पत्रकारिता करने के अनेक तरीके हैं। मुझे तो दो तरह की पत्रकारिता ही अच्छी लगती है। एक खोजी पत्रकारिता और दूसरी वह जिसमें सीधे-सीधे जनता से… Read More...
बचपन अलहदा था। रोज कहानियां सुनने को मिलती थीं। मां कहानियों को ‘खिस्सा’ कहती थी। यह ‘किस्सा’ का अपभ्रंश जैसा भले लगता हो, लेकिन वाकई में… Read More...