिवसेना (यूबीटी) की सहयोगी कांग्रेस ने पिछले महीने मुंबई में एक विरोध रैली आयोजित की थी, जिसमें कार्य आदेश जारी करने में ‘विसंगतियों’ का आरोप लगाते हुए धारावी पुनर्विकास परियोजना के अनुबंध को रद्द करने की मांग की गई थी।

इस परियोजना में मध्य मुंबई में बीकेसी व्यापार जिले के पास स्थित धारावी झुग्गी बस्ती का पुनर्निर्माण शामिल है। 20,000 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व वाली इस परियोजना को पूरा करने का ठेका पिछले साल नवंबर में प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से अडाणी प्रॉपर्टीज ने हासिल किया था। रियल्टी क्षेत्र की कंपनी डीएलएफ और नमन डेवलपर्स भी स्पर्धा में शामिल थी।

धारावी के बारे में

उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई के मध्य स्थित धारावी को एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी के रूप में भी जाना जाता है। यहां एक-एक कमरे में परिवारों की दुनिया बसी है। अडानी समूह ने 5,690 करोड़ रुपये की बोली लगाकर इस परियोजना को हासिल किया है। इसलिए कहा जा सकता है कि धारावी री-डेवलपमेंट का रास्ता अब साफ़ हो गया है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। धारावी में 60 हज़ार से ज़्यादा झोपड़ियों में 10 लाख से ज़्यादा लोग रहते हैं। इसके अलावा धारावी में 13 हज़ार से ज़्यादा लघु उद्योग भी चलते हैं। धारावी में चमड़े का बड़ा बाज़ार है। हाथ से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार भी धारावी में बसे हैं। यहां कुम्हारों के क़रीब ढाई हज़ार घर हैं।

कैसे लागू होगी री-डेवलपमेंट

स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए) के अनुसार, मुम्बई की क़रीब 48.3 फ़ीसदी आबादी स्लम में रहती है। एसआरए मुंबई में किसी भी स्लम क्षेत्र के विकास और पुनर्वास के लिए ज़िम्मेदार है। धारावी की री-डेवलपमेंट परियोजना भी एसआरए के नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार लागू की जाएगी। धारावी री-डेवलपमेंट परियोजना अब एसआरए के तहत काम कर रही है। आगे की प्रक्रिया के लिए दोनों प्राधिकरण और अडानी समूह मिलकर काम करेंगे। यानी इन तीनों के सहयोग से धारावी में निर्माण परियोजना के कार्यान्वयन, बुनियादी ढांचे के विस्तार और लोगों के पुनर्वास का काम होगा। धारावी परियोजना में यहाँ की झुग्गियों का री-डेवलपमेंट एकमात्र प्रमुख मुद्दा नहीं है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती छोटे उद्योगों, असंगठित, संगठित श्रमिकों और विभिन्न जातियों और धर्मों के समुदायों के सहयोग से इस परियोजना को लागू कराना है।

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