2022 में जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उनमे सर्वाधिक महवपूर्ण उत्तर प्रदेश है, जहाँ 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को : सात चरणों मतदान होना है। 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से होते हुए चुनावी कारवां बढ़ते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जाकर समाप्त होगा।सात चरणों में संपन्न होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान आज सम्पन्न हो रहे हैं। अबतक शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए चार चरणों में न कोई मुद्दा दिख रहा है और नहीं कोई लहर! जो कुछ दिख रहा है, वह यह कि इस बार का चुनाव जनता लड़ रही है, जिसके सामने एक ही मुद्दा है, भाजपा हटाओ! ऐसे में अंडर करंट एक लहर है जिससे सपा के हौसले बुलंद तो भाजपा के पस्त दिख रहे हैं। नयी सदी में यूपी का यह पहला चुनाव है जो जनता बनाम सत्ताधारी दल हो गया है, जिसमे जनता योगी सरकार को हटाने पर आमादा दिख रही है। बहरहाल अब आगामी 27 फ़रवरी को यूपी के पांचवे चरण में प्रदेश के 12 जिलों के जिन 61 सीटों पर वोट पड़ने वाले हैं, वहां 692 प्रत्याशी मैदान में हैं। प्रदेश की 86 सुरक्षित सीटों में से कुल 13 सुरक्षित सीटें-सलोन (सुरक्षित), जगदीशपुर (सुरक्षित), कादीपुर (सुरक्षित), बाबागंज (सुरक्षित), मंझनपुर (सुरक्षित), सोरावं (सुरक्षित), बारा (सुरक्षित), कोरांव (सुरक्षित), जैदपुर (सुरक्षित), हैदरगढ़ (सुरक्षित), मिल्कीपुर (सुरक्षित), बलहा (सुरक्षित), मनकापुर (सुरक्षित)- इसी चरण में हैं। पांचवे चरण के इन 13 सुरक्षित सीटों में पूरे देश के दलित बुद्दिजीवियों और एक्टिविस्टों की निगाहें सलोन सुरक्षित सीट पर टिक गयी है। ऐसा क्यों है, इसे जानने के पहले जरा सलोन के इतिहास का सिंहावलोकन कर लिया जाय!
[bs-quote quote=”भाजपा के दल बहादुर 78,028 वोट पाकर 61, 973 वोट पाने वाले कांग्रेस के सुरेश चौधरी को 16, 055 मतों से शिकस्त देने में कामयाब रहे। तो देखा जाय तो नयी सदी में अनुष्ठित 4 विधानसभा चुनावों में दो बार विजेता और एक बार उप विजेता रहकर सपा ने सलोन में सबसे कामयाब पार्टी के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
रायबरेली जिले का सलोन विधानसभा एक ऐसा सीट है, जहाँ विभिन्न राजनीतिक दलों का बारी-बारी से कब्ज़ा रहा है। इस सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था, जिसमे कांग्रेस के रामप्रसाद और सुनीता चौहान विधायक बने। 1962 में यह अवसर एसओसी के पितई को मिला। 1967 में कांग्रेस डीबी सिंह ने कब्ज़ा किया तो 1969 में एसएसपी के शिवप्रसाद पांड्या।1974 में बीकेडी और 1977 में जनता पार्टी के दीनानाथ सेवक विधायक बने। इसके बाद कांग्रेस के शिवबालक पासी 1980, 1985, 1989 और 1991 में लगातार चार बार विधायक बने। उनके बाद भाजपा के दल बहादुर कोरी 1993 और 1996 में लगातार दो बार यहाँ विजय हासिल किये। नयी सदी में पहली बार 2002 में आशा किरण सपा के चुनाव चिन्ह पर जीतकर विधायक बनीं। एक लम्बे अंतराल के बाद यह सीट 2007 में एक बार फिर कांग्रेस के खाते में आई। किन्तु 2012 में पुनः सपा ने अपना परचम लहराया और आशा किरण फिर चुनी गईं। इसी तरह 2017 में भाजपा के टिकट पर दल बहादुर फिर विधायक बने, जिनकी हाल ही में कोरोना से मौत हो गयी। यूपी के प्रमुख दलों में बसपा को यहाँ खाता खोलने का अवसर नहीं मिला है।
