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केरल के ‘कॉमरेड वीएस’ 100 वर्ष के हुए

तिरुवनंतपुरम (भाषा)। ट्रेड यूनियन की गतिविधियों से अपने राजनीति जीवन की शुरुआत करने वाले वयोवृद्ध वामपंथी नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन आज 100 वर्ष के हो गए। वह राज्य में सतारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे लोकप्रिय और भीड़ जुटाने में सक्षम नेताओं में से हैं। वह 1985 से सीपीआई (एम) पोलित […]

तिरुवनंतपुरम (भाषा)। ट्रेड यूनियन की गतिविधियों से अपने राजनीति जीवन की शुरुआत करने वाले वयोवृद्ध वामपंथी नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन आज 100 वर्ष के हो गए। वह राज्य में सतारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे लोकप्रिय और भीड़ जुटाने में सक्षम नेताओं में से हैं। वह 1985 से सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य थे जब तक कि उन्हें पार्टी में अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत हटा नहीं दिया गया।

वीएस अच्युतानंदन को उनके समर्थक आम तौर पर कॉमरेड वीएस के नाम से पुकारते हैं। उन्होंने 1964 में भाकपा से अलग होकर माकपा की स्थापना की थी।

पार्टी और राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने माकपा नेता को उनके 100वें जन्मदिन पर बधाई दी।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने फोन पर अच्युतानंदन को जन्मदिन पर हार्दिक बधाई दी।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन को उनके 100वें जन्मदिन पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। मैं केरल के लोगों के साथ मिलकर उनके अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करता हूं।’

एक बयान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा, ‘मैं केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन के 100वें जन्मदिवस पर पर उनका हार्दिक अभिनंदन करता हूं। वह (अच्युतानंदन) एक जुझारू नेता थे और हैं। उन्होंने लोगों के भलाई से जुड़े उद्देश्यों के लिए निडरता के साथ अवाज उठाई।’

राज्य के अलप्पुझा जिले में 20 अक्टूबर 1923 को जन्में अच्युतानंदन ने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री का पद संभाला था।

बतादें, वीएस अच्युतानंदन 1938 में केरल के राज्य कांग्रेस में शामिल हुए। 1940 में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए। एक राजनेता के रूप में अपने 40 वर्षों के दौरान उन्हें पाँच साल और छह महीने की कैद हुई और साढ़े चार साल तक छुपकर रहना पड़ा। वह 1957 में सीपीआई के राज्य सचिवालय सदस्य थे। वह उन 32 सदस्यों में से एकमात्र जीवित केरलवासी हैं, जिन्होंने 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बनाने के लिए सीपीआई राष्ट्रीय परिषद छोड़ दी थी। वह 1980 और 1992 के बीच केरल राज्य समिति के सचिव थे।

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