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ग्राउंड रिपोर्ट

राजस्थान में एक गाँव ऐसा जहां सभी ग्रामीण सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं

सरकार ग्रामीण जनता के विकास को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाएँ चलाती है, इसके बाद भी इन योजनाओं का पूरा लाभ ग्रामीण नहीं उठा पाते। एक ही गाँव में कुछ लोगों को योजना का लाभ मिल जाता है और कुछ लोग इससे वंचित रह जाते हैं। लेकिन राजस्थान का धुवालिया नाडा गाँव में सभी लोगों को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिला है। यहाँ के ग्रामीण क्या कह रहे हैं पढ़िये इस कहानी में-

हाल ही में यह खबर आई कि राजस्थान सरकार राज्य के सभी गांवों की जानकारी को ऑनलाइन करने की तैयारी में है।  इसके लिए मुख्यमंत्री ई-ग्राम परियोजना पर काम चल रहा है। इसके तहत राज्य के सभी राजस्व गांवों से जुड़े सरकारी विभागों की सूचनाएं एक पोर्टल ई-ग्राम पर मिल जाएंगी। इस पोर्टल पर न केवल योजनाओं से जुड़ी सूचनाएं उपलब्ध होंगी बल्कि उस गांव की जनसंख्या, महिला और पुरुषों में साक्षरता की दर आदि की जानकारियां एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाएंगी। यह योजना राजस्थान सरकार के गुड गवर्नेंस और ई गवर्नेंस के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे एक ओर जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों की जानकारियां प्राप्त हो सकेंगी, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को भी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारियां आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी।

दरअसल हमारे देश में सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को ध्यान में रखते हुए कई लाभकारी योजनाएं संचालित करती है, ताकि उसका लाभ उठाकर देश की ग्रामीण जनता भी विकास के पथ पर शहरी क्षेत्रों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके। लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि ग्रामीण इन कल्याणकारी योजनाओं का बहुत अधिक लाभ नहीं उठा पाते हैं। वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद संबंधित विभाग यह कह कर सरकार को पैसा वापस कर देता है कि कोई इसका लाभ उठाने नहीं आया, अथवा जरूरत से कम लोगों ने इन योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। जबकि दूसरी ओर कुछ ही वास्तविक हकदार इन योजनाओं का पूरा लाभ उठा पाते हैं। इसका एक अहम कारण जहां संबंधित विभाग द्वारा जमीनी स्तर पर इन योजनाओं के प्रचार-प्रसार में कुछ कमी का रह जाना होता है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का इस संबंध में पूर्ण रूप से जागरूक नहीं होना भी एक बड़ा कारण होता है। लेकिन जिन ग्रामीण क्षेत्रों की जनता सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक होती है, वह इसका भरपूर लाभ उठाती है और स्वयं में बदलाव लाने का प्रयास करती है।

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ऐसा ही गांव राजस्थान का धुवालिया नाडा भी है जहां के अधिकतर ग्रामीण सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। राज्य के अजमेर जिला स्थित रसूलपुरा पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में अनुसूचित जनजाति भील और रैगर समुदाय की बहुलता है। सामाजिक और आर्थिक रूप से भले ही यह गांव पिछड़ा है लेकिन सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का ग्रामीण भरपूर लाभ उठा रहे हैं। इस संबंध में गांव की 35 वर्षीय मंथरा कहती हैं कि उनका परिवार सरकार की विभिन्न स्कीमों का लाभ उठा रहा है। इनमें सबसे प्रमुख उज्ज्वला स्कीम है। जिसके माध्यम से अब उसे धुएं वाले मिट्टी के चूल्हे से मुक्ति मिल गई है। वह बताती है कि पहले वह मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाती थी, जिसके कारण उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। एक ओर जहां उसे प्रतिदिन लकड़ी इकट्ठी करनी पड़ती थी तो वहीं दूसरी ओर उससे निकलने वाले धुएं से उसके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा था। वह बताती है कि कई बार जलावन के लिए लकड़ियां उपलब्ध नहीं होने के कारण महंगे दामों पर खरीदनी पड़ती थी। जो एक प्रकार से उसके लिए आर्थिक बोझ था। वहीं वर्षा के दिनों में गीली लकड़ियों को जलाना बहुत बड़ी समस्या थी. लेकिन अब गैस कनेक्शन से इन सभी समस्याओं से उसे मुक्ति मिल गई है।

