थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से लगातार शून्य से नीचे बनी है यानी इसमें गिरावट जारी है। सितंबर, 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 10.55 प्रतिशत पर थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि सालाना आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में जारी गिरावट का कारण खाद्य कीमतों के दाम में तेजी से कमी आना है। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति पिछले दो महीनों में दहाई अंक में रहने के बाद, सितंबर में घटकर 3.35 प्रतिशत हो गई। अगस्त में यह 10.60 प्रतिशत थी।
सब्जियों की महंगाई में गिरावट रही और यह शून्य से नीचे 15 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह 48.39 प्रतिशत थी। आलू की बात करें तो सितंबर में यह शून्य से नीचे 25.24 प्रतिशत रही, जबकि पिछले महीने में यह शून्य से नीचे 24.02 प्रतिशत थी।
हालांकि, सितंबर में दालों, प्याज, दूध और फलों जैसे खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में कुछ तेजी देखी गई। सितंबर में दालों में मुद्रास्फीति 17.69 प्रतिशत थी, जबकि प्याज में यह 55.05 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर रही।
ईंधन व बिजली खंड की मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 3.35 प्रतिशत नीचे रही, जो अगस्त में शून्य से 6.03 प्रतिशत नीचे थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 1.34 प्रतिशत नीचे रही। अगस्त में यह शून्य से 2.37 प्रतिशत नीचे थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ‘सितंबर 2023 में मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में रासायनिक तथा रासायनिक उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, बुनियादी धातुओं व खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति कम हुई।’
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं ईएम (उभरते बाजार) एशिया अर्थशास्त्र के प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति में नरमी बनी रहने और सब्जियों की कीमतों में गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है। हालांकि विनिर्मित उत्पादों के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में क्रमिक वृद्धि पर नजर रखनी होगी….।’
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की ओर से पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर घटकर तीन महीनों के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत पर आ गई। सब्जियों एवं ईंधन की कीमतें कम होना इसकी मुख्य वजह रही।
इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2023-24 के लिए थोक मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है।
केंद्रीय बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार चौथी बार प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रखा था। आरबीआई ने खुदरा महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया दो पैसे बढ़कर 83.28 पर
मुंबई। (भाषा) रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दो पैसे बढ़कर 83.28 (अस्थायी) के स्तर पर बंद हुआ। भू-राजनीतिक तनाव के बीच रुपये ने सीमित दायरे में कारोबार किया।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि सकारात्मक व्यापक आर्थिक आंकड़ों से रुपये को समर्थन मिला। दूसरी ओर भू-राजनीतिक तनाव ने रुपये की बढ़त को सीमित किया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.25 पर खुला और दिन के कारोबार में इसने 83.24 के ऊपरी और 83.28 के निचले स्तर को छुआ। कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले दो पैसे बढ़कर 83.28 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले छह पैसे गिरकर 83.30 पर बंद हुआ था।
वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से रुपये पर दबाव बना, जबकि अनुमान से कम थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़ों से स्थानीय मुद्रा को मजबूती मिली। शुक्रवार को कुछ एफआईआई की खरीद ने भी रुपये को समर्थन दिया।
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के हमास-इजराइल संघर्ष को रोकने के लिए कदम उठाने के बाद अमेरिकी डॉलर में थोड़ी नरमी आई। चौधरी ने कहा कि आने वाले दिनों में वैश्विक बाजारों में जोखिम की आशंका और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण रुपया दबाव में रह सकता है। दूसरी ओर पश्चिम एशिया में तनाव कम होने से रुपये को समर्थन मिल सकता है।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत गिरकर 106.51 पर आ गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.08 प्रतिशत गिरकर 90.82 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। घरेलू शेयर बाजारों में बीएसई सेंसेक्स 115.81 अंक या 0.17 प्रतिशत गिरकर 66,166.93 अंक पर बंद हुआ। व्यापक एनएसई निफ्टी 19.30 अंक या 0.1 प्रतिशत गिरकर 19,731.75 पर आ गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 317.01 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
नयी दिल्ली(भाषा)। थोक मुद्रास्फीति में सितंबर में लगातार छठे महीने गिरावट आई और यह शून्य से नीचे 0.26 प्रतिशत रही। हालांकि थोक महंगाई दर में गिरावट की दर जरूर कम हुई है। अगस्त में इसमें 0.52 प्रतिशत की कमी आई थी।