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बलिया : दिखाने भर को रह गई है ‘पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना’, बैंक नहीं दे रहे लोन

सरकार ने भारी प्रचार के साथ 'पशु किसान क्रेडिट योजना' लागू कर दी है लेकिन बैंक इस योजना के तहत लोन नहीं दे रहे हैं। बैंक इस योजना के प्रति उदासीन हैं। बैंक पशुपालकों को कभी पशुपालन विभाग भेज रहे हैं तो कभी कागजों में कमी बताकर वापस जाने को कह दे रहे हैं। इससे पशुपालकों में काफी रोष है। पशुपालकों का कहना है कि पशुपालकों के लिए सरकार ने कम ब्याज की दर पर योजना तो शुरू कर दिया, लेकिन बैंक लोन पास नहीं कर रहे हैं।

बैरिया। सरकार की ओर से किसानों पशुपालकों के लिए अनेक योजनाएं आज चलायी जा रही हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ किसानों पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है। बलिया जिले के मुरलीछपरा ब्लाॅक के रामपुर गांव के किसान इस योजना का लाभ न पाने से काफी निराश हैं ।

पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना एक ऐसी ही सरकार द्वारा चलायी गई योजना है, जिसमें किसानों को दो लाख रूपए तक की राशि बैंकों से  4 प्रतिशत की दर से प्राप्त होगी। इस पैसे से वे गाय, सूअर, मुर्गी अथवा मुर्गा, बकरी खरीद कर इनसे होने वाले मुनाफे से बैंक का पैसा जमा कर सकते हैं।

लेकिन बैंक इस योजना के तहत लोन नहीं दे रहे हैं। बैंक इस योजना के प्रति उदासीन हैं। बैंक पशुपालकों को कभी पशुपालन विभाग भेज रहे हैं तो कभी कागजों में कमी बताकर वापस जाने को कह दे रहे हैं। इससे पशुपालकों में काफी रोष है। पशुपालकों का कहना है कि पशुपालकों के लिए सरकार ने कम ब्याज की दर पर योजना तो शुरू कर दिया, लेकिन बैंक लोन पास नहीं कर रहे हैं। कई पशुपालक बैंक लोन के लिए बैंक एवं पशुपालन विभाग का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही है।

बलिया जिले के मुरलीछपरा ब्लॉक के रामपुर गांव निवासी किसान अवनीश पाण्डेय बताते हैं ‘जब मैंने इस लोन के लिए स्थानीय एसबीआई बैंक में बातचीत की तो बैंक के लोगों ने बताया कि हमारे यहां इस तरह की योजना का कोई जीओ ही नहीं आया है । इसलिए हम इस प्रकार की योजना के लिए कोई लोन नहीं दे सकते । इसके बाद मैंने कई और बैंकों में सम्पर्क किया लेकिन वहां भी इस प्रकार के लोन देने से मना कर दिया गया। अवनीश आगे बताते हैं उनकी तरह से 25  लोग इस प्रकार के योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन लेकर भटक रहे हैं और उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।’

अवनीश आगे कहते हैं ‘इस योजना से हम किसानों का जीवन बदल सकता है। सरकार केवल योजना ला देती है लेकिन जमीनी स्तर पर वह कहीं दिखायी नहीं देती है। इस प्रकार की योजनाओं का शोर मचाकर केवल जनता को बेवकूफ बनाने का काम सरकार कर रही है। एक ही योजना का लाभ पाने में हमारी इतनी फजीहत हो जा रही है तो मैं समझता हूं कि सरकार की ओर से किसानों को दी जाने वाली अन्य योजनाओं का लाभ लोग कितना उठा पाते होंगे इसका अंदाजा सहज की लगाया जा सकता है।’

सरकारी दावे के अनुसार पशु किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ

पशु किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए कोई भी चीज गिरवी नहीं रखनी होती है बिना कोई भी चीज गिरवी रखे ही पशु किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर लोन लिया जा सकता है।

पशुपालकों को प्रति भैंस पर 60249 रुपए लोन राशि के रूप में दिए जाते है वहीं अगर पशुपालक के पास गाय होती है तो प्रति गाय पर 40783 रुपए लोन के रूप में दिए जाते हैं।

पशु किसान क्रेडिट कार्ड स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में जाकर पंजाब नेशनल और बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ ही अन्य बैंकों में कोई व्यक्ति जाकर आसानी से बनवा सकता है।

कुछ ही जरूरी डॉक्यूमेंट को देखने के बाद में व्यक्ति को पशु किसान क्रेडिट कार्ड दे दिया जाता है। मिलने वाली लोन राशि कम ब्याज दर पर मिलती है जिससे की ब्याज कम चुकाना होता है।

पशु किसान क्रेडिट कार्ड ब्याज दर

जब भी कोई व्यक्ति किसी भी बैंक में लोन के लिए आवेदन करता है तो उसे 7 प्रतिशत की ब्याज दर से लोन राशि प्रदान की जाती है। अलग-अलग बैंकों में यह ब्याज दर कम ज्यादा भी हो सकती है। वहीं अगर कोई किसान क्रेडिट कार्ड को प्राप्त करता है तो उसमें व्यक्ति को केवल 4 प्रतिशत के हिसाब से ही ब्याज दर पर ब्याज देना होता है।

किसानों के लिए सरकारी योजनाएं

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

पीएम किसान मानधन योजना

किसान क्रेडिट कार्ड

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

कृषि बीमा योजना

प्रधानमंत्री ट्रैक्टर योजना

योजनाओं का लाभ पाने से क्यों वंचित हैं किसान

सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से किसान क्यों वंचित रह जा रहा है इसका सबसे बड़ा कारण जो साफ नजर आता है वह यही है कि सरकार की इन सारी योजनाओं को प्राप्त करने के लिए इतनी कागजी कार्रवाई करनी होती है कि अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे किसान इसमें उलझ जाते हैं। थोड़े दिनों तक भाग दौड़ कर किसान हर मानकर बैठ जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि कुछ चुनिंदा लोग ही इस प्रकार की योजनाओं का लाभ ले पाते हैं। कोई भी योजना हो जब वह शुरू की जाती है तो बाकायदा उसका जिओ सम्बन्धित विभागों को जारी होता है। सरकार की मंशा अगर वास्तव में आम आदमी को योजना का लाभ देने की होती तो एक-दो कागजों को जमा कर व्यक्ति पात्र बन जाता।

लेकिन सरकार ने यहां तो इतने नियम कानून बना दिए हैं कि किसान किसी भी योजना का लाभ लेने से पहले हजार बार सोचता है। एक दो आदमी जब साहस करके योजना का लाभ पाने के लिए संबंधित विभाग में जाते हैं तो उन्हें इतने नियम कानून बता दिए जाते हैं कि वे दूसरी बार उस विभाग में जाने की हिम्मत नहीं करते। हां, यह जरूर है कि बड़े-बड़े नेताओं के अलावा रसूखदार और उनके लोगों को इन योजनाओं का लाभ आसानी से मिल जाता है। कोई कागज न होने पर भी आसानी से वे घर बैठे-बैठे योजनाओं के पात्र बन जा रहे हैं। इसमें बैंकों के अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है।

बहरहाल, इतना तो कहा ही जा सकता है कि सरकार की तरफ से भले ही आम जनता के लिए बहुत सारी योजनाएं चलायी जा रही हैं लेकिन ऐसी योजनाओं का क्या फायदा जब पात्र व्यक्ति ही उसके लाभ से वंचित हो ?

गाँव के लोग
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