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मान्यवर कांशीराम : सामाजिक न्याय के सवालों के जवाब तलाशते माचा से शुरू हुई पदयात्रा

कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में बात करते हुए संयोजकों ने कहा कि बताते चले कि देश में जाति जनगणना की मांग लंबे समय से की जा रही है। मंडल आयोग की सिफारिशों में भी जाति जनगणना कराने की बात कही गई। पिछले दिनों बिहार में जाति जनगणना के आंकड़ों के आने के बाद हम उत्तर प्रदेश सरकार से जाति जनगणना कराने की मांग करते हैं।

वर्तमान परिपेक्षय में समाज में शांति सद्भाव की स्थापना के साथ ही मजबूत लोकतंत्र की मांग और सामाजिक न्याय का माहौल स्थापित करने के लिए 3 दिवसीय पदयात्रा का आयोजन कानपुर देहात के माचा से किया गया। 70 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा रामस्वरूप वर्मा और ललई सिंह पेरियार की स्मृति में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की ओर से पटेल चौक पुखराया, शाहजहाँपुर होते हुए रामस्वरूप वर्मा की जन्म स्थली गौरीकरन पहुंची।

कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में बात करते हुए संयोजकों ने कहा कि बताते चले कि देश में जाति जनगणना की मांग लंबे समय से की जा रही है। मंडल आयोग की सिफारिशों में भी जाति जनगणना कराने की बात कही गई। पिछले दिनों बिहार में जाति जनगणना के आंकड़ों के आने के बाद हम उत्तर प्रदेश सरकार से जाति जनगणना कराने की मांग करते हैं।

केंद्र सरकार ने भी अन्य पिछड़ा वर्ग गणना कराने को कहा लेकिन, फिर वादे से मुकर गए। 2011 में जाति जनगणना के जो आंकड़े आए उनको सार्वजनिक न करने से देश की पिछड़ी जातियों को उनका अधिकार नहीं हासिल हो पा रहा।

आयोजकों का कहना है कि देश में जनगणना होती है, उसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना होती है, लेकिन पिछड़ी जातियों की गणना या जाति जनगणना नहीं की जाती है। ऐसे में उनकी मांग हैं कि आने वाले दिनों में सरकार जब जनगणना कराए तो उसके साथ ही जाति जनगणना भी कराए।

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश में बढ़ती जातिगत विषमता, धार्मिक भेदभाव, राजनीतिक वैमनस्यता और वैचारिक शून्यता के दौर में सिद्धांतों, सामाजिक सरोकारों और न्याय हेतु एक वैचारिक राजनीतिक विकल्प प्रस्तुत करने के उद्देश्य से सामाजिक न्याय पदयात्रा निकली गई है।

देश में बदलती सियासी फिजा के बीच कांग्रेस और कई भाजपा विरोधी दल जाति आधारित जनगणना कराने की घोषणाएं कर रहे हैं। सामाजिक न्याय और हाशिए पर धकेले जा रहे वंचित तबके को इंसाफ की राजनीति करने का दावा करने वाली पार्टी बसपा कांशीराम को अपना आदर्श मानती है। कांशीराम का जिक्र इसलिए क्योंकि इनकी स्मृति में पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। 15 मार्च को ललई सिंह पेरियार के गांव कठारा में पदयात्रा का समापन होगा।

मान्यवर कांशीराम के बहाने माचा से कठारा तक पदयात्रा, क्यों है इसकी जरूरत

आयोजकों का कहना है कि ‘वर्तमान में लोगों को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। कई सारे आंदोलन किए जा रहे हैं, लेकिन वे सभी आंदोलन अपने मुकाम तक पहुंचने में लक्ष्य से भटकते हुए भी दिखाई पड़े हैं। वर्तमान राजनीतिक संकट दौर में सामाजिक न्याय आंदोलन की जरूरत महसूस की जा रही है। ऐसे में 70 किलोमीटर के इस लंबे पदयात्रा के माध्यम से लोगों तक अपनो विचारधारा को पहुंचाने का काम किया जाएगा।’

यात्रा महामना रामस्वरूप स्मारक विचार प्रसार शोध संस्थान माचा से शुरू हुई।

 

इस मार्गों से होकर गुजरेगी पदयात्रा

दूसरे दिन के पढ़ाव में यानी 14 मार्च को सुबह 8 बजे मुंगीसापुर से प्रस्थान के साथ ही यात्रा मंगलपुर पहुंचेगी। वहीं कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन 15 मार्च 2024 को सुबह 8 बजे, मंगलपुर से यात्रा आगे बढ़ेगी और, झींझंक में शाम 4 बजे तक लोगों को जागरूक करने के साथ ही कठारा में यात्रा के उद्देश्यों को बताते हुए इसका समापन किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

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