मंथरा के पति हीरालाल बताते हैं कि वह पास के ही मार्बल फैक्ट्री में दैनिक मजदूर के रूप में काम करते हैं। उनकी आमदनी इतनी ही है कि किसी प्रकार से परिवार का गुजर बसर हो सके। लेकिन उनका सपना था कि उनका अपना घर हो। ऐसे में उन्होंने सरकार द्वारा गांव के गरीबों को दी जाने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में सुना और इसके लिए फॉर्म भी भरा। वह बताते हैं कि बहुत जल्द उन्हें इसका लाभ भी मिल गया और आज वह इस योजना के तहत अपने पक्के मकान में रहते हैं। हीरालाल बताते हैं कि इस गांव में अधिकतर लोग न केवल सरकारी योजनाओं के बारे में जानते हैं बल्कि उसका लाभ भी उठा रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इस गांव की जनसंख्या करीब 819 है। हालांकि यहां की साक्षरता दर काफी कम है। राज्य की औसत साक्षरता दर 66.11 प्रतिशत की तुलना में केवल 54.12 प्रतिशत दर्ज की गई है। वहीं महिला और पुरुष साक्षरता दर की बात करें तो 76.79 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में महिलाओं में साक्षरता की दर मात्र 31 प्रतिशत के आसपास है, जो काफी चिंता का विषय है।

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कम साक्षरता दर के बावजूद ग्रामीणों का सरकारी योजनाओं के बारे में न केवल जागरूक होना बल्कि उसका लाभ उठाना इनकी जागरूकता को दर्शाता है। इस संबंध में 32 वर्षीय सविता रैगर कहती है कि वह और उसके पति प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना का लाभ उठाकर सब्जियों की अपनी दुकान चला रहे हैं। पहले वह लोग रेहड़ी पर सब्जियां बेचा करते थे जिससे उन्हें काफी परेशानी होती थी और आमदनी भी कम होती थी. इतना ही नहीं, अब उसके बुजुर्ग सास ससुर को वृद्धावस्था पेंशन भी मिल रही है। गांव में सरकारी योजनाओं से संबंधित जागरूकता के बारे में वह बताती है कि इसमें एक ओर जहां पंचायत का अहम रोल है वहीं नई पीढ़ी में शिक्षा का बढ़ता स्तर और फोन तथा इंटरनेट की सुविधा ने भी इस दिशा में प्रमुख भूमिका निभाई है।

सविता कहती हैं कि फोन और इंटरनेट के माध्यम से युवा जहां सरकारी योजनाओं से अवगत होते हैं वहीं पंचायत में इस संबंध में जानकारियां भी प्राप्त करते हैं। जिससे कि परिवारों को इसका लाभ मिलने लगा है। एक परिवार की जागरूकता से आसपास के घरों में भी इस संबंध में स्वतः जागरूकता आ जाती है। इस प्रकार धीरे धीरे पूरा गांव सरकारी योजनाओं के बारे में अवगत होने लगा है। बहरहाल, योजनाओं से इस प्रकार का जुड़ाव जहां गांव के विकास को गति देगा वहीं सरकार के लक्ष्य को भी पूरा करेगा। इस संबंध में किसी भी गांव के पंचायत की सबसे बड़ी भूमिका होती है। जो विभाग और जरूरतमंद ग्रामीणों के बीच मुख्य सेतु का काम करता है। जिस गांव की पंचायत जितनी सशक्त होगी वह गांव उतना ही अधिक योजनाओं से जुड़ा होगा। (चरखा फीचर)

 

पूनम
पूनम
लेखिका अजमेर (राज) में रहती हैं।

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