Saturday, July 27, 2024
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पर्यावरण

बिहार : देश में स्वच्छता अभियान का असर स्लम बस्तियों पर दिखाई नहीं देता

देश के प्रधानमंत्री ने देश को साफ-सुथरा रखने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाया। इस अभियान के तहत घर-घर कूड़ा इकट्ठा करने के लिए गाडियाँ जाने लगीं। लेकिन इसके बाद भी हर शहर के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां न कूड़ा लेने वाली गाड़ियां जाती हैं न ही साफ-सफाई वाले आते हैं। ऐसे में वहाँ रहने वाले गंदगी में रहने को मजबूर हैं। इससे एक बात सामने आती है कि केवल कुछ इलाकों को साफ किया जाता है बाकी को नहीं।

अरुणाचल में मेगा बांध परियोजनाओं में प्रस्तावित और तैयार बांध प्रकृति के लिए खतरा – सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

इधर लगातार बारिश से पहाड़ी इलाकों में तबाही की स्थिति बढ़ती ही जा रही है। इसके बावजूद अरुणाचल प्रदेश में 169 से ज़्यादा प्रस्तावित बांध हैं, जो प्रकृति का दोहन करेंगे और लोगों के लिए ख़तरा बनेंगे। सरकार को वहाँ के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क होना जरूरी है।

उत्तराखंड : विकास के जुनून में पर्यावरण और स्थानीय आबादी को बर्बाद करने की परियोजना

प्राकृतिक रूप से समृद्ध उत्तराखंड के जंगल प्राकृतिक आपदाओं के साथ मनुष्यजनित नुकसान के कारण खत्म होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से हिमालय की तराई वाले क्षेत्रों में इस बार गर्मी मैदानी इलाकों के जैसे ही पड़ी। गर्मियों में सबसे ज्यादा खतरनाक जंगलों में आग लगना है, जिसके कारण जंगल में रहने वाले जीव-जन्तु तो मरते ही हैं, मनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है। उत्तराखंड के जंगलों से विद्याभूषण रावत की ग्राउन्ड रिपोर्ट

पर्यावरण : आग की भट्ठी बना देश का अधिकांश हिस्सा, 37 शहरों में तापमान 45 से ज्यादा

देश के बड़े हिस्से में रविवार को भीषण गर्मी का कहर देखने को मिला और 37 शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। भीषण गर्मी के चलते ही महाराष्ट्र के अकोला में प्रशासन ने सार्वजनिक समारोहों पर लगाई रोक लगा दी है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाले दो-तीन दिनों में राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

रासायनिक खेती से निजात पाना संभव है ? कॉर्पोरेट, बाजार और मुनाफे के खेल में धूमिल हो रहीं जैविक खेती की संभावनाएं

1960 के दशक तक आत्मनिर्भर भारतीय किसान आज पूरी तरह से रासायनिक खाद, कीटनाशक, बीज, कृषि उपकरण, सिंचाई के यंत्र, बांध, बिजली बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ऊपर निर्भर हो गया है। जैविक खेती का सीधा संबंध बीज और पशुपालन से है। बिना बीज, पशुपालन और बागवानी के जैविक खेती की कल्पना करना ख्याली पुलाव पकाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।

बिहार : देश में स्वच्छता अभियान का असर स्लम बस्तियों पर दिखाई नहीं देता

देश के प्रधानमंत्री ने देश को साफ-सुथरा रखने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाया। इस अभियान के तहत घर-घर कूड़ा इकट्ठा करने के लिए गाडियाँ जाने लगीं। लेकिन इसके बाद भी हर शहर के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां न कूड़ा लेने वाली गाड़ियां जाती हैं न ही साफ-सफाई वाले आते हैं। ऐसे में वहाँ रहने वाले गंदगी में रहने को मजबूर हैं। इससे एक बात सामने आती है कि केवल कुछ इलाकों को साफ किया जाता है बाकी को नहीं।

अरुणाचल में मेगा बांध परियोजनाओं में प्रस्तावित और तैयार बांध प्रकृति के लिए खतरा – सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

इधर लगातार बारिश से पहाड़ी इलाकों में तबाही की स्थिति बढ़ती ही जा रही है। इसके बावजूद अरुणाचल प्रदेश में 169 से ज़्यादा प्रस्तावित बांध हैं, जो प्रकृति का दोहन करेंगे और लोगों के लिए ख़तरा बनेंगे। सरकार को वहाँ के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क होना जरूरी है।

उत्तराखंड : विकास के जुनून में पर्यावरण और स्थानीय आबादी को बर्बाद करने की परियोजना

प्राकृतिक रूप से समृद्ध उत्तराखंड के जंगल प्राकृतिक आपदाओं के साथ मनुष्यजनित नुकसान के कारण खत्म होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से हिमालय की तराई वाले क्षेत्रों में इस बार गर्मी मैदानी इलाकों के जैसे ही पड़ी। गर्मियों में सबसे ज्यादा खतरनाक जंगलों में आग लगना है, जिसके कारण जंगल में रहने वाले जीव-जन्तु तो मरते ही हैं, मनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है। उत्तराखंड के जंगलों से विद्याभूषण रावत की ग्राउन्ड रिपोर्ट

पर्यावरण : आग की भट्ठी बना देश का अधिकांश हिस्सा, 37 शहरों में तापमान 45 से ज्यादा

देश के बड़े हिस्से में रविवार को भीषण गर्मी का कहर देखने को मिला और 37 शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। भीषण गर्मी के चलते ही महाराष्ट्र के अकोला में प्रशासन ने सार्वजनिक समारोहों पर लगाई रोक लगा दी है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाले दो-तीन दिनों में राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

रासायनिक खेती से निजात पाना संभव है ? कॉर्पोरेट, बाजार और मुनाफे के खेल में धूमिल हो रहीं जैविक खेती की संभावनाएं

1960 के दशक तक आत्मनिर्भर भारतीय किसान आज पूरी तरह से रासायनिक खाद, कीटनाशक, बीज, कृषि उपकरण, सिंचाई के यंत्र, बांध, बिजली बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ऊपर निर्भर हो गया है। जैविक खेती का सीधा संबंध बीज और पशुपालन से है। बिना बीज, पशुपालन और बागवानी के जैविक खेती की कल्पना करना ख्याली पुलाव पकाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।

जलवायु परिवर्तन : कोरोना की मार से नहीं उबरे थे पान किसान, अब बेमौसम बारिश ने तोड़ी कमर

मध्य प्रदेश के कई जिले पान की खेती के लिए मशहूर रहे हैं लेकिन कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन से पान का उत्पादन करने वाले किसान आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं, वहीं अप्रैल महीने की शुरुआत में हुई बेमौसम बारिश ने पान किसानों की कमर तोड़ दी। क्या पारम्परिक रूप से पान की खेती करने वाले किसान पान की खेती छोड़ अन्य कामों की ओर रुख कर रहे हैं?