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औरंगाबाद रेल परियोजना : रेलवे ट्रैक पर लेटे आंदोलनकारी के ऊपर से गुजर गई ट्रेन

सूचना के बावजूद रेल प्रशासन ने नहीं लिया एक्शन पटना। बिहटा रेलवे स्टेशन ट्रैक पर औरंगाबाद रेल परियोजना को लेकर आज रेलवे संघर्ष समिति के सैकड़ों कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान ट्रेन आ गई। ट्रेन को आता देखकर प्रदर्शनकारी तो हट गए, लेकिन समिति के संयोजक पटरियों के बीचों-बीच लेट गए। इंजन समेत […]

सूचना के बावजूद रेल प्रशासन ने नहीं लिया एक्शन

पटना। बिहटा रेलवे स्टेशन ट्रैक पर औरंगाबाद रेल परियोजना को लेकर आज रेलवे संघर्ष समिति के सैकड़ों कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान ट्रेन आ गई। ट्रेन को आता देखकर प्रदर्शनकारी तो हट गए, लेकिन समिति के संयोजक पटरियों के बीचों-बीच लेट गए। इंजन समेत ट्रेन की 10 बोगियां ऊपर से गुजरने के बाद भी वह सही-सलामत बच गए।

इसकी जानकारी आंदोलनकारियों ने रेलवे प्रशासन और रेलवे विभाग को पहले ही दे दी थी। यह घटना रेलवे की लापरवाही बताई जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार, औरंगाबाद रेल परियोजना संघर्ष समिति के बैनर तले दानापुर रेल मंडल के बिहटा रेलवे स्टेशन पर पैदल मार्च करते हुए सभी आंदोलनकारी पहुंचे थे। सभी ने पटना-दिल्ली अप मेन लाइन को जाम कर दिया था। इसी दौरान रेलवे ट्रैक पर लेटे आंदोलनकारी चंदन वर्मा और राजेंद्र यादव के अलावा काफी संख्या में लोग मौजूद थे। तभी ट्रेन नंबर 82355 पटना छत्रपति शिवाजी टर्मिनस एक्सप्रेस अचानक अप मेन लाइन पर आ गई।

आंदोलनकारी चंदन वर्मा और राजेंद्र यादव ने संयुक्त रूप से कहा कि जब हम सभी लोग रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए थे। तभी एक्सप्रेस ट्रेन हमारे ऊपर से गुजरी है। भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि मेरी जान नहीं गई। रेलवे प्रशासन पूरी तरह से तानाशाह हो चुकी है। इसका नतीजा है आप खुद देख सकते हैं।

यह वाकया देखकर अचानक ट्रेन आने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति हो गई। जैसे तैसे लोगों ने अपनी जान बचाई, लेकिन चंदन वर्मा रेलवे ट्रैक के नीचे फंस गए। वैसे इस घटना में अभी तक किसी की जान नहीं गई और लापरवाही के कारण अब आंदोलनकारी स्टेशन मास्टर सहित रेलवे प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। आंदोलनकारी चंदन वर्मा ने बताया कि बिहटा औरंगाबाद रेल परियोजना की शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी है।

मुख्य संयोजक ने बताया कि यह पदयात्रा तीसरी बार आयोजित की गई है। पिछले 9 वर्षों से रेलवे लाइन चालू करने की प्रक्रिया हेतु आवाज उठाई जा रही है। उन्होंने कहा कि डीपीआर एवं सर्वे के लिए 3 करोड़ का टेंडर हुआ है जो फरवरी 2023 में करना अनिवार्य था। कार्य काफी धीमी गति से होने के कारण यह संघर्ष तेज किया जा रहा है। राशि उपलब्ध कराने के लिए लगातार संघर्ष जारी है। 39 सौ करोड़ में कुल 87 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए हैं।

वर्षों से लटकी है यह परियोजना

विदित हो कि पालीगंज में वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू  प्रसाद यादव ने औरंगाबाद रेल शिलान्यास किया गया था। लेकिन कई वर्ष बीतने के बाद भी परियोजना की शुरुआत अभी तक नहीं हो पाई है। इसके बाद हम सभी लोग लगातार इस परियोजना को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। आज बिहटा रेलवे स्टेशन पर हम लोगों ने आंदोलन शुरू किया इसकी जानकारी रेलवे प्रशासन और रेलवे विभाग को पहले ही दी जा चुकी थी। लेकिन रेलवे प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई। बिहटा औरंगाबाद रेल परियोजना पिछले कई वर्षों से लटका हुआ है। कितनी सरकारें आई और गई। आन्दोलनकारी बताते हैं कि इस परियोजना को लेकर सिर्फ आश्वासन ही मिलता आ रहा था। अब आंदोलन को उग्र किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि औरंगाबाद रेलवे लाइन परियोजना को यथाशीघ्र शुरू करने के लिए बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन संघर्ष समिति द्वारा घेरा डालो डेरा डालो अभियान के तहत 6 दिसंबर से बिहटा में संघर्ष समिति की होने वाले अनिश्चितकालीन रेलवे लाइन जाम (रेल रोको) करने लिए जनजागरण अभियान के तहत औरंगाबाद से बिहटा तक 119 किलोमीटर की महापदयात्रा संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक राजेंद्र यादव, सह-संयोजक चंदन कुमार वर्मा के नेतृत्व में पदयात्रियों की बड़े पैमाने पर चल रही टीम आज पालीगंज पहुंच गई थी।

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