Friday, November 22, 2024
Friday, November 22, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविविधआखिर कौन है बढ़ती दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

आखिर कौन है बढ़ती दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार

 हाल ही में जम्मू कश्मीर के डोडा में जिस तरह से बस हादसा हुआ था, वह बेहद दुखद और दिल दहला देने वाला था। लेकिन इस पहाड़ी क्षेत्र केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर की यह पहली ऐसी घटना नहीं है। इससे पहले इसी वर्ष 30 मई को जम्मू में एक सड़क हादसा हुआ था, जिसमें 10 लोगों की […]

 हाल ही में जम्मू कश्मीर के डोडा में जिस तरह से बस हादसा हुआ था, वह बेहद दुखद और दिल दहला देने वाला था। लेकिन इस पहाड़ी क्षेत्र केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर की यह पहली ऐसी घटना नहीं है। इससे पहले इसी वर्ष 30 मई को जम्मू में एक सड़क हादसा हुआ था, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी और 57 लोग घायल हो गए थे। 14 सितंबर 2022 को पुंछ में हुए हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 57 घायल हो गए थे।  वहीं 1 जुलाई 2019 को किश्तवाड़ में हुए हादसे में 35 लोगों की मौत हो गई थी और 17 लोग घायल हो गए थे।  6 अक्टूबर 2018 को रामबन, कीला मोड़ के पास हुए बस दुर्घटना में 21 लोगों की मौत और 15 घायल हो गए थे।  यह उन प्रमुख दुर्घटनाओं की एक छोटी सूची है जो अखबारों में सुर्खियां बनी थी। ऐसे छोटे-छोटे हादसे लगभग हर दिन होते रहते हैं। जो शायद ही कभी अख़बारों और टीवी की हेडलाइन बनती हैं।

सवाल उठता है कि आखिर ऐसे हादसों की वजह क्या है? किसकी गलती से इतने लोगों की जानें चली जाती हैं? इसके लिए वास्तव में जिम्मेदार कौन है? दरअसल, इसके पीछे कई कारण हैं। एक तरफ जहां ड्राइवरों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन की लापरवाही भी कम दोषी नहीं है। अगर तेज़ रफ़्तार इसकी वजह है तो कई जगह सड़कों की ख़राब स्थिति भी इसकी एक बड़ी वजह बन कर सामने आती है। हमारे आसपास हर रोज कई लोगों की मृत्यु केवल सड़क दुर्घटना में हो रही है। इसमें कई लोग या तो अपनी जान गंवा रहे हैं या फिर शरीर का कोई अंग बर्बाद कर अपनी  जिंदगी को कठिन बना देते हैं। हालांकि न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आये दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर लगातार चिंता व्यक्त की जा रही है। दुनिया भर में लोगों को सेफ ड्राइविंग के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2005 में सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस बनाने की घोषणा भी की है। इस दिन का उद्देश्य सड़कों पर मारे गए और घायल लोगों को उनके परिजनों, दोस्तों और अन्य प्रभावित लोगों के साथ याद करना है। साथ ही लोगों को इसके प्रति जागरूक भी करना है ताकि सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में कमी लाई जा सके।

बात विश्व स्तर की करें, तो अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की हर साल केवल सड़क हादसों में जान चली जाती है। सड़क हादसे में इस प्रकार से  जान गंवाने वालों में भारत की हिस्सेदारी 12. 6 प्रतिशत है। अगर बात भारत की करें तो हर साल करीब डेढ़ लाख से अधिक लोग रोड एक्सीडेंट का शिकार होकर अपनी कीमती जान गंवा देते हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में कुल 412432 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी। जिसमें 153972 लोगों की जान चली गई थी। वहीं सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022 की अगर बात करें तो रोड एक्सीडेंट के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जहां साल 2022 में सड़क हादसों में कुल 1. 6 लाख लोगों की मौत हुई और करीब 4 लाख से अधिक लोग गंभीर चोट के शिकार हुए थे। एक प्रतिष्ठित पत्रिका डाउन टू अर्थ की वेबसाइट पर छपे एक शोध के अनुसार भारत में हर घंटे में सड़क दुर्घटना में 18 लोगों की जान जा रही है। वहीं इन हादसों में हर घंटे 48 लोग घायल हो जाते हैं।

अगर बात केंद्रशासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर की करें तो यहां सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में चिनाब घाटी शीर्ष पर है। पिछले दशक में जम्मू कश्मीर में सभी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में अधिक लोग मारे गए हैं। यही कारण है कि यहां की सड़कों को खूनी सड़क के नाम से भी पुकारा जाने लगा है।  बार-बार होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना चुके सामाजिक कार्यकर्ता आसिफ इकबाल बट कहते हैं कि इस क्षेत्र का लगभग हर 10वां घर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सड़क दुर्घटनाओं से प्रभावित हुआ है। लगभग हर हफ्ते हम चिनाब घाटी के इस क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं के बारे में पढ़ते और सुनते हैं। आसिफ के अनुसार स्वयं जम्मू कश्मीर के यातायात विभाग के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि चिनाब घाटी के 6 जिलों पूँछ, राजौरी, डोडा, रामबन, रियासी और उधमपुर में 2010 से 2022 तक 21834 सड़क दुर्घटनाओं में करीब 22124 लोगों की जाने जा चुकी हैं। यह जहां हमारी गलती को बताता है वहीं प्रशासन की उदासीनता को भी दर्शाता है।

सवाल उठता है कि आखिरकार ऐसा क्या कारण है जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं? इन दुर्घटनाओं का आखिर जिम्मेदार कौन है? आसिफ कहते हैं कि देश में हर साल जितनी भी मौतें होती हैं, उनमें सबसे अधिक तेज गति से वाहन चलाने और ओवरटेक जैसी खतरनाक ड्राइविंग के कारण होती हैं। 2021 में जितनी मौतें सड़क दुर्घटना में हुई हैं उनमें से 90 प्रतिशत मौतों का यही एक प्रमुख कारण था। कुछ अन्य मुख्य कारणों की बात करें तो शराब और मादक पदार्थों का सेवन, तेज़ रफ्तार का शौक, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल, यातायात नियमों की अवहेलना और सड़कों की जर्जर स्थिति है। डोडा जिला के स्थानीय लोगों का कहना है पिछले दिनों हुए बस दुर्घटना में जिन 39 लोगों की जान गई थी उस बस में भी ओवरलोडिंग थी और ओवरटेकिंग के चलते वह दुर्घटना हो गई थी।

देश में लगातार बढ़ रहे सड़क दुर्घटनाओं से न केवल लोगों की जानें जाती हैं बल्कि हर साल अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान होता है। विश्व बैंक के मुताबिक सड़क दुर्घटना से भारतीय अर्थव्यवस्था को हर साल सकल घरेलू उत्पाद GDP का करीब 3 से 5 प्रतिशत का नुकसान होता है। सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सड़क सुरक्षा के लिए की गई घोषणा में वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार लाने का संकल्प लिया गया है, जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत सड़क यातायात के कारण होने वाली मौतों को रोकने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। बहरहाल, सभी सरकारें तो इस दिशा में काम कर रही हैं लेकिन कुछ ज़िम्मेदारियाँ हमारी भी हैं। जिसका पालन कर हम अपना और अपने परिजनों का जीवन सुरक्षित रख सकते हैं।  हमें याद रखने की ज़रूरत है ‘जान है तो जहान है।’

(सौजन्य से चरखा फीचर)

 

 

 

 

 

भारती देवी, पूँछ (जम्मू) में युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here