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गाजा में शांति की धुन बजाने वाले डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अव्वाद को दिया जाएगा इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार

नयी दिल्ली(भाषा)। इजराइल-फिलस्तीन संघर्ष के अहिंसक समाधान की दिशा में प्रयासों के लिए डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अव्वाद को इस वर्ष के इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया है।  पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले अंतरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने कहा कि शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए डैनियल बैरेनबोइम […]

नयी दिल्ली(भाषा)। इजराइल-फिलस्तीन संघर्ष के अहिंसक समाधान की दिशा में प्रयासों के लिए डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अव्वाद को इस वर्ष के इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया है।

 पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले अंतरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने कहा कि शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए डैनियल बैरेनबोइम और अली अबू अव्वाद को 2023 का इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। ये शांति के दो योद्धा हैं, जिन्होंने संगीत, संवाद और जन भागीदारी जैसे अहिंसक माध्यमों से इजराइल और फिलस्तीन के लोगों के बीच मित्रता को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।

इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट ने एक बयान में कहा कि डैनियल अर्जेंटीना में जन्मे शास्त्रीय पियानोवादक और कंडक्टर हैं, जबकि अव्वाद एक फिलस्तीनी शांति कार्यकर्ता हैं, जो पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए फिलस्तीन और इजराइल के लोगों के साथ अथक प्रयास कर रहे हैं।

बयान में कहा गया है कि 2023 के लिए शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार उन दो लोगों को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है जो इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के अहिंसक समाधान के लिए इजरायल और अरब दुनिया के युवाओं और अन्य लोगों को एक साथ लाने के उत्कृष्ट प्रयासों में शामिल रहे हैं

बरेनबोइम अर्जेंटीना में जन्मे प्रतिष्ठित शास्त्रीय पियानोवादक और कंडक्टर हैं, जो दुनिया के कुछ प्रमुख ऑर्केस्ट्रा के साथ प्रदर्शन और निर्देशन के लिए प्रसिद्ध हैं।अपनी संगीत उपलब्धियों के अलावा, उन्हें पश्चिम एशिया में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने संगीत का उपयोग करके दुनियाभर के लोगों को सद्भाव का संदेश दिया है।

972 में अली अबु अव्वाद फिलिस्तीनी शांति कार्यकर्ता हैं। वे इजरायल-हमास युद्ध के बीच शांति प्रयासों के लिए फिलिस्तीन और इजरायल के लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वे एक शरणार्थी के परिवार में जन्मे और पले-बढ़े, इसलिए वे युद्ध के दौरान विस्थापित होने वालों का दर्द समझते हैं। वे 3 साल तक जेल में रह चुके है। उन्होंने अपनी मां से मिलने के लिए 17 दिन भूख हड़ताल भी की थी, जिसके चलते उन्हें मां से मिलने की परमिशन मिली। अब वे  गांधी जी के सिद्धांतों और अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं। उनका मानना है कि शांतिपूर्ण तरीके से अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है।

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