आदिवासियों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले फादर स्टेन स्वामी ने आज अंतिम सांस ली। वे आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने के विरोध में लगातार आवाज बुलंद करते रहे हैं। उन पर नक्सलियों का समर्थक होने का आरोप भी लगा। फिर भी फादर अपने मुहिम में जुटे रहे। आदिवासियों के हितों के लिए अनवरत संर्घष करते रहे। भीमा कोरेगांव के मामले में चौरासी वर्षीय फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया गया। उनके साथ इस प्रकरण में अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया था। उनके बारे में कहा जा सकता है कि वो पूरी जिंदगी झारखंड के आदिवासियों के लिए, उनके अधिकार, संस्कृति, भाषा के लिए लड़ते रहे। कभी किसी से कुछ नहीं लिया। भोले और कमजोर आदिवासियों की रक्षा में पूरी शक्ति के जुटे रहे। आज उनके निधन से आदिवासियों ने अपना एक हितैषी खो दिया।
[bs-quote quote=”आलोका कुजूर कहती हैं कि ‘जब स्टेन स्वामी कभी कोरेगांव नहीं गए और कोरेगांव पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया, तो फिर भी उन पर इतना बड़ा आरोप लगाकर उनको जेल क्यों भेजा गया? वहीं, इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन पिछड़ों, गरीबों के लिए काम करने में लगा दिया।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
फादर स्टेन स्वामी की मौत को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आदिवासियों की जमीन, संस्कृति और भाषा को लेकर लड़ने वाले योद्धा की हत्या हुई है। उनके निधन पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा से लेकर देश की अनेक प्रमुख लोगों ने उनके योगदान को याद करते हुए शोक प्रकट किया है। 20 साल से झारखंड में आदिवासियों की आवाज उठाने वाली संस्था आदिवासी अधिकार मंच की आलोका कुजूर सहित ने फादर स्टेन स्वामी के निधन पर कहा है कि फादर एक निर्दोष 84 साल के बुजुर्ग थे। वह पार्किंसन बीमारी से ग्रसित थे। ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता के साथ एनआईए ने जो अमानवीय व्यवहार किया, वो चिंता का विषय है। फादर पर कोरेगांव के तहत जो केस हुआ है, वह फर्जी है। इस उम्र के व्यक्ति को जेल में रखना और आरोप सिद्ध नहीं कर पाना, यह साबित करता है कि फादर पर झूठे आरोप लगाए गए थे। इसीलिए हम सभी सामाजिक कार्यकर्ता यही मानते हैं कि केंद्र सरकार और एनआईएन ने फादर स्टेन स्वामी की हत्या की है। आलोका कुजूर कहती हैं कि ‘जब स्टेन स्वामी कभी कोरेगांव नहीं गए और कोरेगांव पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया, तो फिर भी उन पर इतना बड़ा आरोप लगाकर उनको जेल क्यों भेजा गया? वहीं, इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन पिछड़ों, गरीबों के लिए काम करने में लगा दिया। उनका दुखद निधन एक न्यायिक हत्या का मामला है। इसके लिए गृह मंत्रालय और कोर्ट दोनों बराबरी के जिम्मेदार हैं। वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ट्वीट में लिखा है- ‘फादर स्टेन स्वामी के निधन की खबर से दुखी हूं. उन्होंने अपना जीवन आदिवासियों के अधिकारों में लगाया। मैंने उनकी गिरफ्तारी की जमकर मुखालफत की थी। केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए कि उन्हें मेडिकल सर्विस वक्त पर क्यों नहीं दी गईं?
फादर स्टेन स्वामी को अंतिम सलाम। गांव के लोग की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।
कुमार बिन्दु प्रतिष्ठित कवि और पत्रकार हैं । सासाराम में रहते हैं ।
सहमत