Tuesday, October 28, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

साहित्य

मूँदहु आंख भूख कहुं नाहीं

अब गरज तो विश्व गुरु कहलाने से है, भूख बढ़ाने में विश्व गुरु कहलाए तो और भूख मिटाने में विश्व गुरु कहलाए तो। उसके ऊपर से 111 की संख्या तो वैसे भी हमारे यहां शुभ मानी जाती है। भारत चाहता तो पिछली बार की तरह, भूख सूचकांक पर 107वें नंबर पर तो इस बार भी रह ही सकता था। पर जब 111 का शुभ अंक उपलब्ध था, तो भला हम 107 पर ही क्यों अटके रहते? कम से कम 111 शुभ तो है। भूख न भी कम हो, शुभ तो ज्यादा होगा।

विश्वगुरु की सीख का अपमान ना करे गैर गोदी मीडिया

इन पत्रकारों की नस्ल वाकई कुत्तों वाली है। देसी हों तो और विदेशी हों तो, रहेंगे तो कुत्ते...

तुम्हारी लिखी कविता का छंद पाप है

मणिपुर हिंसा पर केन्द्रित कवितायें  हम यहाँ ख्यातिलब्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी की कुछ कवितायें प्रकाशित कर रहे हैं।...

हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में  हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर संगोष्ठी का...

व्याकरण के प्रकांड विद्वान थे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और आरसी प्रसाद सिंह की मनाई गई जयंती दरभंगा। आज विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ल.ना....

कला का सारा संघर्ष लोकप्रियता से है 

सर्जनात्मकता चाहे ललित कलाओं की हो या लेखन की, लोकप्रियता के अनुबंध को तोड़ कर ही विकसित होती है और आदमी की सोच को...

इस उपन्यास का कल्पनालोक समझने के लिए अपने दौर की समझ जरूरी है

लेख का दूसरा और अंतिम हिस्सा बहुत सारे आलोचक जार्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 में अतीत का वर्णन देखते हैं। बीसवीं शताब्दी के पहले...

 आज का 1984

पहला हिस्सा जार्ज ऑरवेल (Geogre Orwell) का उपन्यास 1984  भविष्य में अधिनायकवाद के स्वरूप का वर्णन करता है। यह पुस्तक 1949 में प्रकाशित हुई...

हिम्मत नगर के अच्छेलाल

‘नमस्कार, चाचा। मैं हिम्मत नगर से अच्छेलाल बोल रहा हूँ।’ हर दूसरे-तीसरे महीने किसी रविवार की सुबह मोबाइल पर यह वाक्य सुनने को मिल...

भेड़ियों की गाथाओं के बीच हिरणों की आत्मकथा की तरह

उर्मिलेश की पुस्तक गाज़ीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल उनकी स्मृति में दर्ज सुंदर-असुंदर घटनाओं और प्रसंगों का संग्रह है। इस पुस्तक में बारह संस्मरण हैं...

जूते और किताबें

उसे बाजार से कुछ किताबें खरीदनी थी और अपने लिए जूते भी। वह कई दुकानों में गया। लेकिन उसे अपनी पसन्द के जूते नहीं...
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