गुस्साए लोगों ने कई घरों में लगाई आग, पुलिस को देखकर की पत्थरबाजी, तहसीलदार समेत छह पुलिसकर्मी घायल
प्रयागराज। कौशाम्बी के संदीपन घाट क्षेत्र में आज तड़के उस समय सनसनी फैल गई जब एक ही परिवार के तीन लोगों की लाश मिली। दलित पिता, गर्भवती बेटी और दामाद की गोली मारकर हत्या का मामला सामने आ रहा है। मामले की जानकारी आज उस वक्त हुई जब आसपास के लोग मौके पर कामकाज के लिए पहुँचे। यह नज़ारा तब और बिगड़ गया जब भड़के लोगों ने आसपास के करीब आठ मकानों को आग के हवाले कर दिया। सूचना पाकर मौके पर पुलिसफोर्स पहुँच गई, लेकिन भड़के लोगों ने उन पर भी हमला बोल दिया। पीड़ित परिवार की महिलाओं ने पथराव करना शुरू कर दिया जिससे तहसीलदार पुष्पेंद्र गौतम का सिर फट गया। वहीं, छह पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हालांकि, हालात अभी कंट्रोल में नहीं हैं। नाराज लोग जगह-जगह पथराव और आगजनी कर रहे हैं। मौके पर दमकल दस्ता भी आग बुझाने में लगा हुआ है।
जानकारी के अनुसार, मौके पर एडीजी भानु भाष्कर, कमिश्नर विजय विश्वास पंत, आईजी चंद्र प्रकाश, एसपी बृजेश श्रीवास्तव सहित चायल और सिराथू के सीओ मौके पर मौजूद हैं। वारदात के बाद जिले भर की फोर्स और पीएसी की तीन बटालियन मौके पर पहुंच गई है। एसपी और प्रशासन के अफसर हालात को कंट्रोल करने की कोशिश रहे हैं। इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है। पुलिस के अनुसार, इस मामले में अभी तक छह लोगों को नामित किया गया है। जिसमें एक की गिरफ्तारी हो चुकी है। अन्य लोगों के तलाश के लिए पुलिस की आठ टीमें लगाई गई है।
वहीं, परिजनों ने शवों को पुलिस को नहीं सौंपा है। परिजनों कहना है कि पहले आरोपियों की गिरफ्तारी हो, इसके बाद हम शवों को सौंपेगे। मृतक के परिवार की महिलाओं से पुलिस की झड़प भी हुई है। महिलाएँ आरोपियों के घरों में घुसने की कोशिश और तोड़फोड़ कर रही हैं।

पुलिस के अनुसार, मृतक की शिनाख्त होरीलाल (52), उनकी गर्भवती बेटी बृजकली (22) और दामाद शिवसागर (26) के तौर पर हुई है। संदीपन घाट पर होरीलाल की जमीन का पट्टा है। आस-पास के कुछ लोगों से इसी जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। होरीलाल ने विवादित भूमि पर झोपड़ी डालकर अपना कब्जा कर रखा है। दामाद और बेटी भी उसी झोपड़ी में साथ ही रहते थे। शिवसागर ने पास में ही किराए की दुकान लेकर सहज जनसेवा केंद्र खोल रखा था।
होरीलाल का इसी झोपड़ी से थोड़ी दूरी पर अपना घर भी है। वहाँ उनकी पत्नी और दो नाती रहते हैं। गुरुवार देर शाम होरीलाल, बेटी-दामाद के साथ झोपड़ी में आ गए। यहीं, चारपाई बिछाकर बाहर सो गए। सुबह जब आस-पास के लोग जगे, तो उन्होंने तीनों की चारपाई पर खून से लथपथ लाश देखी। इसके तुरंत बाद परिवार भी पहुँच गया।
मौके पर हालात काबू में तो नहीं है लेकिन शुरुआती जाँच के आधार पर पुलिस का कहना है कि तीनों को सोते वक्त ही गोली मारी गई है। उनको उठने का भी मौका नहीं दिया गया है। अहम बात यह है कि तीन बुलेट फायर हुई, उसके बाद भी आस-पास के किसी को हत्या का पता नहीं चल पाया। होरीलाल के सिर पर, बेटी के गले और दामाद के सीने में गोली मारी गई है। जब सुबह परिवार और रिश्तेदार पहुँचे तो झोपड़ी के आसपास के आठ-नौ घरों में ताला बंद था। ऐसे में गुस्साए लोगों का शुरुआती शक इन्हीं पर गया। इसके बाद पीड़ितों ने आगजनी शुरू कर दी। सात-आठ घरों को फूँक दिया। इन घरों में कोई सदस्य नहीं था। ये लोग पहले ही क्यों फरार हो गए थे, यह संदेहास्पद है।

