Sunday, July 6, 2025
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राजस्थान : केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से भी नहीं हुई धुआँ मुक्त रसोई

2016 में केंद्र सरकार की शुरू की गई उज्ज्वला योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग में लाभार्थियों के आँकड़े करोड़ों में दिखते हैं लेकिन जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। एक बार लोगों को सिलेंडर जरूर मिले लेकिन दुबारा गैस भरवाने के लिए पैसे न होने की वजह से चूल्हे पर ही खाना पकाने का काम गाँव की महिलाएं कर रही हैं। परिणाम आज भी इन्हें धुएं झेलते हुए खाना बनाना पड़ रहा है, जो इन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

महिलाओं की तरक्की का रास्ता भी हैं पक्की सड़कें

किसी भी शहर या गाँव के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ विकास की पहली शर्त वहाँ पक्की सड़क का होना होता है। अच्छी सड़क उस गाँव या शहर तक लोगों की पहुँच आसान बनाती है। सड़क की कमी का सबसे ज्यादा असर वहाँ की महिलाओं के आगे बढ़ने में बाधक होती हैं। पक्की सड़क बाहर की दुनिया से जोड़ती है। दरअसल रास्ते का वीरान होना, अंधेरा होना और 'रात को मत निकलो' जैसे वाक्य ये सब किसी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से कहीं ज्यादा, महिलाओं को ‘घर तक सीमित’ रखने वाली सोच का हिस्सा नजर आता है।

राजस्थान : रोजी-रोटी की तलाश में स्ट्रीट वेन्डर कर रहे हैं चुनौतियों का सामना

देश में रोजगार का बड़ा संकट शिक्षित लोगों के लिए तो है ही लेकिन जो अशिक्षित हैं, उन्हें भी रोजगार के लिए रास्ते तलाशने पड़ते हैं। उनमें से बहुत से लोग सड़क किनारे या घूम घूम कर सामान बेचने का काम करते हैं लेकिन उससे इतनी कमाई नहीं हो पाती है कि रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो पाए। बहुत से परेशानियों के बाद भी ए संघर्ष कर जीवन चलाते हैं।

राजस्थान : किसी भी रोज़गार में निरंतरता और स्थायित्व जरूरी है

रोजगार के हर क्षेत्र में महिलाएं मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। चाहे वह छोटी-सी चाय की दुकान हो, कपड़े प्रेस करने का काम हो, साप्ताहिक बाजार में कपड़े और घरेलू सामान बेचना हो या फिर बागवानी करना - हर जगह महिलाएं न केवल काम कर रही हैं, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही हैं। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं है। इन महिलाओं को हर दिन कई समस्यायों का सामना करना पड़ता है।

राजस्थान : पहचान के लिए संघर्ष करता गाड़िया लोहार समुदाय

देश भले 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात करता हो लेकिन आज भी ऐसे अनेक समुदाय हैं, जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। ऐसा ही राजस्थान का लोहार समुदाय है, जिनके पास हुनर तो है लेकिन आज अत्याधुनिक तकनीकें आ जाने से उनका काम नहीं चल रहा है। जिसकी वजह से ये अच्छे और सुरक्षित भविष्य के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं जबकि सरकार विकास की अनेक योजनाएं लागू है। प्रश्न यह उठता है कि क्यों इन तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुँच पा रही हैं।

मौलिक समस्याओं के बजाय गैरजरूरी बहसों में उलझने से बचना होगा

शांति सद्भाव यात्रा का सेवापुरी विकास खंड के गाँवों में हुआ शानदार स्वागत सद्भावना के रास्ते शांति के वास्ते आयोजित 9 दिवसीय शांति सद्भावना यात्रा...

‘राजनीति में प्रतिरोध का धर्म’ के बहाने समाजवादी सोमनाथ त्रिपाठी को याद किया गया

आज दिनांक 09 अक्टूबर 2022 को नदेसर स्थित विश्व ज्योति जनसंचार केंद्र स्थित साझा संस्कृति मंच कार्यालय में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि के प्रोफेसर प्रख्यात...

साझा संस्कृति मंच ने शांति एवं सद्भाव की अपील की 

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस एवं प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों ने साझा...

आरएसएस फासीवाद के खिलाफ आक्रामक होने का किया आह्वान

कोझीकोड। 24 से 29 सितंबर तक कोझिकोड केरल के शिवराम-शर्मिष्ठा हॉल (एसके पोट्टेकड़ हॉल) में आयोजित भाकपा (माले) रेड स्टार के 12वीं कांग्रेस का...

हसदेव जंगल को उजाड़ने के विरोध में जुलूस

दिनांक 29 सितंबर 2022 गुरुवार को साझा संस्कृति मंच ने हसदेव जंगल को उजाड़ने के विरोध में जुलूस निकाला। होटल रेडिसन नदेसर कैंटोनमेंट रोड...

रातों और सड़कों पर अपने अधिकार का मार्च

14 अगस्त, 2022 दिन रविवार को मेरी रातें मेरी सड़कें अभियान के तहत वाराणसी शहर की महिलाओं, लड़कियों व ट्रांस पर्सन्स ने अस्सी घाट...
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