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नयी सदी में हुए चुनाव परिणामों पर नजर दौड़ाने पर दीखता है कि 2002 में यहाँ से सपा के आशा किशोर 36,536 वोट पाकर 32, 509 वोट पाने वाले कांग्रेस के शिवबालक पासी को 4,027 मतों से शिकस्त देने कामयाब रहे, जबकि 2007 में कांग्रेस के शिवबालक पासी बाजी पलटते हुए 45,078 वोट पाकर 31,967 वोट पाने वाले सपा के आशा किशोर को 13, 109 से मात देने में सफल रहे, लेकिन 2012 में सपा के आशा किशोर बाजी पलटते हुए शिवबालक पासी को 20,577 वोटों से हराने में कामयाब रहे। यह सलोन के आज तक के इतिहास में किसी भी पार्टी की सबसे बड़े मार्जिन से विजय का रिकॉर्ड है। तब आशा किशोर 69,020 जबकि शिवबालक पासी को 48, 443 वोट मिले थे। लेकिन 2017 में नयी सदी में पहली बार विजेता बनकर उभरी भाजपा। भाजपा के दल बहादुर 78,028 वोट पाकर 61, 973 वोट पाने वाले कांग्रेस के सुरेश चौधरी को 16, 055 मतों से शिकस्त देने में कामयाब रहे। तो देखा जाय तो नयी सदी में अनुष्ठित 4 विधानसभा चुनावों में दो बार विजेता और एक बार उप विजेता रहकर सपा ने सलोन में सबसे कामयाब पार्टी के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है।
[bs-quote quote=”दलित बुद्धिजीवी कुछेक खास कारणों से सलोन की जनता से सपा के डॉ। जगदीश प्रसाद को जीताने की अपील कर रहें। पहला, जिस भाजपा ने मंडलवादी आरक्षण की घोषणा के खिलाफ मंदिर आन्दोलन के जरिये सत्ता दखल का बहुजनों का आरक्षण ख़त्म करने के साथ देश बेचने का जघन्य काम किया, उसे हर हाल में सत्ता से आने से रोकना है। अगर भाजपा नहीं हारी तो सारा आरक्षण ख़त्म हो जायेगा और दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक विशुद्ध गुलामों में तब्दील हो जायेंगे।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
2022 में यहाँ से प्रमुख दलों में कांग्रेस के अर्जुन पासी, बसपा के स्वाति सिंह कठेरिया, भाजपा की ओर से अशोक कुमार कोरी , जबकि सपा की ओर से पद्मश्री डॉ. जगदीश प्रसाद चुनाव मैदान में हैं। चूँकि सलोन में बसपा अबतक खाता खोलने से महरूम रही तथा दुर्दिन से गुजर रही कांग्रेस जीत की दावेदारी से बहुत दूर दिख रही है, इसलिए सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच नजर आ रहा है। इनमें भाजपा हराओ की लहर को देखते हुए तमाम विश्लेषक मान रहे हैं कि भाजपा के लिए 2022 में जीत दोहराना बहुत मुश्किल है, इसलिए सपा के ही विजयी होने की प्रबल सम्भावना है, जिसकी ओर से डॉक्टर जगदीश प्रसाद मैदान में हैं। और इन्हीं डॉ. जगदीश प्रसाद को लेकर पूरे देश के दलित बुद्धिजीवीयों और एक्टिविस्टों की निगाहें सलोन सुरक्षित सीट पर टिक गयी है। यही नहीं देश के कोने से दलित डॉक्टर, प्रोफ़ेसर, लेखक-पत्रकार और एक्टिविस्ट डॉ. प्रसाद के पक्ष में मतदाताओं से अपील करने के लिए सलोन पहुँच रहे हैं। तो आइये जानते हैं, कौन हैं डॉ. जगदीश प्रसाद, जिनको लेकर दलित बुद्धिजीवियों की निगाहें सलोन पर टिक गयी हैं।
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देश में पहला सफल ओपन हार्ट सर्जरी का श्रेय डॉ. प्रसाद को ही है। बिना बेहोश कियेसर्जरी की पद्धति की शुरुआत इन्होने ही किया है। डॉ. प्रसाद अपनी शुरुआती सेवापटना मेडिकल कॉलेज में देने के पश्चात् दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल आयें और इसका कायाकल्प कर दिए। एक खान मजदूर पिता की संतान डॉ. जगदीश प्रसाद भयंकर गरीबी और अभावों की दरिया पार कर बुद्ध और महावीर की धरती से चलकर दिल्ली के वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज सफदरजंग का जीर्णोद्धार कर देश के स्वास्थ सेवा के सर्वोच्च पद डीजीएचएस को सुशोभित किये। सफदरजंग हॉस्पिटल की स्थापना की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। 1942 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों की टुकड़ी यहीं सफदरगंज के मकबरे के पास वाली हवाई पट्टी पर उतरा करती थी। क्योंकि उस समय दिल्ली में यहीं एकमात्र हवाई अड्डा था। यहीं पास पड़े खाली ज़मीन पर सैनिकों ने एक अस्थायी अस्पताल अमेरिकी सेना के गंभीर रूप से घायल सैनिकों के इलाज के लिए करना शुरू किया। इसके लिए एक्सरे मशीन के साथ कई बेहतरीन उपकरण अमेरिका से मंगवाए गये। जब अमेरिकी सैनिक वापसअपने स्वदेश जाने लगे तब उन्होंने अपने सारे चिकित्सा यन्त्र भारत सरकार को सौंप दिया। उसी तम्बू वाले जीर्ण शीर्ण अस्पताल का कायाकल्प कर आधुनिक और विश्वस्तरीय सुविधा से लैस वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज को सफदरजंग हॉस्पिटल कर रूप प्रदान करने का श्रेय डॉ. जगदीश प्रसाद जी को जाता है। इस अस्पताल में दिल के मरीज़ो का इलाज बिलकुल मुफ्त किया जाता है। इसमें भी डॉ. जगदीश प्रसाद जी का अहम योगदान रहा है। इनकी कार्यकुशलता को देखते हुए महज़ 35 साल में भारत सरकार ने इन्हें 1991 में पद्मश्री अवार्ड से नवाज़ा था। 