साहित्य
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मूँदहु आंख भूख कहुं नाहीं
अब गरज तो विश्व गुरु कहलाने से है, भूख बढ़ाने में विश्व गुरु कहलाए तो और भूख मिटाने में विश्व गुरु कहलाए तो। उसके ऊपर से 111 की संख्या तो वैसे भी हमारे यहां शुभ मानी जाती है। भारत चाहता तो पिछली बार की तरह, भूख सूचकांक पर 107वें नंबर पर तो इस बार भी रह ही सकता था। पर जब 111 का शुभ अंक उपलब्ध था, तो भला हम 107 पर ही क्यों अटके रहते? कम से कम 111 शुभ तो है। भूख न भी कम हो, शुभ तो ज्यादा होगा।
विश्वगुरु की सीख का अपमान ना करे गैर गोदी मीडिया
इन पत्रकारों की नस्ल वाकई कुत्तों वाली है। देसी हों तो और विदेशी हों तो, रहेंगे तो कुत्ते...
तुम्हारी लिखी कविता का छंद पाप है
मणिपुर हिंसा पर केन्द्रित कवितायें
हम यहाँ ख्यातिलब्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी की कुछ कवितायें प्रकाशित कर रहे हैं।...
हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर संगोष्ठी का...
व्याकरण के प्रकांड विद्वान थे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और आरसी प्रसाद सिंह की मनाई गई जयंती
दरभंगा। आज विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ल.ना....
मुस्तफा हुसैन ‘मुश्फिक’ की गीत-यात्रा
कनखी कनखी तकी चुनरिया फूटी रस की
कहां बदरिया
गरल पात्र भर गये सुधा में हम भी भींगे वर्षा में । भींगों भाई कौन रोक सकता...
सच का आईना दिखाती सोच पत्रिका का प्रवेशांक सफर
नव दलित लेखक संघ (नदलेस) ने अपने गठन (14 सितम्बर, 2021) के समय ही छमाही पत्रिका सोच को प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया था।...
ज़रूरत के बंधन से मुक्ति के आकाश तक
(केरल की महिला किसानों द्वारा की जा रही साझा खेती का अध्ययन)
पिछले दिनों एक पुस्तक का विमोचन दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब में हुआ जिसका...
हिंदी साहित्य में स्त्री आत्मकथा लेखन
भारतीय संस्कृति में मानव निर्माण के साथ दो जातियों का निर्माण हुआ। स्त्री एवं पुरुष। पूर्व में स्त्री पुरुष के समान अधिकार युक्त थी।...
प्रेमचंद ने समाज की विसंगतियों से कलम के बल पर होड़ लिया – कृष्ण कुमार यादव
वाराणसी। मुंशी प्रेमचंद एक साहित्यकार, पत्रकार और अध्यापक के साथ ही आदर्शोन्मुखी व्यक्तित्व के धनी थे। एक पत्रकार को कभी भी पक्षकार नहीं होना...
छोटे किसान क्यों लगातार बनते जा रहे हैं मजदूर
शहरों में बैठे जिन लोगों को लगता है कि खेती करना बहुत आसान है, ऐसे लोगों को प्रेमचंद की कहानी पूस की रात जरूर...