पटना/नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के एक बार फिर भाजपा के पाले में जाने की चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि इसी कारण नीतीश ने बैठक के दौरान कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे को ‘इंडिया’ का अध्यक्ष बनाने की सलाह दी थी। जबकि नेतागण यह चाह रहे थे कि अध्यक्ष नीतीश कुमार बने।
इस बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता अखिलेश ने कहा है कि नीतीश कुमार को भाजपा का साथ नहीं पकड़ना चाहिए था। यदि वह ‘इंडिया’ में होते तो प्रधानमंत्री को चेहरा बन सकते थे। हम यह देखेंगे कि भाजपा में उन्हें क्या मिलता है?
इसके पहले कन्नौज में आयोजित एक बैठक के दौरान अखिलेश ने कहा था कि ‘हमें उम्मीद है कि नीतीश एनडीए में नहीं जाएँगे।’
उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ में वरिष्ठ और समझदार नेता के रूप में उनकी गिनती थी। देश के प्रधानमंत्री के रूप में वह इस पद के उम्मीदवार थे। भाजपा ने आखिर उन्हें क्या लालच दिया है, यह जल्द ही समझ में आ जाएगा।
एक मीडिया चैनल से वार्ता में अखिलेश ने कहा है कि नीतीश को गठबंधन में बनाए रखने की जिम्मेदारी कांग्रेस की थी। पार्टी को उनकी नाराजगी समझनी चाहिए थी। ऐसे समय में समझदारी और तत्परता के साथ काम करना चाहिए था। नीतीश कुमार का सम्मान आज भी विपक्ष पार्टियाँ और नेतागण करते हैं। अब यह देखना है कि भाजपा उन्हें क्या सम्मान देती है?
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वहीं, बिहार के कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि नीतीश अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। अपने फैसले के बुरे परिणामों के लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे।
अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ऐसा इसलिए कर रही है कि आज देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। अपनी नाकामी को छिपाने के लिए भाजपा अब पिछड़ों के बड़े नेताओं को अपने पार्टी में ‘न्योता’ दे रही है। चुनाव में पिछड़ों के वोटों को बंटोरने के बाद भाजपा नीतीश को दरकिनार भी कर सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका थी। यही कारण है कि उनके कहने पर मल्लिकार्जुन खरगे को ‘इंडिया’ का अध्यक्ष बना दिया गया। विश्लेषक मानते हैं कि इस बार पिछड़ों के वोटों को समेटने के लिए भाजपा ने यह बड़ा ‘गेम’ खेला है। इसलिए भाजपा को इससे बड़ा लाभ हो सकता है, क्योंकि बिहार में लालू अपने कई कामों के लिए जाने जाते हैं। राज्य में शराब बंदी मामला उनमें से एक है।