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लांसेट के अध्ययन में दावा, 2050 तक सालाना एक करोड़ लोगों की मौत की वजह बन जाएगा आघात

नयी दिल्ली (भाषा)। अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते हैं तो दुनियाभर में वर्ष 2050 तक आघात यानी स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या 50 फीसदी बढ़कर प्रतिवर्ष 97 लाख तक होने का अनुमान है। लांसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। 2020 से 2050 के बीच स्ट्रोक […]

नयी दिल्ली (भाषा)। अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते हैं तो दुनियाभर में वर्ष 2050 तक आघात यानी स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या 50 फीसदी बढ़कर प्रतिवर्ष 97 लाख तक होने का अनुमान है। लांसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है।

2020 से 2050 के बीच स्ट्रोक के कारण स्वास्थ्य की समस्या एवं आर्थिक प्रभावों में तेजी आएगी और खास तौर पर निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) पर आघात का प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

तथ्य आधारित दिशा-निर्देशों की समीक्षा, हालिया सर्वे और दुनियाभर के स्ट्रोक विशेषज्ञों के साथ साक्षात्कार के आधार पर लेखकों ने तथ्य-आधारित व्यावहारिक सिफारिशें की है ताकि वैश्विक बोझ को कम किया जा सके। इन सिफारिशों में स्ट्रोक पर निगरानी को बेहतर बनाने, इसकी ​​रोकथाम, अच्छी देखभाल और पुनर्वास जैसे उपाय शामिल हैं।

लेखकों का कहना है कि स्ट्रोक से जूझने वाले लोगों की संख्या, स्ट्रोक से मौत या फिर इस स्थिति से परेशानी में रहने के मामले दुनियाभर में बीते 30 वर्षों में करीब दोगुने हो चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों से हैं। लेखकों के मुताबिक, उच्च आय वाले देशों की तुलना में स्ट्रोक की दर कम आय वाले देशों में बहुत तेजी से बढ़ रही है।

उन्होंने बताया कि अगर यह चलन जारी रहा तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य सतत विकास लक्ष्यों में से एक पूरा नहीं हो पाएगा। सतत विकास लक्ष्य 3.4 का मकसद 2030 तक स्ट्रोक सहित गैर संचारी रोगों से, समय पूर्व होने वाली 4.10 करोड़ मौतों में एक तिहाई कमी लाना है।

न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर वलेरी एल. फिजिन ने कहा, ‘वैश्विक आबादी पर स्ट्रोक का बहुत भारी असर पड़ता है, जिसकी वजह से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं या फिर स्थायी अक्षमता का शिकार होते हैं। इतना ही नहीं, इसके इलाज पर अरबों डॉलर का भी खर्च आता है।’ फिजिन ने कहा, ‘भविष्य में अनिश्चितता के स्तर को देखते हुए स्ट्रोक के स्वास्थ्य संबंधी एवं आर्थिक प्रभावों का सटीक पूर्वानुमान लगाना स्वाभाविक रूप से चुनौतीपूर्ण है और ये अनुमान हमें संकेत दे रहे हैं कि अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते हैं तो आने वाले वर्षों में इन मामलों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिलेगी।’

देशों में बढ़ती आबादी और लोगों की उम्र को ध्यान में रखते हुए, यह अध्ययन संकेत देता है कि 2050 तक दुनियाभर में स्ट्रोक से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ जाएगी। यह संख्या 2020 में 66 लाख थी लेकिन अगले 30 वर्षों में इसके 97 लाख होने का अनुमान है।

विश्व स्ट्रोक संगठन के निर्वाचित अध्यक्ष और अध्ययन के प्रमुख लेखकों में से एक प्रोफेसर जयराज पांडियन ने बताया, ‘2020 में दुनियाभर में स्ट्रोक से होने वाली मौतों में एशिया (61 फीसदी, करीब 41 लाख मौतें) का सबसे बड़ा हिस्सा था और 2050 तक इसमें करीब 69 फीसदी (करीब 66 लाख मौतें) की वृद्धि का अनुमान है। वहीं 2020 में विश्व में स्ट्रोक से होने वाली मौतों में उप-सहारा अफ्रीकी देशों का हिस्सा छह प्रतिशत (403,000) था, जो 2050 में बढ़कर आठ फीसदी (765,000) होने का अनुमान है।’

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