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भाजपा नेताओं की लापरवाही के कारण चंदौलीवासियों को नहीं मिल पाया ट्रॉमा सेंटर

पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने लगाया आरोप, बोले- 2019 के बाद 2024 चुनाव के लिए ट्रॉमा सेंटर के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया गया दिसंबर 2018 में महेवा में ट्रॉमा सेंटर के शिलान्यास के लिए करोड़ों का मंच सजा, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद यहां एक ईंट तक नहीं रखी गई, […]

पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने लगाया आरोप, बोले- 2019 के बाद 2024 चुनाव के लिए ट्रॉमा सेंटर के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया गया

दिसंबर 2018 में महेवा में ट्रॉमा सेंटर के शिलान्यास के लिए करोड़ों का मंच सजा, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद यहां एक ईंट तक नहीं रखी गई, देखते-देखते पूरे पाँच साल बीत गए। 2024 में फिर से चुनाव है, लिहाजा एक बार फिर ट्रॉमा सेंटर चंदौली के जिन्न को बोतल से बाहर निकाला गया है। भाजपावालों ने पत्रकार-वार्ता के जरिए जानकारी दी है कि 14.5 करोड़ की लागत से यह ट्रॉमा सेंटर बनेगा, लेकिन वास्तव में यहाँ कोई ट्रॉमा सेंटर नहीं बनने वाला है। यह सबकुछ एक बार फिर जनता को छलने व ठगने का षड्यंत्र मात्र है, जिसे जनता को समझने की जरूरत है। 2019 की तरह 2024 में भी भाजपा ट्रॉमा सेंटर को भुनाएगी। उक्त आरोप सपा के वरिष्ठ नेता ओर पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने लगाए। वह अपने अभियान ‘नौ साल चंदौली बदहाल’ के चौथे दिन महेवा में प्रस्तावित ट्रॉमा सेंटर स्थल का जायजा लेने पहुँचे थे। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर भाजपा व उसके जनप्रतिनिधियों पर निशाना साधा।

मनोज सिंह डब्लू ने गाँव के लोग डॉट कॉम को बताया कि 2018 में ट्रॉमा सेंटर चंदौली के निर्माण की बात जोर-शोर से भाजपाइयों ने उठाई और महेवा में लाखों का मंच सजाकर तत्कालीन स्वास्थ्य एवं परिवाण कल्याण मंत्री जेपी यानी जगत प्रकाश नड्डा की मौजूदगी में स्थानीय सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल व विधायक साधना सिंह और सुशील सिंह ने मंच से लच्छेदार बातें कही थीं। पांच साल के लम्बे कार्यकाल में उनकी एक भी बात पूरी नहीं हो सकी। स्थिति यह है कि जिस ट्रामा सेंटर को जून 2020 में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था वह इन नेताओं की लापरवाही, उदासीनता के कारण सिर्फ बाउंड्रीवॉल बनाकर छोड़ दिया गया है।

कुम्भकर्णी नींद में है सरकार

मनोज सिंह डब्लू ने बताया कि पहले छह बेड जनरल और चार बेड सर्जिकल वाले ट्रॉमा सेंटर की लागत 312.95 लाख रखी गई थी, लेकिन शिलान्यास के दौरान जेपी नड्डा ने इसकी लागत बढ़ाकर 10 करोड़ कर दी। इसमें यहाँ सौ बेड जनरल और 30 बेड आईसीयू के साथ इमरजेंसी, एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासांउड आदि की व्यवस्था करनी थी। 18 महीने में जून 2020 तक कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस को इसका काम पूरा करना था, लेकिन अभी तक बाउंड्री का काम भी अधूरा है। कहा कि एक बार फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होना है, तो भाजपा के नेताओं को ट्रॉमा सेंटर की याद आई है, जो पूरे पाँच बरस तक कुम्भकर्णी नींद में सोए रहे। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि ट्रॉमा सेंटर का निर्माण इनकी मंशा में है ही नहीं, यदि होती तो आज शिलापट्ट की जगह ट्रॉमा सेंटर की बुलंद इमारत खड़ी होती।

मौके पर मनोज सिंह डब्लू

ब्लैकलिस्ट हो चुकी है कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस

ज्ञात रहे कि अगस्त 2020 में कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस को शासन ने ब्लैकलिस्ट करते हुए उसे आबंटित सभी परियोजनाओं को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया था। उत्तर प्रदेश शासन के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इसके औपचारिक आदेश भी जारी किए थे। शासनादेश में कहा गया था कि सीएंडडीएस द्वारा प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पूर्ववर्ती नाम एमएसडीपी) के निर्माण कार्यों के कई मामलों में घोर लापरवाही बरती गई और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया था। वित्तीय अनियमितताएं भी की गई हैं। कई ऐसी परियोजनाएं है जिनमें कार्यदायी संस्था नामित होने व उभय पक्षों से अनुबंध होने के बाद प्रथम किश्त की राशि भी निर्गत कर दी गई। जबकि इसके तीन साल बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया। आदेश में कहा गया था कि 11वीं एवं 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं में 696 ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनकी दोनों किश्तों की राशि 25825.71 लाख निर्गत किए जाने पर भी कार्यदायी संस्था ने कार्य पूर्ण नहीं कराया है। परियोजनाओं के निर्माण के लिए समय से राशि स्वीकृत होने के बावजूद सीएंडडीएस द्वारा लागत वृद्धि के प्रस्ताव दिए गए। इसलिए समय बढ़ने व लागत वृद्धि के कारणों के सम्बंध में राज्य हज समिति के सलाहकार से जांच कराई गई। शासनादेश में कहा गया है कि सीएंडडीएस को आबंटित सभी परियोजनाओं को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। वहीं, यह भी कहा गया था कि निरस्त हुए लम्बित परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए अन्य सक्षम कार्यदायी संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। अगर इन परियोजनाओं को पूरा करने में अतिरिक्त धनराशि खर्च होगी तो उसकी वसूली सीएंडडीएस ही कराई जाएगी।

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