2021 में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से से नवाज़ा गया। डॉ. प्रसाद अभी हाल ही में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस ) भारत सरकार से सेवानिवृत हुयें हैं। वह इस पद पर पहुचने वाले भारत के इकलौते दलित हैं। डॉ. प्रसाद की पत्नी भी आला दर्जे की डॉक्टर हैं। इनकी दो बेटियां भी चिकित्सा के क्षेत्र में इतिहास रचने की ओर अग्रसर हैं। डॉ. जगदीश प्रसाद देश के उन गिने-चुने दलित शख्सियतों में एक हैं, जिन्होंने पे बैक टू दी सोसाइटी की भावना से समाज के गरीब- दुखियों के लिए ऐसा काम किया है, जिसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है। पे बैक टू दी सोसाइटी से प्रेरित होकर हर साल अपने क्षेत्र में स्वास्थ कैंप लगवाते हैं, साथ ही लाखों लोगों को चिकित्सीय परामर्श दे चुके है। आज इनके गाँव केशोपुर में जानकी – अकलू सरदार कॉलेज है, जिसकी स्थापना इन्होंने अपने पूज्य माता पिता जी की याद में करवाया है। डॉ. प्रसाद वैसे तो बिहार के मूलनिवासी हैं, किन्तु इनका कर्मक्षेत्र सम्पूर्ण भारत है।इन्होंने अपनी चिकित्सकीय कौशल से भारत का तो गौरव बढाया ही है, सम्पूर्ण भारत के हजारों गरीब छात्र इनसे उपकृत होकर मेडिकल के साथ प्रशासनिक सेवाओं में स्थान बनाये हैं। सरकारी सेवा में रहते हुए भी डॉ. प्रसाद विभिन्न सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देते रहे बल्कि दलित-वंचित जातियों को हर क्षेत्र में हिस्सेदारी दिलाने की मांग बुलंद करते रहे। सरकारी सेवा क्षेत्र से निवृत होने के बाद दलित-बहुजन की हिस्सेदारी की लड़ाई और बड़े मंच से लड़ने के लिए ही डॉ. प्रसाद राजनीति में उतरे हैं। चिकत्सा के क्षेत्र में भारत के मान बढ़ानेवाले दलित गौरव पद्मश्री डॉ. प्रसाद के विधानसभा सलोन में सपा से टिकट मिलने से आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार भौंचक रह गए हैं। जिससे सलोन की जनता का दूर-दूर तक कोई परिचय नहीं है उसे उम्मीदवार बनाने पर लोगों में चर्चाएं हो रही हैं।
बहरहाल दलित बुद्धिजीवी कुछेक खास कारणों से सलोन की जनता से सपा के डॉ। जगदीश प्रसाद को जीताने की अपील कर रहें। पहला, जिस भाजपा ने मंडलवादी आरक्षण की घोषणा के खिलाफ मंदिर आन्दोलन के जरिये सत्ता दखल का बहुजनों का आरक्षण ख़त्म करने के साथ देश बेचने का जघन्य काम किया, उसे हर हाल में सत्ता से आने से रोकना है। अगर भाजपा नहीं हारी तो सारा आरक्षण ख़त्म हो जायेगा और दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक विशुद्ध गुलामों में तब्दील हो जायेंगे। दूसरा भाजपा की जगह सपा के आने से जाति जनगणना कराकर हर क्षेत्र समानुपातिक भागीदारी मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा तथा डॉ. जगदीश प्रसाद के रूप में यूपी को योग्यतम स्वास्थ्य मंत्री मिल सकता है। लेकिन इससे इतर डॉ. प्रसाद जैसे सलोन के इतिहास के योग्यतम व्यक्ति के जीतने से राजनीति में अच्छे लोगों के आने मार्ग प्रशस्त होगा। आज राजनीति में गुंडे- बदमाशों और माफियायों का वर्चस्व बढ़ गया है, जो राजनीति को मिशन से प्रोफेशन में तब्दील कर दिए हैं। इससे राजनीति में अच्छे लोग आने से कतराने लगे हैं। डॉ. जगदीश प्रसाद के जीतने से राजनीति के गुंडे- बदमाशों के चंगुल से आजाद होने का मार्ग प्रशस्त होगा।
लेखक बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
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