पड़ोसियों और रिश्तेदार ने बताया कि 54 बीघा सरकारी जमीन पर गाँव के कुछ लोगों का कब्जा है। उसी जमीन में एक बीघे पर होरीलाल का भी कब्जा था। उसके पड़ोसी भी इसी जमीन पर कब्जा बता रहे थे। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद था। गुरुवार को होरीलाल ने इस मामले में क्षेत्रीय सांसद विनोद सोनकर से मुलाकात की थी। सांसद ने होरीलाल को कब्जा दिलवाने का आश्वासन भी दिया था। इसी बात को लेकर पड़ोसी से गुरुवार की देर शाम को विवाद भी हुआ था। तभी रात में यह वारदात हो गई। होरीलाल के पड़ोसी मौके से फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में दबिश दे रही है।
मृतक होरीलाल के परिवार में उसकी पत्नी और बेटी-दामाद के बच्चे ही बचे हैं। साल 2010 में विवादित जमीन का पट्टा हुआ था। तीन साल से होरीलाल अपनी एक बीघा जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा था। दो दिन पहले ही चकबंदी अधिकारियों ने पट्टाधारकों को जमीन नाप कर दी थी। उसके बाद जमीन पर लोग निर्माण करा रहे थे। गाँव का ही आरोपी सुभाष जमीन को अपनी पुश्तैनी जमीन बताकर कब्जा करने की कोशिश में लगा था। नापकर अलग की गई जमीन पर मृतक होरीलाल छप्पर बनाकर उसी में सोता था। वारदात के समय भी वह बेटी और दामाद के साथ सो रहे थे।
एक ग्रामीण महिला ने बताया कि घटना के बाद लोगों ने घरों में आग लगा दी है। मेरा भी घर जल गया है। जबकि मेरा इन लोगों से कोई लेना-देना नहीं है। सारा सामान बाहर फेंक दिया है। मेरा नल भी तोड़ दिया है। हम लोग सो रहे थे। अचानक बवाल होने लगा है। जब तक हम लोग कुछ समझ पाते आग लगा दी। इसलिए हम लोग गाँव से बाहर भाग आए हैं।
दूसरी तरफ, अफसरों ने मृतक शिवसागर के साढ़ू से बात कर घटना का जायजा लिया है। मृतक के साढ़ू ने कहा कि प्रशासन से वह लगातार कब्जा कराए जाने की मांग कर रहे थे, किसी ने नहीं सुनी। मृतक के परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा है।

सुनें अफसरों की
कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने मामले में त्वरित जांच के आदेश दिए हैं। सबसे पहले आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की तीन टीमें बनाई गई हैं, जिसमे सर्विलांस, एसओजी थाना पुलिस, क्षेत्राधिकारी चायल के नेतृत्व में काम करेंगी। राजस्व टीम का गठन कर जिलाधिकारी से भी बात बात करने को कहा है।
अपर पुलिस महानिदेशक भानु भास्कर ने बताया कि इस मामले में अबतक छह लोगों को नामित किया गया है, जिसमें एक की गिरफ्तारी हो चुकी है, बाकी दो लोगों का लोकेशन पता चला है। वहाँ पुलिस की आठ टीमें लगातार दबिश दे रही हैं। इसके साथ यह भी पता चला है कि चार लोगों के घर इसी प्रतिक्रिया में जलाए गए हैं। इसके सम्बंध में भी एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि घटना संदीपन घाट थाना क्षेत्र के हररायपुर की है। जहाँ पासी बिरादरी के वृद्ध, उसकी बेटी और दामाद की हत्या कर दी गई है। वहीं, बताया जा रहा है कि मृतक बेटी गर्भवती भी थी। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने कई घरों में आगजनी भी कर दी है। बताया कि पुलिस प्रशासन की ओर से मौके पर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की जा रही है।
इस नृशंस घटना के बावत बहुजन युवा एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुड्डन राज पासी ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि वर्तमान सरकार में आए दिन दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। ऐसे मामलों में पुलिस प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है, क्योंकि अधिकतर प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गुड्डन ने कहा कि यूपी में लगातार दलित समाज, खासतौर से पासी बिरादरी की उपेक्षा कर उनको प्रताड़ित किया जा रहा है। हाल ही में प्रतापगढ़ में ऊँची जाति के कुछ लोगों ने पासी बिरादरी के एक व्यक्ति की साजिश के तहत हत्या कर दी। जौनपुर में बुखार से पीड़ित एक दलित छात्र को स्कूल से छुट्टी न देकर धूप में खड़े रहने की सजा दे दी गई। कुछ देर बाद स्कूल के गेट पर ही उस छात्र की मौत हो गई। ऐसे मामलों में एक ही बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या पुलिस ने कोई कार्रवाई की? इससे भी शर्मनाक बात यह है कि वर्तमान सरकार ऐसे मामलों में सख्त कदम नहीं उठा रही है। यह सरकार दलितों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती आ रही है। उन्हें न्याय दिलाने के पक्ष में आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।