Friday, July 5, 2024
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पीएमओ अफसर बन धमकी देने के मामले में सीबीआई ने की कार्रवाई

नई दिल्ली (भाषा)। खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का पदस्थ अधिकारी बताकर नेत्र अस्पताल की श्रृंखला का संचालन करने वाले प्रवर्तकों पर विवाद सुलझाने का दबाव बनाने के मामले में सीबीआई ने मयंक तिवारी के अहमदाबाद स्थित परिसरों की तलाशी ली। एक सीबीआई अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने इंदौर के एक अस्पताल पर बकाया 16 […]

नई दिल्ली (भाषा)। खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का पदस्थ अधिकारी बताकर नेत्र अस्पताल की श्रृंखला का संचालन करने वाले प्रवर्तकों पर विवाद सुलझाने का दबाव बनाने के मामले में सीबीआई ने मयंक तिवारी के अहमदाबाद स्थित परिसरों की तलाशी ली।

एक सीबीआई अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने इंदौर के एक अस्पताल पर बकाया 16 करोड़ न लेने के लिए प्रवर्तकों पर दबाव बनाया था।

उन्होंने बताया कि हाल ही में ली गई तलाशी के दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए और उनकी जांच की जा रही है। जांच एजेंसी ने बताया कि तिवारी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

उन्होंने बताया कि मयंक ने कथित तौर पर अपने मोबाइल से कॉल और संदेश के जरिये नेत्र अस्पताल की श्रृंखला के प्रवर्तकों से इंदौर में विवाद सुलझाने के लिए कहा। इंदौर के अस्पताल को कथित तौर पर 16 करोड़ रुपये ‘डॉ. अग्रवाल’ नाम के नेत्र अस्पताल श्रृंखला को देने थे।

उन्होंने बताया कि आरोप है कि ‘डॉ. अग्रवाल’ ने ‘फ्रेंचाइजी’ में शामिल होने की इच्छा जताने वाले इंदौर के अस्पताल के संचालक दो चिकित्सकों के साथ एक समझौता किया था, जिसके लिए 16 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर के अस्पताल ने कथित तौर पर समझौते की शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया, जिसके बाद ही विवाद हुआ और ‘डॉ. अग्रवाल’ अपने पैसे वापस चाहता था और समझौते को समाप्त करना चाहता था।

मामला उच्च न्यायालय में गया। अदालत ने इस विवाद को निपटाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया। मध्यस्थ ने अंतरिम निषेधाज्ञा में इंदौर अस्पताल को चार सप्ताह के भीतर 16.43 करोड़ रुपये जमा करने को कहा।

विवाद के दौरान ‘डॉ. अग्रवाल’ के प्रवर्तकों को कथित तौर पर तिवारी की ओर से कथित बकाया राशि भूलने और इंदौर अस्पताल चलाने वाले चिकित्सकों के साथ मामले को सुलझाने के लिए संदेश भेजे जाने लगे और फोन कॉल भी किये गये।

जब प्रधानमंत्री कार्यालय को पता चला तो तुरंत सीबीआई को मामले की जांच करने के लिए कहा गया।

पीएमओ ने सीबीआई को दी शिकायत में कहा, ‘प्रथम दृष्टया, यह पीएमओ अधिकारी का प्रतिरूपण करने और पीएमओ के नाम के दुरुपयोग का मामला है, क्योंकि न तो यह व्यक्ति और न ही उसके द्वारा बताया गया पद इस कार्यालय में है।’

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