अठाहरवीं लोकसभा के लिए शपथ ग्रहण हो चुका है। नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। भाजपा ने बहुमत से 32 सीट कम याने 240 सीटों पर ही जीत हासिल की। लेकिन दो बड़े दलों टीडीपी और जेडीयू के साथ एनडीए के अन्य घटक दलों के समर्थन से सरकार बन गई।
राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया पर चल रही तमाम अटकलों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े ही आराम से अपने मंत्रिमंडल का चयन मन मुताबिक कर लिया मगर लोकसभा अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया में अभी भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या मोदी मंत्रिमंडल की तरह अपने मन मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष बना पाएंगे? दूसरा सवाल कि क्या ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष बनेंगे?
इन अटकलों के लगने का कारण है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया। भाजपा ने अन्य दलों का समर्थन लेकर अपनी सरकार बनाई है। वर्ष 2019 की अपेक्षा विपक्ष अधिक मजबूत होगा। कांग्रेस एक दशक बाद 99 सांसदों के साथ संसद में होगी और इनका विपक्ष का नेता भी बैठेगा। क्या कांग्रेस विपक्ष के तौर पर लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए भी अपना दावा ठोकेंगे?
सवाल यह उठता है कि क्या भारतीय जनता पार्टी सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करवा पाएगी और परंपरा के अनुसार क्या सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देगी?
2019 में संसद के भीतर लोकसभा का उपाध्यक्ष नहीं चुना गया था। कांग्रेस के लोकसभा में कम सांसद होने के कारण विपक्ष का नेता चुनने का अधिकार भी उन्हें नहीं मिला था?
2019 में लोकसभा में संसद के भीतर लोकसभा उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता का पद खाली था मगर 2024 में ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है कि यह दोनों पद खाली रहेंगे क्योंकि इस बार कांग्रेस के पास विपक्ष का नेता बनने के लिए मजबूत आधार है और साथ ही विपक्ष के पास अपना लोकसभा उपाध्यक्ष बनवाने के लिए भी मजबूत जन आधार है?
ऐसे में क्या भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वसम्मति से अपना लोकसभा अध्यक्ष का चुन कर उन्हें कुर्सी दिलवा पाएंगे?
राजनीतिक गलियारों में खबरें तो यह भी तैर रही हैं कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की मांग है कि लोकसभा अध्यक्ष उनके दलों से चुना जाए।
ऐसे में क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने खास पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप पाएंगे या नहीं, यह देखने वाला मामला होगा।
और क्या विपक्षी सांसद 2019 मैं संसद के भीतर हुए उनके अपमान को भूल कर, ओम बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने का मौका देंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का गठन तो आराम से कर लिया है मगर लोकसभा अध्यक्ष को लेकर पेंच अभी भी फँसता हुआ नजर आ रहा है?
क्या लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव पर सर्वसम्मति बनेगी यह सवाल अभी भी बरकरार है ?