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ग्राउंड रिपोर्ट

खाने व इलाज के अभाव में मर रहे हैं गोवंश, सरकार किसान के खाते में भेजे गोपालन की राशि – संदीप पांडेय

उन्नाव। सोशलिस्ट किसान सभा उन्नाव 2021 से लगातार  हरदोई, बाराबंकी व सीतापुर जिलों के गांवों में खुले में घूम रहे गोवंश की समस्या और उससे निजात की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन इस समस्या का कोई हल दिखाई नहीं दे रहा है। सोशलिस्ट किसान सभा और सोशलिस्ट पार्टी […]

उन्नाव। सोशलिस्ट किसान सभा उन्नाव 2021 से लगातार  हरदोई, बाराबंकी व सीतापुर जिलों के गांवों में खुले में घूम रहे गोवंश की समस्या और उससे निजात की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन इस समस्या का कोई हल दिखाई नहीं दे रहा है। सोशलिस्ट किसान सभा और सोशलिस्ट पार्टी के कमलेश पाण्डेय,अनुराग आग्नेय, संदीप पाण्डेय ने एक संयुक्त  प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि ग्राम सभा हिण्डोरा, विकास खण्ड गोंदला मऊ, तहसील सिधौली, जिला सीतापुर से ग्रामीण इस वर्ष 1 व 30 मार्च को दो बार खुले पशुओं को लेकर लखनऊ मुख्यमंत्री के यहां जाने के लिए निकले। पुलिस प्रशासन से आमना-सामना हुआ।

जिला स्तर से लेकर प्रमुख सचिव, पशुधन तक को ज्ञापन दिए गए। किंतु आज तक हिण्डोरा का गौ-आश्रय स्थल नहीं बन पाया। दूसरी तरफ खुले पशु किसानों की फसल चर जा रहे हैं। किसानों को होने वाले नुकसान की बाबत सरकार के पास कोई योजना नहीं है। अतः आज पुनः हिण्डोरा ग्राम सभा व पड़ोस की ग्राम सभा गेढ़ी खेरवा से ग्रामीण अपने पशुओं को लेकर लखनऊ मुख्यमंत्री के यहां जाने के लिए विवश हैं।

पिछले विधान सभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने उन्नाव की सभा में कहा था कि उत्तर प्रदेश में पुनः भाजपा की सरकार बनने पर किसानों से गोबर खरीदा जाएगा। योगी आदित्यनाथ ने उसी चुनाव में कहा था कि किसानों को गोवंश को खिलाने के लिए रु. 900 प्रति माह मिलेंगे।

आज सरकार गोवंश को खिलाने के लिए रु. 50 प्रतिदिन दे रही है। किंतु गांवों में गौ-आश्रय स्थल बनाने के लिए कोई बजट नहीं है। सरकार और प्रशासन गौ-संरक्षण को लेकर गम्भीर नहीं हैं। गोवंश के नाम पर आने वाले धन में भ्रष्टाचार हो रहा है वह अलग। हमारा मानना है कि सरकार कभी भी गोवंश की देखभाल गौशालाओं व गौ-आश्रय स्थलों में नहीं कर पाएगी। यहां तो गोवंश खाने व इलाज के अभाव में मर रहे हैं।

इस समस्या का एक समाधान यह हो सकता है कि सरकार प्रत्येक गोवंश, जिसमें किसान के पालतू गोवंश भी शामिल हों, का रुपए 50 प्रतिदिन की दर से किसान के खाते में डाल दे। जिससे किसान अपने गोवंश की देखभाल ठीकठाक ढंग से कर सके।

गाँव के लोग
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